न्यूयार्क। तीन बरसों से यूक्रेन-रूस युद्ध चल रहा है, इस युद्ध को विराम देने के लिए अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ने पहल की थी किंतु इस समझौते में कई अन्य पक्ष भी धीरे-धीरे शामिल होने हो गये हैं। इस कारण समझौता वार्ता शायद ही सिरे चढ़ पाये।
डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि वे समझौता करवाना चाहते हैं। ट्रम्प के इस कदम को विश्व ने सराहा भी, किंतु इसमें चौथा पक्ष भी शामिल हो गया है।
सउदी अरब इस प्रकरण में मेजबानी कर रहा है। अरब के प्रिंस के साथ ट्रम्प के दामाद जैरेड कुशनर के व्यापारिक संबंध भी हैं। वहीं यूक्रेन में सउदी तथा पूर्व राष्ट्रपति बाइडेन के पुत्र का भी निवेश किया हुआ है। इस तरह से अनेक पक्ष में जुड़ रहे हैं।
इस युद्धवार्ता के जरिये राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश की जा रही है और दुनिया का ध्यान भटकाया जा रहा है।
अगर ट्रम्प को वार्ता करनी है तो वे तीसरे पक्ष को स्थान नहीं देकर सीधे युक्रेन-रूस के प्रतिनिधियों को अपने देश में बुलाएं।
इस तरह से ट्रम्प के दामाद को सीधा लाभ नहीं होगा और न ही विश्व की राजनीति में नया मौड़ आयेगा।
अब तक जो वार्ता हुई हैं, उनके मिनिट्स को जारी नहीं किया गया है। इन मिनिट्सि को सार्वजनिक किया जाये। इससे पारदर्शिता सामने आयेगी। नहीं तो यह सम्मेलन चाय वार्ता के तहत ही सम्पन्न हो जायेंगे।
विश्व को कोई नया लाभ नहीं होगा। ट्रम्प को गोल्फर बनने के साथ एक ऐसा राजनीतिक व्यक्तित्व भी बनना चाहिये जो ड्राइव सीट पर बैठकर सबकुछ खुद हैंडल करें। जैलेंस्की को भी विचार करना चाहिये कि अगर उनकी खोई हुई जमीन ही नहीं मिलेगी तो इस समझोते का क्या अर्थ होगा।
जो राज्य रूस ने जीत लिये हैं, उन्हें भी समझौते के तहत वापिस किये जाने चाहिये। जो सैनिक हैं, उनकी तत्काल रिहाई की व्यवस्था करनी चाहिये। वहीं मास्को को भी इस पर विचार करना चाहिये कि उनके राष्ट्रपति का बयान सार्वजनिक किया गया था कि वह सउदी प्रिंस के साथ अपने संबंध को समाप्त कर चुके हैं।
अब जो सउदी अरब का प्रिंस कह रहे हैं, उन बिंदुओं पर ही चर्चा हो रही है। इस तरह से पहले जो वार्ता हुई हैं, उनके मिनिट्स को बहाल किया जाये। जनता तक पहुंचाये जायें। सार्वजनिक किये जायें और ट्रूथ या अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर राष्ट्रपति या उनकी स्पैशल टीम सदस्य इवाने कॉमन को इस संबंध शामिल किया जाये। जो सैनिक बंदी हैं, उनकी रिहाई के लिए हुई शर्तों पर भी कुछ होना चाहिये।
जो 80 हजार पृष्ठ जेएफके के पेश किये गये हैं, उनमें अधिकांश में महत्वपूर्ण स्थानों पर स्याही से प्रभावित किया गया है। इस तरह से यह समझौता एक यर्थाथवादी नहीं हो सकता और भविष्य में नये युद्ध के लिए स्थान खुला रहेगा।