नई दिल्ली। भारत सरकार ने जहां प्राइवेटकरण करते हुए बैंकों और एलआईसी के शेयर्स स्टॉक मार्केट में उतारे थे। अब एक ऋणग्रस्त कंपनी, जिस पर 2 लाख करोड़ से ज्यादा का ऋण है, में हिस्सेदारी खरीदेगी।
वोडाफोन ब्रिटिश कंपनी है तो आइडिया कंपनी कुमार मंगलम बिरला की है। हालांकि वोडाफोन में भारतीय कांग्रेस की हिस्सेदारी होने की जानकारी सामने आयी थी। कुछ कांग्रेसी नेताओं ने ब्रिटेन की इस कंपनी में शेयर्स खरीदकर इसे अपनी बेनामी सम्पत्ति बना लिया था। हैरानीजनक बात यह है कि ग्वालियर के सैक्टर नंबर 11 पर संबंधित कंपनियों के डायरेक्टर्स के नाम कई कंपनियां हैं।
शैल कंपनियों का एक समूह है। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता ओम बिरला इस समय लोकसभा के अध्यक्ष हैं और वोडाफोन ब्रिटिश अर्थात कांग्रेस के नेताओं की बेनामी सम्पत्ति है।
समाचार एजेंसी रॉयटर के अनुसार भारत सरकार वोडाफोन आइडिया में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाएगी। कंपनी की ओर से रविवार को दी गई नियामकीय सूचना में बताया गया कि उसने स्पेक्ट्रम नीलामी के बकाया 369.5 अरब रुपए (4.3 अरब डॉलर) को इक्विटी में परिवर्तित करके अपने शेयर लगभग 48.99 प्रतिशत कर लिए हैं।
संचार मंत्रालय ने वोडाफोन आइडिया को 10 रुपये प्रति शेयर के भाव पर 36.95 बिलियन शेयर जारी करने का निर्देश दिया है, फाइलिंग में कहा गया है, जिससे सरकार की हिस्सेदारी 22.6 प्रतिशत से बढ़ जाएगी। एलएसईजी डेटा के अनुसार, सरकार पहले से ही दूरसंचार कंपनी में सबसे बड़ी शेयरधारक है। दिसंबर में कंपनी ने तरजीही शेयरों के निर्गम के जरिए 19.80 अरब रुपये जुटाने की योजना की घोषणा की थी। सितंबर 2024 तक, ऋणग्रस्त कंपनी का कुल ऋण 2.16 लाख करोड़ रुपये था, जिसमें सरकार को देय आस्थगित स्पेक्ट्रम भुगतान दायित्व भी शामिल है।
इस रिपोर्ट से साफ हो गया है कि वोडाफोन आइडिया ने स्पैक्ट्रम खरीद के लिए भुगतान नहीं किया था और वह उपभोक्ताओं को सेवाएं जारी रखे हुए थे। इस तरह से सरकार की इस कंपनी पर कृपा बनी हुई थी और इस कंपनी का भविष्य डावांडोल नजर आ रहा है क्योंकि कंपनी पहले अलगअलग थीं और फिर इसे एकीकृत किया गया। दोनों कंपनियों के विलय के बाद भी कंपनी रिलायंस जियो, एयरटेल के बराबर नहीं आ सकी।
कंपनी पर ऋण का भार बढ़ रहा था और सरकार ने इस ऋण को माफ करते हुए कंपनी में शेयर खरीद लिये। ध्यान रहे कि इस कंपनी में बिरला सीमेंट, सरिया वाले कुमार मंगलम बिरला, जो बीमा कंपनी भी चलाती है, भी डायरेक्टर हैं।
दिल्ली के लुटियंस इलाके में कुमार मंगलम बिरला और ओम बिरला के बीच रिश्तों को लेकर पूर्व में ही चर्चा होती रही है और अब सरकार ने एक कदम आगे बढ़ाया है। बीएसएनएल को मजबूत करने के स्थान पर उसके बराबर की एक और कंपनी को खड़ा किया जा रहा है, वह भी इस कारण कि कंपनी स्पैक्ट्रम और ऋण का भुगतान नहीं कर पा रही थी। अब जो घाटा होगा, सरकार को होगा। संभव है कि अगले कुछ समय में 10 प्रतिशत शेयर और खरीदकर सरकार इसको टेकओवर कर ले और जो जिम्मेदारियां कंपनी के संस्थापकों की थीं, उनको मुक्त कर दिया जाये।