दक्षिण एशिया के हाल की जिम्मेदारी कौन लेगा?

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नई दिल्ली। दक्षेस अर्थात दक्षिण एशियाई सहयोग संगठन अपनी स्थापना के बाद से ही बदहाली की स्थिति में रहा है। अफगानिस्तान में कट्टरपंथी ताकतों का कब्जा है जो तालि बानी कहलाते हैं और भारत सरकार उनको रसद आपूर्ति कर रही है।
श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान तीनों ही आर्थिक रूप से बुरी हालत में हैं तो म्यांमार में तो तख्ता पलट हो चुका है। वहां की सरकार ने शांतिपूर्ण आंदोलन करने वालों को जेल में डाल दिया है। आन सू की को भी नजरबंद कर दिया गया है। सैन्य शासन ने अगले छ: माह तक प्रतिबंध जारी रहने का एलान किया है।
इंडोनेशिया ने कहा है कि वह शांति समझौते पर वार्ता कर रहा है।
एक महिला नेत्री, जिसने अपना जीवन मानव सेवा में गुजारा है, उसको नजरबंद किये जाने के एक लम्बे अर्से बाद भी उसकी रिहाई के लिए कभी गंभीरता से आवाज नहीं उठायी गयी।
अभी भी छ: माह का समय मांगा जा रहा है जबकि नेताओं की रिहाई होगी, उसी के बाद ही तो चुनाव हो सकेंगे और म्यांमार ऐसा देश भी नहीं है कि उसके चुनाव करवाने के लिए लम्बा वक्ता चाहिये हो।
वहीं भूटान जो खनिज लवणों से परिपूर्ण देश है, उसकी महत्ता ही नहीं रह गयी है। उसको नजरांदाज किये जाने का कोई कारण समझ में नहीं आता है।

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