श्रीगंगानगर। एक हिन्दी फिल्म आयी थी, जिसमें एक गीत के बोल थे- चोली के नीचे क्या है, चोली के पीछे क्या है… इस हिन्दी फिल्मी गाने को लेकर विवाद हुआ था और इस पर सवाल उठे थे कि द्विभाषी गानों को मान्यता दी जानी चाहिये।
अब भारत का संविधान ही पढ़ लीजिये, जिसके प्रथम पेज पर लिखा है कि यह जेबी संस्करण द्विभाषी है। एक शब्द के दो अर्थ हो सकते हैं। एक अर्थ सीधा भी होगा तो दूसरा खिलाफ भी हो सकता है।
संविधान को लेगीस्लेटिव डिर्पाटमेंट द्वारा तैयार किया गया है। अब लेगी स्लेटिव की पहचान भी दी गयी है कि जिसके पैर पतले या छोटे होंगे। इसको कंस-टीट्यूशन कहा गया है। कंस अर्थात मामा टी अर्थात चाय और ट्यूशन अर्थात कोचिंग। इन तीन शब्दों से कंसटीट्यूशन हो गया। चाय तो चायवाला के रूप में पीएम नरेन्द्र मोदी सामने आ चुके हैं। मामा कौन है, अभी तक पता नहीं चला है क्योंकि देश में कई कंस के चेहरे दिखाई देते हैं। कंस के 10 से भी ज्यादा रूप हैं।
वैसे मध्यप्रदेश के सीएम रहे और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं को मामा कहलाना पसंद करते हैं। वे दिग्विजयसिंह का प्रतिरूप हैं। बुआ बंगाल सीएम ममता बनर्जी हैं। दीदी मायावती हैं। चाचा एक विदेशी के रूप में सामने आया था।
रिश्तेदारी की भाषा को सम्पन्न करते हुए आगे बढ़ते हैं तो बताया गया है कि संविधान के पैर पतले होंगे अर्थात वह मौर की तरह होगा। राष्ट्रीय पक्षी भी मोर है। भगवान कृष्ण के मुकुट पर भी मोर का पंख लगा होता है।
वहीं यह भी कहा गया है कि उनके हृदय में ईश्वर का वास होगा और वह एक छोटे बालक के रूप में होगा। इस तरह से संविधान ने ईश्वर को भी बालक के रूप में ही संबोधित किया है, उसको युवा होने की मान्यता नहीं दी है।
दूसरी ओर आप यह भी देखिये कि संसद को मंदिर कहा जाता है और अनेक नेता नतमस्तक होकर प्रणाम करते हैं और फिर प्रवेश करते हैं। अब उसी मंदिर में हर साल एक बजट पेश होता है। उस बजट की स्पैलिंग होती है बी यू डी जी ई टी।
अब बीयूडी गेट इसको संबोधित किया जा सकता है। गेट अर्थात घोटाला। इस घोटाले को संसद में पेश किया जाता है। उसे समाचारों में प्रकाशित किया जाता है और घोटाले को देखने और सुनने-पढऩे के लिए करोड़ों लोग सक्रिय होते हैं। वो कह रहे होते हैं कि बीयूडी हम घोटाला कर रहे हैं। बी का अर्थ बेरी भी होता हे और भारत भी होता है। यूडी का अर्थ अर्बन डवल्पमेंट अर्थात नगरपालिका।
वे कहते हैं कि हे बी नगरपालिका हम घोटाला करने जा रहे हैं। इसको समझाया ही नहीं गया कि यह घोटाला किस प्रकार होता है। घोटाला यही होता है कि हर साल 40 लाख करोड़ रुपये का बजट होता है और दुनिया के सामने सभी विभागों में बांट दिया जाता है। जनता को कुछ भी नहीं दिया जाता। जनता को दिखाने के लिए टैक्स में रिबेट की चर्चा होती होती है। रिबेट अर्थात: पुन: सट्टा।
अब सट्टा या गैम्बलिंग किस प्रकार है। हाल ही में कहा गया कि जिस भी व्यक्ति की आय 12 लाख 59 हजार है, उससे टैक्स नहीं लिया जायेगा। वहीं जब 12 लाख 60 हजार होते ही उसको वापिस चार लाख रुपये पर लाया जाता है। सरकार कहती है कि इससे ज्यादा आय क्यों की। केबीसी की तरह। एक गलत जवाब और एक करोड़ के सवाल से सीधे 12 लाख 50 हजार रुपये पर आ जाता है। उसी तरह का जुआ टैक्स रिबेट कहलाता है।