Tuesday, February 18, 2025
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मोदी सरकार ‘परम अणु योजना’ निजी हाथों में क्यों देना चाहती है?

नई दिल्ली। भारत सरकार ने दो दिन पहले पेश किये गये बजट में परमाणु सैक्टर (परम अणु योजना) को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी में है, इस तरह का प्रस्ताव पेश किया गया।
हाल ही में बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद खुलासा हुआ कि रूपपुर में परम अणु योजना के तहत बिजली घर बनाया जा रहा था और यह योजना भारत सरकार, प्राइवेट सैक्टर मिलकर कर रहे थे। इससे पहले मोदी गर्वनमेंट ही मेल बर्न में कोयला खदान भी अडाणी समूह को दिला चुकी है।
सरकार ने हाल ही में संसद में कहा है कि वह परम अणु योजना को निजी हाथों में सौंपने के लिए तैयारी कर रही है। इस योजना के तहत ऊर्जा उत्पादन होगा और इससे भारत विकसित राष्ट्र बनेगा।
निजी क्षेत्र को एक संवेदनशील सैक्टर सौंपकर भारत किस तरह से विकसित हो जायेगा, यह भारत सरकार की ओर से परिभाषित नहीं किया गया है।
अगर मोदी सरकार की दो पुरानी योजनाओं को देखें, जिनमें एक नोटबंदी थी तो दूसरी कोरोना आपदा काल।
नोटबंदी जिसको विपक्ष अब तक का सबसे बड़ा घोटाला कह चुका है, गलत नहीं है। नोटबंदी के माध्यम से लोगों को लाइनों में लगाया गया और उनकी घरों में जमा पूंजी को बाजार में उतारा गया। इस तरह से पांच से सात लाख करोड़ रुपये बाजार से गायब कर दिये गये और इनको निजी क्षेत्र के अपने कुछ दोस्तों को ऋण के नाम पर बांट दिये और कुछ को उनकी कंपनियों में शेयर बाजार में निवेश के नाम लगा दिये गये।
वहीं 60 हजार अरबपति भारत की नागरिकता को त्याग कर गये। इस तरह से 10 लाख करोड़ से भी बड़ी राशि बाजार से गायब हो गयी और मध्य वर्ग के पास धीरे-धीरे क्रय शक्ति कमजोर होती चली गयी। इसका असर खुदरा बाजार पर पड़ा।
वहीं उपभोक्ताओं को बनाये रखने के लिए कई फायनेंस कंपनियों को बाजार में उतार दिया गया जो रिजर्व बैंक से ऋण लेकर खरीददारों को प्रोत्साहित कर रहीं थीं। यह बड़ी कंपनियां भी बड़े नेताओं की थीं।
इसी तरह से 60 लाख करोड़ रुपये केन्द्र सरकार ने आधारभूत ढांचा विकसित करने अर्थात सिर्फ राष्ट्रीय राजमार्गों को विकसित करने के नाम पर खर्च किये। यह सरकार से तो आ गयी, किंतु बाजार में कहीं दिखाई नहीं दी।
आज ही सोशल मीडिया पर यूक्रेन के राष्ट्रपति ब्लाीदमितर जैलेंस्की का बयान आया कि उनके पास सिर्फ 75 बिलियन की राशि आयी है जबकि अमेरिका और यूरोपीय देश 177 बिलियन डॉलर की सहायता राशि दिये जाने का बयान दे रहे हैं। यह 100 बिलियन डॉलर की राशि कहां गयी?
इसी तरह से 60 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त टोल भी वसूला जा रहा है और पारदर्शिता के नाम पर ऑनलाइन पैमेंट वसूली जा रही है जिसको फास्टैग का नाम दिया जा रहा है। प्रत्येक किमी पर दो रुपये टोल है और इसके अतिरिक्त फास्टैग कंपनियां मेंटीनेंस तथा कई अन्य प्रकार के शुल्क वसूल रही हैं। कुछ कार मालिकों का कहना है कि अनेक बार तो उनकी घर पर खड़ी गाड़ी का ही टोल वसूल लिया जाता है।
सरकार ने कहा है कि वह अब परम अणु योजना को निजी हाथों में सौंपने का प्रस्ताव कर रही है।
ऐसा नहीं है कि परम अणु क्षेत्र में निवेश के लिए चेहरे सामने नहीं आयेंगे। मॉरिशस और चीन से ही बड़े निवेश आ सकते हैं। मॉरिशस जिसमें औसतन आय करीबन 25 हजार रुपये भारतीय मुद्रा प्रतिमाह है। उसने ही 25 सालों में भारत में 170 अरब डॉलर का निवेश किया हुआ है। मॉरिशस के राजा और उनके जनरलर्स के पास काफी राशि है और वह परम अणु तकनीक हासिल करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं।

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