श्रीगंगानगर। पाखण्ड के लिए अनेक सामाजिक रीति-रिवाज का जन्म किया गया। कहानियां बनायी गयीं। उनको धार्मिक ग्रंथ बाइबिल, गीता, पुराण, कुराण आदि का नाम दिया गया। अनेक धर्म गुरु बनाये गये और उनको पाखण्ड के लिए विभिन्न उपाधियां दी गयीं। यह सब द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हुआ। इसके बाद अनेक देशों की आजादी का भी उल्लेख है जिसमें भारत-पाकिस्तान सहित कई देश शामिल हैं।
भारत में कांग्रेस को सत्ता ब्रिटिश सरकार देकर गयी। इस तरह से यह महागठबंधन हो गया। 1980 के उपरांत सोवियत संघ ने भी भारत में अपनी मजबूत पकड़ कर ली। अमेरिका पहले से ही पाकिस्तान के साथ अपने मजबूत साथी के रूप में पहचान बना चुका था।
अब बात धर्म की जाये तो सामने आता है कि विश्व युद्ध के बाद अनेक स्थानों पर धर्म गुरु बनाये गये और उनको विभिन्न प्रकार की उपाधियां दी गयीं। आरएसएस ने भारत गणराज्य ही नहीं अपितु 100 से ज्यादा देशों में अपनी शाखाएं स्थापित की हुई हैं।
इसी तरह से ईटली को कैथोलिक चर्च का दर्जा मिला और यहां से इसाई मिशनरी, जो हिन्दू पद्धति के विपरीत थी, के अनुसार पूजा करवायी जाने लगी। चर्च में शराब को मंजूर कर दिया गया। इस तरह से मुसलमानों में बकरा की बलि दिये जाने को अल्लाह की खुशामद समझाया गया।
यही भारत का इंडिया गेट कहलाता है। इंडिया स्कैम इसी को कहा जाता है जो आरएसएस, कांग्रेस, ब्रिटेन, यूरोपीय देशों ने मिलकर रचा। इसमें अमेरिका भी शामिल था जिसको फंडिंग की जिम्मेदारी दी गयी थी। ब्रिटेन स्वयं सबसे अलग हो गया, जैसे वह किसी को जानता ही नहीं। ब्रिटिश राज परिवार खबरों से दूर रहने लगा।
इसी तरह से मदर टैरेसा, अकाल तख्त, शंकराचार्य, रोम में कैथोलिक चर्च जिसको वेटिकन सिटी के नाम से जाना जाता है, ने अपने-अपने क्षेत्र में प्रचार आरंभ किये। अरब देशों को मुस्लिमों का सबसे मददगार देश कहा जाता है और उसी देश के नेताओं ने इस्लामि आतंकवाद को पनपाया। उनको फंड दिये। सभी देशों से पेट्रोल के नाम पर मिलने वाले पैसों को बाजार में भेजा जाता ताकि इस्लाम का प्रचार हो।
80 हजार पेज की जेएफके फाइल्स (दिवंगत जॉन एफ कनेडी) को रिलीज किया गया है। इसमें साफ तौर पर लिखा गया है कि अमेरिका की खुफिया एजेंसियां इटली के साथ मिलकर कार्य करेंगी।
अगर भारत में मदर टैरेसा का ही जीवन देखा जाये तो सामने आता है कि 1950 में उनको अन ब्याही नन बनाया गया और उनको मिशनरीज ऑफ चैरिटिज की स्थापना के लिए मनोनीत किया गया और इसके बाद भारत देश ही नहीं दुनिया भर के देशों में मिशनरीज स्कूलों की बाढ़ आ गयी। अच्छी अंग्रेजी के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार हुआ।
अंग्रेजी भाषा को सफलता की सीढ़ी समझाया गया और आखिर में हालात यह हो गयी कि जिसके घर में भोजन नहीं था, वह भी चाहता था कि उसका बच्चा मिशनरीज के स्कूल में पढ़े। इसके लिए सरकारों ने मुफ्त शिक्षा के नाम पर उनको यह सुविधा भी उपलब्ध करवा दी।
लोगों को यह नहीं समझाया गया कि अंग्रेजी सिर्फ एक जुबान है, जिस तरह से हिन्दी, पंजाबी, तेलगू, उर्दू आदि हैं। उसी तरह से सिर्फ एक भाषा है। भाषा का भी खूब प्रचार-प्रसार किया गया।
मदर टैरेसा ने भारत में कुष्ठ रोगियों की सेवा के नाम पर कच्ची बस्तियों में अपनी पहचान बनायी और कोलकाता की एक बस्ती से आरंभ किया गया अपना अभियान पूरे भारत देश के गांव-गांव तक पहुंचा दिया। टैरेसा की तरह ही कई अन्य संस्थाओं ने भी धर्म परिवर्तन जैसे कार्य करवाये। बॉलीवुड में भी पैसा पहुंचाया गया और अनेक फिल्मों को सिर्फ इसलिए फंड मिलता था कि उसमें मुस्लिम, इसाई किरदार होने चाहिये।
