वेटिकन सिटी। पोप फ्रांसिस और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच आपसी खींचतान तेज हो सकती है। इस लड़ाई को अमेरिका-ईरान विवाद के तौर पर देखा जा सकता है। ट्रम्प ने शिक्षा विभाग को ही समाप्त करने का एलान कर वेटिकन सिटी को बड़ा झटका दिया है। प्रत्येक वर्ष 1.6 ट्रिलियन डॉलर अमेरिका इस पर खर्च करता है।
वेटिकन सिटी दुनिया भर में चर्च का संचालन करता है। इसके अतिरिक्त वह ईसाई मिशनरीज स्कूल जिसमें सेंवथ डे, सोफिया, सैक्रेड हार्ट सहित अनेक अन्य नाम है। इसके अतिरिक्त विभिन्न देशों में वह लॉकल नाम पर भी स्कूल का संचालन करता है।
इसकी फंडिंग अमेरिका करता है और भारत की जीडीपी के 70 प्रतिशत के बराबर राशि को खर्च करता है ताकि वेटिकिन सिटी की आवश्यकताओं को पूर्ण किया जाता रहे। इसी तरह से यूरोपीय संघ भी काफी बड़ी राशि खर्च करता है। रूस और उसके सहयोगी या पड़ोसी देश का अपना एक अलग धर्म गुरु है।
ईसाई मिशनरीज दुनिया भर में इसाई धर्म का प्रचार करने के लिए अस्पताल, कॉलेज और अन्य प्रकार के कार्य करती हैं। अमेरिका में इसका काफी अधिक प्रभाव रहता है और इसी कारण दुनिया में अमेरिका को सबसे प्रदूषित देश कहा जाता है।
ट्रम्प ने अब शिक्षा विभाग को ही खत्म करने का एलान कर दिया है। इस तरह से उन्होंने सीधे तौर पर वेटिकन सिटी के साथ लड़ाई आरंभ कर दी है। यूरोपीय देशों फ्रांस, ईटली आदि से आने वाली शराब पर 200 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है।
इसको ईरान के साथ लड़ाई के तौर पर देखा जा सकता है। ट्रम्प ने वार्ता के लिए तेहरान के धर्म गुरु खामनेई को पत्र लिखा था।
अब खामनेई और पोप के बीच किस प्रकार की समानता है, इसको विस्तार से समझने की आवश्यकता है।
खामनेई ईरान का धर्म गुरु है। उसी प्रकार जैसे पोप। यह ईरान के पोप हैं। दुनिया में जो शिया मुस्लिम होंगे वह ईसाई के रूप में संबोधित होते हैं और जो सुन्नी मुसलमान कहलाते हैं वह कांग्रेस-आरएसएस के कार्यकर्ता हो जाते हैं।
खामनेई को ईरान रिजवेल्यूशनरी फोर्स के नाम से सेना दी गयी है। इस तरह से उनको पोप के बराबर मनाया गया है।
अब दुनिया भर के चर्च के पादरियों पर यौन शोषण के आरोप लगते हैं जो नन बनकर चर्च की सेवा करती हैं, चर्च के पादरी खुद को जीसियस बनकर उनके साथ सहवास करते हैं। इस तरह से जिनके पास संतान नहीं है तो वे उनके साथ भी जीसियस के रूप में संभोग कर उनको कथित रूप से ईश्वर की संतान देते हैं।
यह खेल चलता है। अब ईरान पर इसी कारण आरोप लगाया जाता है कि वह परमाणु हथियार बना रहा है। इस तरह से कूटनीतिक युद्ध को चलाया जाता है। अब धीरे-धीरे ईरान के साथ वार्ता करने के स्थान पर दुनिया के जागरुक होने के कारण सीधे यूरोपीय देशों के साथ टैरिफ-टैरिफ का खेल आरंभ किया गया है ताकि दुनिया को बताया जा सके कि क्या हो रहा है।
जी-7 के देशों पर पेरिस जलवायु समझौते में ही आरोप लगाया गया था कि यह सबसे अधिक प्रदूषित देश हैं।
इसी प्रकार दिल्ली को दुनिया में सबसे प्रदूषित राजधानी कहा जाता है। क्योंकि यहां पर दुनिया के कल्याण के लिए नहीं बल्कि नरेन्द्र मोदी के कल्याण भूमि मार्ग पर ज्यादा चर्चा होती है। अचानक ही मोदी ने अपने सरकारी निवास मार्ग का नाम बदलकर कल्याण भूमि मार्ग कर दिया था।
मोदी को दुनिया भर में तांत्रिक माना जाता है और वह छोटा-बड़ा नहीं बल्कि एक बड़ा तांत्रिक कहलाते हैं। इस तरह से भारत की अन्य पार्टियां भी योजनाओं के नाम पर धन को एक से दूसरे देश में ट्रांसफर करने का खेल चलाती हैं।