श्रीगंगानगर। महंगाई के कारण देश में त्राहि-त्राहि मची हुई है। भारत गणराज्य की सरकार का मानना है कि हम तेजी से बढ़ती जनसंख्या हैं। इस मुद्दे की पड़ताल की जानी आवश्यक है।
भारत में गेेहूं का एमएसपी मात्र 2475 रुपये है। आटा मिल रहा है 4500 से 5000 रुपये प्रति क्विंटल। इस तरह से एक बड़ी राशि बीच में बंदरबांट हो रही है जिसको कालाबाजारी भी कहते हैं।
अब भारत सरकार कह रही है कि हमारी जीडीपी दुनिया में सबसे तेज है। क्या अडाणी, अम्बानी, बजाज, बिरला, टाटा आदि की तरक्की को देश की तरक्की माना जा सकता है?
देश के 1 प्रतिशत लोगों के पास 90 प्रतिशत धन है और यह बाकी बचे 10 प्रतिशत को भी छीनने का प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए प्राइवेट बैंकस, फायनेंस कंपनियों की बाढ़ आयी हुई है। यह कंपनियां लोगों को अपने जाल में फंसाकर मोटी ब्याज और रिकवरी के लिए बॉक्सर को भी हायर करती हैं।
दो बिंदुओं को पूरा करने के बाद अब आगे की चर्चा करे तो चार-पांच समूह की कंपनियों में सरकारी एजेंसियों यथा एलआईसी, बैंकस, सिप, ट्रस्टीज कंपनियों के पास लोगोंं की सम्पत्ति का पैसा बाजार में उतारा जा रहा है।
अगर शेयर बाजार ही विकास का सूचक है तो पाकिस्तान का सूचकांक 1 लाख के आकड़े को छू चुका है और भारत का 75 हजार के आसपास है। एक बार पहुंचा भी था 86 हजार के करीब किंतु फिर वापिस गियर लग गया। अब फिर से वही पुरानी कहानी आरंभ हो गयी हैं। राजनेताओं, अधिकारियों का हवाला का पैसा कंपनियों के शेयर्स खरीदने में लगाया जा रहा है।
अमेरिकी शेयर्स मार्केट में डूवजोंस का सूचकांक मंगलवार को भी 48 हजार के आसपास था। कराची स्टॉक एक्सचेंज 1 लाख 16 हजार के आसपास कार्य कर रहा था। नैस्डैक 18247 पर काम कर रहा है। फ्रांस का शेयर मार्केट 8178 पर था।
इस तरह से सरकार का शेयर बाजार में काल्पनिक तेजी को जो विकास कार्य बताया गया है, वह भी झूठा प्रतीत हो रहा है।
अब दूसरा पहलू देखें तो सामने आता है कि भारत में प्रति व्यक्ति आय करीबन 2 हजार डॉलर प्रति वर्ष है। अब हम पाकिस्तान की चर्चा करें तो वहां पर प्रति व्यक्ति आय औसतन 1750 यूएसए डॉलर है। इस तरह से भारत और पाकिस्तान की आय में मात्र 250 डॉलर का फर्क है। अमेरिका में प्रति व्यक्ति औसतन वार्षिक आय 90 हजार है। इसका अर्थ यह हुआ कि प्रत्येक माह 7 हजार डॉलर आय है। इस तरह से समझा जा सकता है कि भारत के तीन व्यक्तियों की औसतन आय और अमेरिका की सिर्फ एक व्यक्ति के बराबर है। यह वार्षिक आय है, जबकि अमेरिकन की आय प्रति माह है। इस मंत्र को ध्यान में रखा जाना चाहिये। फ्रांस, जर्मनी, ईटली आदि देशों में अमेरिका से कहीं कम आय है लेकिन भारत से कहीं ज्यादा है।
इस तरह का आकड़ा होने के बावजूद अमित शाह का दावा है कि उनकी सरकार अगले 20 सालों तक भारत में राज करेगी।