पंजाबी जुबान को तो भुला ही दिया गया। पंजाबी सिर्फ केशधारी की जुबान है, यह बताने में भी सफलता हासिल कर ली। हालात यह है कि अच्छी शिक्षा के नाम पर लोगों को विभिन्न गणराज्यों में पलायन भी करवाया गया।
हिन्दुओं को भी टेवे, भविष्यफल, मंगलिक, अन मंगलिक जैसे कई पंगों में फंसाया गया।
1975 में वनडे वल्र्ड कप चालू किया गया और ब्रिटेन से इसकी शुरुआत हुई थी। इसके बाद भारत देश में करवा चौथ व्रत का भी प्रचार किया गया। इससे महिलाओं को कम से कम एक दिन अपने पति के पैर छूने का अवसर मिलता। अब वनदे मातरम् गीत भी मशहूर किया गया। इस तरह से करवा चौथ को एक पॉवरफुल व्रत बनाने का प्रयास किया गया। महिलाओं को रोजा की तरह पूरे दिन निर्जल रहकर उपवास करना होता है।
1983 में जब तक भारत में प्रचार-प्रसार की क्रांति ने पैर पसारने आरंभ कर दिये थे तो उस समय ही उसको वल्र्ड कप विजेता भी बनवा दिया गया। इस जीत में एक अधिकारी के अनुसार खिलाडिय़ों की मेहनत के साथ-साथ राजनीतिक कारण भी जिम्मेदार थे और 1987 वल्र्ड कप का आयोजन भारत में कर दिया गया और क्रिकेट पूरी दुनिया में छा गया। 150 करोड़ भारतीय, 30 करोड़ पाकिस्तानी, इस तरह से दो सौ करोड़ या इससे अधिक लोगों का फेवरिट गेम क्रिकेट बन गया था।
यह सब इसलिए हुआ क्योंकि राजाओं को भय था कि उनकी विरासत एक दिन क्लिक अवतार आयेंगे ओर ले जायेंगे। बस उसी भय से भयभीत होकर सारा घटनाक्रम रचा गया।
अमेरिकी-ईरानी पत्रकार की हत्या की साजिश का भंडाफोड़
न्यूयार्क। ईरानी-अमेरिकी पत्रकार मसीह अलीनेजाद की हत्या की साजिश रचने वाले दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनका सीधा लिंक ईरान से मिला है। ईटली से इस संबंध में फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है।
फॉक्स न्यूज के अनुसार मैनहट्टन स्थित दो लोगों को चयनित किया गया था कि वे ईरानी-अमेरिकी पत्रकार मसीह अलीनेजाद की हत्या कर दें। ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) द्वारा कथित तौर पर किराए पर लिए गए दो हत्यारों के माध्यम से यह चौंकाने वाला खुलासा भी हुआ कि तेहरान ने यूरोप में असंतुष्टों की हत्या का आदेश दिया था, इस खबर का राष्ट्रपति ट्रम्प की ईरान नीति पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, दो संदिग्धों के मुकदमे और अमेरिका द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन आईआरजीसी के पूर्व संस्थापक के इस खुलासे से कि अयातुल्लाओं ने निर्वासित ईरानियों की हत्या का आदेश दिया था, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और ईरानी-अमेरिकी आलोचकों की हत्या की ईरान की धमकियों से निपटने की आवश्यकता और बढ़ गई है।
कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनना चाहिये : ट्रम्प
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर कहा है कि अगर कनाडा को अमेरिका के साथ व्यापार करना है तो उसको संयुक्त राज्य की 51वीं स्टेट का दर्जा प्राप्त करना चाहिये।
इस समय ट्रम्प गहरे मूड में हैं और एक टीवी चैनल के साथ वार्ता करते हुए उन्होंने कहा, 200 बिलियन डॉलर का बजट घाटा है और वे इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते। यह एक तरफा व्यापार है। इसको समझने की आवश्यकता है।