न्यूयार्क। अमेरिका सरकार ने केआईसी के कार्यकर्ता मोहम्मद खलील को गिरफ्तार किये जाने की कोशिशों के बीच सबसे बड़ा सवाल यह सामने आ रहा है कि अमेरिका में ही विरोध क्यों हो रहा है?
अमेरिका सरकार ने कुछ दिनों से गाजा पट्टी विवाद को भुला ही दिया था। गाजा पट्टी के लोगों के लिए संघर्ष करने वाली कार्यकर्ता ही पिछले कुछ दिनों से गायब हो गयी थी। इस कारण गाजा की कहानी ही लोगों के सामने नहीं आ रही थी।
अब लोग मांग कर रहे हैं कि गाजा को आजाद करवाया जाये। वहीं सीआईए का भी मानना है कि अगर गाजा का समर्थन नहीं किया गया तो विरोध के स्वर तेज हो सकते हैं।
इस कारण मीडिया आउटलेट भी अब गाजा की खबरों को प्राथमिकता देने लगे हैं।
केबीसी का मानना है कि यूक्रेन कभी भी धोखा दे देगा
मासको। रूस की खुफिया एजेंसी केबीसी का मानना है कि यूक्रेन पर विश्वास नहीं किया जा सकता। इससे पहले विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भी कह चुके हैं कि उनकी मंशा जैलेंस्की से मिलने की नहीं रही है और न ही होगी।
रूस का पार्ट रहकर भी पश्चिम की तरफ मदद की आस रखने वाले युके्रन के ब्लादीमिर जेलेंस्की का मानना है कि वह नाटो का सदस्य बनना चाहता है। रूस ने इस मांग के खिलाफ यूक्रेन पर तीन साल पहले आक्रमण कर दिया था हालांकि कुछ एजेंसी का कहना है कि हमला यूक्रेन की तरफ से किया गया था।
केबीसी भारत की मित्र रही है और उसने अनेक बड़े ऑपरेशन किये हैं। इस कारण भारत के हिन्दुओं का लगाव सदैव ही केबीसी की तरफ रहा है।
आज भी केबीसी का मानना है कि यूक्रेन विश्वास के लायक नहीं है। वह कुछ भी कर सकता है। वहीं राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन ने सीज फायर से पहले अमेरिका के समक्ष शर्तों का एक दस्तावेज पेश किया है। अगर दस्तावेजों में पढ़े जाने वाले तथ्यों को ध्यान से देखा जाये तो इसमें साफ लिखा है कि वह अमेरिका पर विश्वास कर सकता है किंतु यूक्रेन पर नहीं।