नई दिल्ली। भारत सरकार का फोक्स इस समय रोजगार के अवसर बढ़ाने के स्थान पर लोगों को उलझाये रखना है। एक तरफ दुनिया में आयकर (इन कम दा एक्स) को समाप्त करने के लिए पहल हो चुकी है। आयकर से सर्वाधिक राजस्व जुटाने वाले अमेरिका ने इनकम टैक्स को समाप्त करने की पहल आरंभ कर दी है। दूसरी ओर भारत में सिर्फ 12 लाख रुपये तक टैक्स माफ किया गया है और इसको ही मुख्य मुद्दा बनाकर मध्यम वर्ग को राहत दिये जाने का एलान किया जा रहा है। दिल्ली चुनावों के मद्देनजर शहरी मतदाताओं को लुभाया जा रहा है।
राजनीति में जो दिखाया जाता है, वह होता नहीं है। गैंदे के फूल को गुलाब जामुन के रूप में थाली में परोसा जाता है। जब खाने की बारी आती है तो उस समय ज्ञात होता है कि गुलाब जामुन नहीं गैंदे का फूल है।
इसी तरह से किसानों को क्रेडिट सीमा को बढ़ाने की बात कही गयी है, जबकि अधिकांश किसान तो पहले ही सिब्बल डिफाल्टर हो चुके हैं। इस वर्ग को ऋण और उस वर्ग को भी ऋण। इस तरह का प्रचार किया गया।
केन्द्र सरकार के पास पूर्व में भी स्र्टाट अप लोन, स्टैण्ड अप लोन जैसी अनेक ऋण योजनाएं हैं। मुद्रा लोन योजना भी है लेकिन इसके लिए ऐसा प्लेटफार्म तैयार ही नहीं किया जा सका कि पात्र को लाभ मिल सके। यहां पर तो उन लोगों को लाभ दिया जाता है जो कहीं न कहीं हवाला से जुड़े हुए होते हैं।