श्रीगंगानगर। भारतीय अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाने के लिए बहुत सी विदेशी एजेंसियां सक्रिय रहती हैं। खासकर बॉर्डर इलाके में। यहां पर एजेंसियां स्लिपर सैल तैयार करती हैं। बदले में लाखों डॉलर का बंटवारा होता है। यह सारा पैसा हवाला कारोबार के जरिये इधर से उधर घूमता है।
अमेरिका ने हाल ही में कहा है कि वह विदेशों में भेजी जाने वाली फंडिंग को रोक रहा है। यह रोक 6 माह के लिए जारी रहेगी। इसके पश्चात परीक्षण किया जायेगा और आवश्यक हुआ तो उन देशों को विदेशी सहायता दी जायेगी, जो वास्तव में इसके हकदार हैं।
अगर हम श्रीगंगानगर जिले की चर्चा करते हैं तो सामने आता है पाक का बॉर्डर। इस कारण जिले में देशी और विदेशी दोनों ही एजेंसियां हर समय सतर्क रहती हैं। विदेशी ताकतों की गणना की जाये तो ब्रिटेन की एसआईएस एजेंसी भी शामिल है।
वर्ष 1947 को आजादी देकर ब्रिटिश शासन यहां से औपचारिक रूप से चला गया लेकिन अनोपचारिक रूप से आज भी उसका हस्ताक्षेप है। ब्रिटिश राजघराना आज भी कॉमनवेल्थ का अध्यक्ष है और इसमें भारत, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा आदि देश शामिल हैं।
एसआईएस भारत और पाकिस्तान दोनों ही इलाकों में सक्रिय रहती है। हालांकि अमेरिका की खुफिया एजेंसियां और इजरायल की एजेंसीज भी सक्रिय हैं। इस तरह से देश-विदेश की अनेक खुफिया एजेंसियां ‘बॉर्डर’ की हर हलचल पर नजर रखती हैं।
दर्जनों खुफिया एजेंसीज के कारण हवाला कारोबार भी यहां पर फलता-फूलता है। हैरानी तब होती है जब उन लोगों का नाम सामने आता है जो प्रतिष्ठित पदों के स्वयं को हकदार मानते हैं। शासन-प्रशासन के पास भी इन हवाला कारोबारियों की पूरी जानकारी होती है किंतु यह गुप्त संदेश के जरिये एजेंसीज के साथ शेयर नहीं की जाती है।
अमेरिका से आने वाला हर साल का अरबों रुपये बंद हो गया है लेकिन ब्रिटेन ऐसा देश है, जो फ्रांस, इटली आदि के साथ मिलकर उसकी क्षतिपूर्ति कर सकता है। इसलिए बॉर्डर पर हलचल को ध्यान में रखे जाने की आवश्यकता है।
ब्रिटेन तो अमेरिकी फंडिंग को रोके जाने के लिए तैयार ही नहीं था। ब्रिटेन-अमेरिका के बीच बढ़ती दूरियों का एक कारण यह भी है कि अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति परंपरागत ब्रिटेन का दौरा करते हैं लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प ने इस परंपरा को तोड़ दिया है। वे ब्रिटेन के दौरे पर नहीं गये हैं।
ब्रिटेन का राजशाही परिवार भले ही यह स्वीकार करता हो कि वह ‘बदल’ रहा है लेकिन अभी तक ऐसा कोई भी कार्य सामने नहीं आया है, जिससे अनुमान लगाया जा सके कि इंग्लैण्ड अब इस दौड़ में नहीं है। किंग चाल्र्स कैंसर रोग से पीडि़त हैं। इसके उपरांत भी वह एमएस-13 में पूरी रुचि ले रहे हैं।
भारत शासन भले ही दावा करता हो कि वह प्रवर्तन निदेशालय के माध्यम से हवाला कारोबार पर नियंत्रण पा रहा है लेकिन जब एमएस-13 की सूची देखी जाती है तो उसमें अनेक ब्यूरोक्रेट्स के साथ-साथ मीडिया जगत के लोग भी नजर आते हैं। ऐसे लोग ज्यादा प्रभावशाली हैं।
अनेक ब्यूरोक्रेट्स वर्षों नहीं दशकों से यहीं जमे हुए हैं। इसका कारण भी है कि विदेशी समर्थन ऐसे अधिकारियों को प्राप्त होता है। मीडिया के लोगों तक अप्रत्यक्ष रूप से राशि पहुंच जाती है। इस तरह की सच्चाई के सामने आने के बाद यह नहीं कहा जा सकता है कि वास्तव में ईडी बॉर्डर या देश को सुरक्षित करने के लिए पूरी ताकत लगा रही है।
श्रीगंगानगर इतना संवेदनशील हो चुका है कि यहां पर ईडी, रॉ, आईबी जैसे कार्यालयों को क्रमोन्नत करने की आवश्यकता हो गयी है। कुछ भारतीय एजेंसीज के अधिकारी बड़ी घटनाओं को भी संक्षिप्त रूप से रिपोर्टिंग करते हैं। इस कारण रिपोर्टिंग की पूरी जानकारी भी सरकार तक पहुंच ही नहीं पाती है। इस ढर्रे को बदले जाने की आवश्यकता थी लेकिन यह भी बदला नहीं गया।
शासन-प्रशासन के पास सभी हवाला कारोबारियों के नाम, पते, जाति आदि सब दर्ज है। इसके उपरांत भी अगर वह आंखें बंद किये हुए है तो इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता है।