श्रीगंगानगर। दुनिया में एक बार पुन: इतिहास को दोहराये जाने की तैयारी हो रही है। 2004 में डॉ. मनमोहनसिंह को पीएम बनाया गया था और वे इससे पहले रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गर्वनर थे। इसी तरह से कनाडा में रिजर्व बैंक ऑफ ब्रिटेन के पूर्व गर्वनर को नया प्रधानमंत्री मनोनीत किया गया है।
डॉ. सिंह पहले रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गर्वनर थे। फिर कांग्रेस ने नरसिंहराव की सरकार में उन्हें वित्त मंत्री का दर्जा दिया और फिर 2004 में उन्हें अर्थशास्त्री के रूप में प्रधानमंत्री चुना गया और उनका पीआर के तौर पर प्रचार किया गया।
इस तरह से वे दो बार वित्त विभाग को देखने के बाद प्रधानमंत्री बनाये गये थे। पहले रिजर्व बैंक और फिर वित्त विभाग। इसी तरह से कनाडा में इतिहास को पुन: दोहराया जा रहा है।
पहले मार्क कारएर्नी इंग्लैण्ड रिजर्व बैंक के गर्वनर रहे। ध्यान रहे कि कनाडा आज भी इंग्लैण्ड का पार्ट है। वे रिजर्व बैंक ऑफ कनाडा के भी गर्वनर रहे। अब उनको अर्थशास्त्री के रूप में प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी दी गयी है।
अमेरिका इस समय अपने पड़ोसी देश कनाडा पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगा चुका है। उस समय एक डिप्लोमैटिक नेता को पीएम बनाया जाना चाहिये था ताकि विवाद का समापन किया जाये, उस समय एक वर्चुअल दवा जिसको कोरोना वैक्सीन कहा जा सकता है, वह दी गयी है।
यह उसी तरह से जैसे किसी को प्यास लगी हो और उसके सामने भोजन की थाली रख दी जाये। इस समय कनाडा को एक सम्पूर्ण राजनीतिक सोच वाले व्यक्ति की आवश्यकता थी और वित्त मंत्री के रूप में किसी भी अर्थशास्त्री का चुनाव हो सकता था हालांकि काम तो ब्यूरोक्रेट ने ही करना होता है। इस कारण वीआईटी विभाग में कौन क्या कर सकता है?