नई दिल्ली। नरेन्द्र मोदी के एक आह्वान पर योगा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दे दी गयी। उनके एक आह्वान पर मोटा अनाज को अपनाया जाने लगा और अब वही मोदी अब नये दोस्तों की तलाश कर रहे हैं।
जब केरल में आरएसएस और उसके सहयोगी संगठन लव जेहाद का नारा लगा रहे थे तो नरेन्द्र मोदी ने योगा को यूएन से मान्यता दिलाकर अपनी विदेश नीति के मजबूत होने का प्रचार किया। स्वयं को विश्वस्तरीय नेता बताया और ट्वीटर व सोशल मीडिया पर सर्वाधिक फॉलोअर्स बनाये जाने का दावा किया।
वही मोदी इस समय अपनी विदेश और आर्थिक नीतियों से चारों तरफ घिरे हुए हैं। अमेरिका से अफगानिस्तान और वहां से बिना वीजा पाकिस्तान में बिरयानी खाने को भी उन्होंने चुनावी मुद्दा बनाया। पाकिस्तान में वे पंजाब सूबे की मौजूदा सीएम मरियम नवाज के विवाह में शामिल होने के लिए गये थे। मरियम ने एक लो प्रोफाइल से विवाह रचाया।
इस समय ट्रम्प की नीतियों की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही है क्योंकि इन नीतियों के पैर ही नहीं थे। इसको एक मजबूत नींव ही नहीं दी गयी थी और सरकारी संस्थाओं यथा एलआईसी, बैंकों का पैसा अडाणी-अम्बानी की कंपनियों में लगवाया गया और देखते ही देखते इन कंपनियों के शेयर मौजूदा कंपनियों की वैल्यूज से 10 गुणा तक हो गये।
इस तरह से लोगों को कम समय में ज्यादा पैसा कमाने का लालच दिया जा रहा था और शेयर बाजार हवाई तेजी से घूम रहा था।
अब भी वही है किंतु कितने दिन तक इस तेजी को बनाये रखा जा सकेगा क्योंकि विदेशी निवेशक, जिनको एफडीआई कहा जाता है वह धन तो निकल रहा है। मॉरिशस, आबूधाबी और सउदी के निवेशक रह गये हैं। अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के निवेशक अब भारत को उभरती हुई अर्थव्यवस्था नहीं मान रहे हैं।
मध्य एशिया में तनाव का असर धीरे-धीरे अगले कुछ दिनों में मोदी के नजदीकी उद्योगपतियों पर और अधिक दिखाई देने लगेगा।
ट्रम्प ने अभी तक कनाडा, चाइना आदि पर टैरिफ लगा दिये हैं।
भारत के प्रधानमंत्री को सीधे बातचीत के लिए कॉल किया गया है। तीन महीने पहले ही पीएम अमेरिका से आये थे अब फिर से बुलाये गये हैं। इस साल क्वाड की बैठक भी भारत में होनी है और उससे पहले मोदी को बुलाये जाने का सीधा महत्व है।
ट्रम्प मोदी के साथ कूटनीति के स्थान पर सीधी बात करना चाहते हैं। इस तरह की वार्ता फोन पर भी हो सकती थी किंतु नहीं की गयी और उन्हें बुलाया गया है ताकि दुनिया भर को सीधा संदेश दिया जा सके।
भारत का रुपया 87 को पार करता हुआ 87.40 रुपये हो गया है और अगले एक सप्ताह के भीतर 88 या इससे भी अधिक हो जाये तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। इस तरह से विश्व नेता कहलाने वाले नरेन्द्र मोदी अब विश्व मंच पर कमजोर हो चुके हैं। वे अपनी भड़ास किस पर किस तरह से निकालते हैं, यह देखने वाला होगा। क्योंकि अभी तक तो मंत्रीपद उन्होंने रेवडिय़ों की तरह बांटे हुए थे।
अमित शाह, राजनाथ सिंह, निर्मला सीतारमण, एस जयशंकर सहित कई चेहरों को पता था कि उनकी सीट पक्की है। सीतारमण तो लगातार तीसरे टर्म में वित्त मंत्री हैं।