श्रीगंगानगर। मुसलमान दो प्रकार के होते हैं। एक वह मुसलमान जो अपने रब्ब को मानता है और उसकी अराधना करता है। दूसरा मुसलमान वो होता है जो दुनिया में कट्टरपंथी के रूप में जाना जाता है।
भारत देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद को हिन्दुओं का सबसे बड़ा नेता के रूप में पेश करते हैं किंतु जब उनको अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा करनी हो तो सउदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को पेश कर दिया जाता है।
भारत में वे नरेन्द्र मोदी हैं किंतु विश्व में वे मोहम्मद बिन सलमान हैं जो क्राउन प्रिंस है। कतर के शासक को तीसरे लोक से आये व्यक्ति के रूप में जाना जाता है। इस तरह से जो कट्टरपंथी है, वह मुसलमान राजनीति में कहलाता है।
अब इन राजनीतिक मुसलमानों को हेय की दृष्टि से देखा जाता है क्योंकि इन लोगों को टूल बनाया गया और आतंकवादी की जो भी घटना विश्व में होती उसके लिए उनको दोषी ठहराया जाता। इसके लिए आईएसआई और रॉ दोनों मिलकर काम करते थे।
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहले संविधान में संशोधन कर इंडो-एंग्लो का आरक्षण रद्द कर दिया। इंडो एंग्लो अर्थात जो तीसरे लोक से आये परिवार के वंश हैं, उनको ब्रिटेन ने यह उपाधि दी थी और पूरे भारत की विधानसभाओं, राज्यसभा और संसद में उनको अधिकार दिये थे।
इसी तरह से वक्फ बोर्ड बनाया गया था जो 1913 में लिखा गया कानून था। इसमें मुसलमानों को कुछ अधिकार दिये गये थे और हुआ यह कि बुधवार को संसद में परिवर्तन कर उनसे यह अधिकार छीन लिया गया। अमित शाह और नरेन्द्र मोदी ने मिलकर यह अधिकार छीन लिया और इसमें अन्य दलों का भी सहयोग रहा।
अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देखा जाये तो इस संविधान से वे मुसलमान अर्थात पंजाबी कम्यूनिटी के अरोड़ा, खत्री जो मार्शल कौम मानी जाती है और उसको राजनीतिक भाषा में मुसलमान कहा जाता है, के अधिकार को छीन लिया गया। यह लाभ ब्रिटेन ने दिया था। जो जानते थे वे अपना हिस्सा चुपकर ले गये।
रोंहिग्या इसका उदाहरण है। गाजा इसकी पहचान है कि अरोड़ा-खत्री-सिखों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुसलमान कहा जाता है। वे उन मुसलमानों की बात नहीं करते जो सुबह-शाम रोजगार के लिए विचार करते हैं। इनके लिए मुसलमान का अर्थ वे हैं जो कट्टरवादी पंजाबी हैं।