न्यूयार्क। इस समय दुनिया भर में चर्चा का जो विषय बना है, वह ईरान और अमेरिका के बीच विवाद है। रूस-चीन एक हो गये हैं। अमेरिका अपने सहयोगियों के साथ है और यूक्रेन ने युद्ध समझौता से बाहर आने के संकेत दिये हैं। यूक्रेन नाटो में शामिल होने की मांग कर रहा है।
परमाणु हथियारों को लेकर अमेरिका और ईरान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। सउदी अरब ने कहा है कि वह ईरान या ग्लफ के किसी भी देश पर हमला होने की सूरत में जमीन, हवा और विमान के परिवहन से संबंधित कोई मंजूरी नहीं देगा।
वहीं अमेरिका अपने टैंकों, बखतरबंद वाहनों और मिसाइलों को विशेष रेलगाडिय़ों की मदद से एशिया तक ला रहा है। एक तरफ इजरायल और ईरान का विवाद है तो दूसरी ओर ताईवान पर एक बार फिर से चीन ने दावा करते हुए युद्धाभ्यास आरंभ कर दिया है।
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि यह अभूतपूर्व स्थिति है। इससे पहले किसी भी इस तरह की स्थिति को नहीं देखा गया था।
महाभारत काल का शंखनाद बजने वाला है क्योंकि कोई भी देश झुकने को तैयार नहीं है। अमेरिका एक बार पुन: अपने पारंपरिक मित्रों कनाडा, पश्चिमी यूरोप के साथ मिलकर रणनीति बना रहा है।
इस तरह की स्थिति को देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता कि कोई भी देश इस युद्ध से स्वयं को बाहर रख पायेगा। ताइवान के एक अधिकारी का कहना था कि हर दिन गुजरने के साथ स्थिति खराब हो रही है। इसी तरह का हाल मध्य पूर्व का है। वहां पर भी ईरान टारगेट पर है और सभी पश्चिमी देश मिलकर ईरान को जब टारगेट करेंगे तो चीन उसकी मदद के लिए आ सकते हैं।
बेइजिंग और मास्को ने आपसी भाईचारा और आपात स्थिति को एकजुट होकर लडऩे का एलान कर दिया है। इस तरह स्थिति खराब होती जा रही है।
ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या वास्तव में कोई युद्ध को टाल सकता है। विश्व युद्ध को टालने का मंत्र सिर्फ एक व्यक्ति के पास है और वह नेता अपनी जिद छोडऩे को तैयार नहीं है।