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आरजे 13 को सीक्रेट रखने के लिए हर साल लगभग दो ट्रिलियन राशि खर्च करता था यूएसए-ईटली

न्यूयार्क। अगर हम जेएफके फाइल्स देखें तो सामने आता है कि अमेरिका सरकार ने एक आदेश जारी किया था, जिसको गोपनीय दस्तावेज कहा जा सकता है, में ईटली की कम्युनिस्ट सरकार के साथ सहयोग बढ़ाने तथा कम्युनिस्ट विचारधारा को मजबूत करने के लिए धन दिये जाने का आदेश दिया गया था।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के आदेश पर करीबन 80 हजार फाइल्स को जारी किया गया है, इसमें 26 मार्च 1964 का महत्वपूर्ण आदेश है। इस आदेश में लिखा गया है, क्रछ्व१३स्श्वष्टढ्ढञ्ज्र को ईटली की मदद से राज रखा जायेगा। आरजे 13 वाहन नंबर है। प्रधानमंत्री 2014 से लेकर आज तक 130 करोड़ देशवासी कहकर ही संबोधित करते हैं। आरजे 13 श्रीगंगानगर को आवंटित हुआ डीटीओ का कोड नंबर है।
अब 13 जब आता है तो बाबा नानक की हट्टी भी आ जाती है, जिसमें कहा जाता है कि बाबा नानक ने खुद आंंखें बंद कर ली थी और दुकान से तेरा ही तेरा कहकर दुकान से ग्राहक सामान ले जाते थे।
वहीं इस आदेश में सीआईए स्टाफ की नियुक्ति संबंधी आदेश हैं तो साथ ही लिखा गया है कि दुनिया में कम्युनिस्ट विचारधारा का प्रचार-प्रसार करने के लिए प्रयास किये जायें। इसमें लिखा गया है कि लाल पेंसिल की वजह से जॉन एफ कनैडी की मौत हुई, यह अफवाह दुनिया में फैलायी जाये।
वहीं यह भी लिखा गया है कि इटैलियन कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा वाली प्रेस का प्रसार पूरी दुनिया में किया जाये।
उल्लेखनीय है कि यूरोप और अमेरिका में इसक प्रसार करने के उपरांत यही विचाराधारा भारत में भी आयी। इटली निवासी सोनिया गांधी भारत में ही बहू बनकर आ गयीं। उन पर पूर्व में अनेक राजनीतिक दल एक जासूस होने का आरोप औपचारिक रूप से लगाते रहे हैं।
उसी सोनिया गांधी और इटली के दामाद राजीव गांधी की राजनीतिक हत्या हो गयी। इसका ठीकरा भी ‘लाल स्याही’ वाले पत्रकार पर ही फोड़ा गया। इससे पहले इंदिरा गांधी की भी राजनीतिक हत्या हुई। उस मामले में भी सिखों का नरसंहार किया गया। पंजाबियों को जहां देखा गया, वहां जला दिया गया।
इस तरह से इटली कम्युनिस्ट विचाराधारा का प्रचार-प्रसार किया गया। पत्रकारों को कोलकाता में ज्योति बसु वाली सरकार की यात्रा करवायी जाती। इस तरह से कई अन्य इलाकों में भी जैसे केरल आदि राज्यों में भी कम्युनिस्ट विचाराधारा ही पनपायी गयी। इस तरह से सैक्युलेर के नाम पर धर्म परिवर्तन करवाये गये और लोगों को गौमांस खिलाया गया।

1947 के बाद की क्रांति
1947 के बाद ही दुनिया में नयी क्रांति का संचार हुआ। इसको आर्थिकवाद का नाम दिया गया और धीरे-धीरे लोगों को भ्रमित करते हुए कम्युनिस्ट बना दिया गया। लोगों को इस बात का ज्ञान क्या अनुभव तक नहीं हुआ कि वे कठपुतली बनकर कार्य कर रहे हैं। अगर किसी को भी पता था तो वह अपराधी कहला सकता है।
खैर अमेरिका से हर साल 2 ट्रिलियन रुपये भारत आ रहे थे और इसका एक ही मक्सद था कि एक पत्रकार के खिलाफ माहौल को बनाया जाना है और उसको हर वक्त वंचित रखा जाना है।
अगर इस पत्रकार की पीड़ा को देखा जाये तो उसको तीन पुश्तों से उजाड़ा जा रहा था। लाहोर में ईंट भ_े का कारोबार बंद करवाकर तुरंत ही आजादी के नाम पर बंटवारे का फरमान जारी कर दिया गया। इसी तरह से श्रीगंगानगर के जिले आरजे 13 में लाया गया। यहां पर इतनी आंधी लायी जाती कि फसल चौपट हो जाती और परिवार यहां से उजडक़र लुधियाना चला गया। वहां उद्योग स्थापित किया गया। उद्योग को ही बंद करवा दिया गया।
वहां से उजडक़र फिर से श्रीगंगानगर आये और यहां पर पत्रकार के पिता को कपड़ा मिल में नौकरी दी गयी। कई साल की नौकरी के बाद दुकान के नाम पर किरयाना का व्यापार चलाया। इसके बाद जब पत्रकार का किशोर तक आगमन हुआ तो दुकान बंद करवा दी गयी। पत्रकार बनवा दिया गया। 1964 में देखा गया सपना 1996 में पूरा कर दिया गया। 32 सालों बाद अमेरिका ने एक अनजान आदमी को पत्रकारिता की दुनिया में ला दिया जिसके बारे में 30 या इससे भी पहले लिखा गया था।
नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी कर फिर इस पत्रकार परिवार को उजाड़ दिया और इसके बाद कई हमले और बहुत कुछ हुआ। आखिर में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का 2025 में आगमन हुआ तो भूली बिसरी बातें सामने आ गयीं और वह भी तथ्यों के साथ।

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