न्यूयार्क। प्राचीन काल में भगवान शिव का एक अनन्य भक्त हुआ और उसने महादेव को प्रसन्न कर एक ऐसी शक्ति हासिल कर ली जो किसी भी व्यक्ति के सिर पर हाथ रखते ही उसको भस्म कर देती थी। इस तरहसे उसने अनेक लोगों को भस्म कर दिया। उसका नाम ही भस्मासुर हो गया। उसने भगवान को ही भस्म करने की कोशिश की तो भगवान शिव की महिमा ने उसे अपने सिर पर हाथ रखने पर मजबूर कर दिया। इस तरह से भस्मासुर का अंत हो गया।
अमेरिका का स्टॉक मार्केट भी 2022 से लेकर 2024 तक भस्मासुर बना हुआ था। बाइडेन-कमला हैरिस प्रशासन स्टॉक मार्केट पर अमेरिकी कानून लागू ही नहीं कर पाया और काल्पनिक तेजी आ गयी। भारत-फ्रांस की तरह। शेयर बाजार में दो गुणा से भी ज्यादा हो गया और कुछ सैक्टर जैसे आईटी में तो कई गुणा वृद्धि हो गयी।
वहीं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2 अप्रेल को मुक्ति दिवस घोषित किया और वैश्विकस्तर पर टैरिफज को लागू कर दिया। डब्ल्यूटीओ के बाद नये सिरे से टैक्स की सरंचना की गयी।
नया टैरिफज लागू होते ही पूरी दुनिया में हडक़म्प मच गया। अमेरिकी स्टॉक मार्केट दो दिन के भीतर 5 ट्रिलियन डॉलर गिर गये। यह इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है। इस तरह से भस्मासुर को अपने ही सिर पर हाथ रखवाकर स्टॉक मार्केट में सुधार के लिए कदम रखा है।
स्टॉक मार्केट का क्रैश होना अर्थव्यवस्था का क्रैश होना नहीं होता।
इस विषय पर पढ़ाया गया हर शब्द गलत है। अगर स्टॉक मार्केट ही वृद्धि दर का आधार होती तो पाकिस्तान कब का एक लाख सूचकांक पार कर गया है और अमेरिका का मुख्य शेयर बाजार 40 हजार के आसपास ही काम कर रहा है। भारत का भी स्टॉक मार्केट 75 हजार के करीब है।
अमेरिका की आईटीज कंपनी की मार्केट वैल्यू दो दिन के भीतर 5 ट्रिलियन डॉलर तक गिर गयी है।
अर्थव्यवस्था में चल रहे उतार-चढ़ाव के बीच न्याय विभाग ने अमेरिका में सक्रिय एमएस 13 (ए,सी) गैंग को आतंकवादी घोषित किया हुआ है। गैंग के एक प्रमुख लीडर को भी गिरफ्तार कर लिया तो दूसरी मस्क का कहना है कि उसके कार बाजार को कुछ लोग जबरन निशाना बना रहे हैं।
वहीं सवाल यह भी है कि जब तक अमेरिका में सुधार नहीं होते तब तक अन्य देशों के बाजार भी प्रभावित होते रहेंगे। सटोरिये अनेक खातों का संचालन करते हुए अमेरिका आदि देशों में भी शेयर्स की खरीद-फरोख्त के संबंध में कार्य करते हैं।