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चीन की बुढ़ी होती आबादी और भारत में ऑटिज्म!

नई दिल्ली। चीन में आबादी लगातार बढ़ रही है लेकिन बुढ़ापे की। बुढ़ापा आबादी हर दिन बढ़ रही है और सीनियर सिटीजन का लाभ प्राप्त करने वाले हर रोज बढ़ रहे है। दूसरी ओर भारत में ऑटिज्म की जनसंख्या और उसके इलाज के लिए अभी तक कोई भी नियम नहीं बनाया गया है।
चीन इस समय दुनिया का सबसे बुढ़ापे वाला देश बन गया है। हालांकि चीन ने अब एक संतान की शर्त को वापिस ले लिया है लेकिन कहते हैं न कि जब साबुन ही नहीं होगा तो नहाया कैसे जायेगा?
इस तरह से अधिक संतान का विकल्प तो दिया गया लेकिन..देरी के बाद। दूसरी ओर भारत देश को देखा जाये तो यहां पर ऑटिज्म बच्चों की संख्या कितनी है? ओटीआईजिम इस रोग के बारे में पूर्व में काफी लिखा जा चुका है किंतु इन बच्चों की संख्या की गिनती करवाने के लिए तैयार नहीं है।
इसी कारण जनगणना के कार्य को टाला जा रहा है। अनेक राज्य और राजनीतिक दल इस मुद्दे को भी राजनीति की तरह लेना चाहते हैं और इसका नाम जातिगत जनगणना रखा गया है।
जातिगत के नाम पर तो देश बंट गये। अभी भी यह मत है। इसको सरल भाषा में दुनिया के सामने रखा जाये कि मोदी सरकार ऑटिज्म बच्चों की संख्या की गिनती करवाने से भाग रही है। वह जनगणना को भी नहीं करवाना चाहती है।
अगर यह मामला सुर्खियों में आता है तो निश्चित रूप से मोदी सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित होगी। ऐसा नहीं है कि आपसे बच्चे छीन लिये जायेंगे, ऐसा भी नहीं है कि आपसे पैसे की मांग की जायेगी, किंतु ऑटिज्म बच्चों की संख्या सामने आनी चाहिये। उसको सार्वजनिक किया जाना चाहिये।
मंदिरों, गुरुद्वारा, चर्च और आश्रमों, मदरसों में बाबाओं ने विभूति दी है तो ऐसे बाबाओं को सामने लाने की जिम्मेदारी सरकार की सीधे तौर पर बनती है। अगर वह जनगणना नहीं करवाकर देश की जनता को धोखा देना चाहती है तो इसके परिणाम भी गंभीर हो सकते हैं, क्योंकि जनगणना ही मुद्रा स्फीति की दर, सरकारी सहायता सहित अन्य मामलों को सीधे तौर पर प्रभावित करती है।
जब सरकार आकड़े ही दुनिया को पेश नहीं करना चाहती। अगर ऑटिज्म के आकड़े सामने आते हैं तो शिक्षा क्षेत्र को भी बदला जा सकता है।
अभी तक ऑटिज्म बच्चों के बारे में कक्षाओं में कुछ नहीं पढ़ाया जाता और जो बच्चे सीधे ऑटिज्म से प्रभावित हुए हैं, उनका इलाज भी करवाना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिये अथवा सरकार को ऐसे बच्चों के लिए शिक्षा का उचित प्रबंध करना चाहिये।

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) की पहचान किए गए बच्चों की संख्या संयुक्त राज्य अमेरिका में समय के साथ बढ़ी है। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) द्वारा किए गए नवीनतम अनुमानों के अनुसार:

  • 2023 के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 36 बच्चों में से 1 बच्चे (या 2.8%) की पहचान ऑटिज्म के साथ हुई है। यह अनुमान 8 वर्षीय बच्चों के स्वास्थ्य और विकासात्मक स्थितियों पर आधारित है जो 2020 में एकत्र किए गए थे।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह आंकड़ा केवल उन बच्चों को दर्शाता है जिनकी पहचान ऑटिज्म के साथ हुई है। वास्तविक संख्या थोड़ी अधिक या कम हो सकती है क्योंकि कुछ बच्चों का निदान नहीं हो पाता है। इसके अलावा, ऑटिज्म की व्यापकता अलग-अलग अध्ययनों और आबादी में थोड़ी भिन्न हो सकती है।

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