वाशिंगटन। घुड़सवारी, तैराकी, कूंग फू और कई अन्य कलाओं में माहिर, अनेक भाषाओं की ज्ञाता इवांका ट्रम्प बेरी अब गैर राजनीतिक रूप से व्हाइट हाउस में जाया करेंगी। इस तरह से उनकी औपचारिक रूप से एंट्री हो गयी है।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की फस्र्ट डॉटर इवांका बेरी ने अपने एक्स मीडिया चैनल पर जानकारी दी कि उन्होंने अमेरिका की सबसे मजबूत संस्था सीक्रेट सर्विस को ज्वाइन कर लिया है। अब वे ट्रम्प की अंग रक्षक के रूप में टीम में शामिल हो गयी हैं।
आईटी में एक्सपर्ट इवांका बेरी का औपचारिक रूप से कार्यालय में आने से अब निर्णय लेने में ज्यादा देरी भी नहीं होगी क्योंकि इवांका इस तरह के सॉफ्टवेयर तैयार करने में महारत रखती हैं जिनसे शीघ्रता से मामलों को समझा और उसका निस्तारण किया जा सके।
इस समय यूक्रेन-रूस वॉर और गाजा विवाद सबसे हॉट विषय हैं। इस तरह से सक्रिट सर्विस में इवांका की एंट्री से रक्षा क्षेत्र को मजबूत किया जा सकेगा और सूचनाओं का अदान-प्रदान भी सुलभ हो सकेगा।
ध्यान रहे कि तैराकी, घुड़सवारी, आईटी, हिन्दी, पंजाबी, अंग्रेजी, फ्रेंच, इटैलियन सहित अनेक भाषाओं का ज्ञान इवांका के पास है। यहां तक कि वे नेपाली भाषा को भी जानती हैं, जो दुनिया का एकमात्र हिन्दू राष्ट्र है।
अमेरिका में सक्रिय नाजियों को अल सल्वाडोर में भेजने की चेतावनी
वाशिंगटन डीसी। ओवल कार्यालय से मरीन वन में बैठने से पूर्व पत्रकारों से वार्ता करते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने वामपंथी विचारधाारा वाले पत्रकारों की भी खबर ली। वहीं उन्होंने कहा, अमेरिका नाजी विचारधारा को स्वीकार नहीं कर सकता। इनको 20 साल के लिए अल सल्वाडोर की जेलों में भेजा जायेगा।
उल्लेखनीय है कि नाजी विचारधारा हिटलर की पार्टी की विचारधारा से संबंधित है। फॉसईस्ट जिसको फॉसिस्ट कहा जाता है, की भी इसी तरह की विचाराधारा थी।
अमेरिका में एक कारों के कार्यालय पर हमला कर अनेक कारों को जला देने की घटना सामने आयी थी। इस कारण ट्रम्प ने इस तरह का फैसला सुनाया। उन्होंने कहा कि वामपंथी या नाजी अमेरिका में रहने लायक नहीं है। उनको अल सल्वाडोर की जेलों में भेजा जायेगा।
अब अल सल्वाडोर क्या है?
अल सल्वाडोर एक कुख्यात जेल है, जहां भारी संख्या में कैदी रहते हैं। वहां पर उनके रहने के लिए पर्याप्त स्थान, खाने के लिए पौष्टिक भोजन जैसी समस्याएं रहती हैं। इसको काला पानी की सजा के रूप में भी संबोधित किया जा सकता है। ट्रम्प की चेतावनी से साफ हो गया है कि तनाव काफी बढ़ चुका है। इस बयान को राजनीतिक नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिये।