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मोदी सरकार की नीतियां और प्राइवेट फायनेंस का जाल

श्रीगंगानगर। नरेन्द्र मोदी सरकार की नीतियां हैरान कर देने वाली है। सरकार चाहती है कि वह 20-50 बड़े उद्योगपति स्थापित कर दिये जायें और अनौपचारिक रूप से वह देश को चलाएं।
प्रधानमंत्री बनने के उपरांत विदेशी काला धन को भारत लाने का एलान करने वाले नरेन्द्र मोदी ने देश को प्राइवेट सैक्टर के हवाले कर दिया है और जब आपदा का समय आता है तो उस समय हिन्दू कार्ड आरंभ कर दिया जाता है। देश की जनता यह देख चुकी है और उसको अनुभव हो चुका है।
अगर पिछले 11 सालों की फायनेंस सैक्टर की नीतियों को देखा जाये तो सामने आता है कि सरकार ने उद्योगपतियों के भी तीन-चार ग्रेड बना दिये हैं और उसी भरोसे देश को प्रगति की राह पर चलना मान लिया है।
सोना, शेयर बाजार में तेजी के भरोसे सरकार मान रही है कि वह सही पथ पर है। दोनों ही सैक्टर में अडाणी का दबदबा माना जाता है और अब तो कई और ऐसे चेहरे सामने आ रहे हैं, जो अडाणी को भी मात देते हैं।
सरकार की नीतियां ब्यूरोक्रेट्स की तरह मनायी गयी हैं। ए श्रेणी, बी और सी श्रेणी की कैटगरी की तरह उद्योगपतियों को उसी राह पर डाला है। अगर सरकार की पिछले एक दशक की नीतियों को देखा जाये तो इस पर मुहर लगती है।
मोदी प्रशासन ने ए श्रेणी में करीबन 50 उद्योगपतियों को शामिल किया है और इसके बाद दूसरी श्रेणी में राज्यों स्तर पर बनायी गयी है और तीसरी श्रेणी जिलास्तर पर गठित की गयी है। ए श्रेणी वाले उद्योगपतियों में गौतम अडाणी, मुकेश अम्बानी, रतन टाटा, बजाज फायनेंस, जिंदल स्टील सहित कुछ नाम शामिल हैं। बी श्रेणी में राज्यों में ‘सेठ’ बनाये गये हैं। इसी तरह से सी श्रेणी बनायी गयी है जो जिलास्तर पर कार्य करती है।
अगर इस समाचार की पुष्टि करने के लिए कहा जाये तो हमारे सामने बजाज फायनेंस का नाम सामने आ जाता है। पांच सालों के भीतर ही कंपनी ने अपने स्टॉक मार्केट को कई गुणा बढ़ा लिया है। 24 अप्रेल 2020 को इस कंपनी के शेयर मात्र 1720 रुपये के आसपास टे्रड कर रहे थे। आज की तारीख को देखा जाये तो यह 9305 रुपये में प्रति शेयर बिक रहा है। इसके दामों में 7 हजार रुपये से अधिक की बढ़ोतरी को दर्ज किया गया है।
हाल ही में डोनाल्ड ट्रम्प की नीतियों के कारण अनेक देशों में शेयर प्रभावित हुए किंतु भारत में 85 हजार से 72 हजार प्वांइट तक लुढक़ने वाले बॉम्बे स्टॉक मार्केट को फिर से सरकारी एजेंसियों के माध्यम से संजीवनी दी जा रही है। शेयर बाजार वापिस तेजी के दौर में आ गया है। यह काल्पनिक तेजी बनायी गयी है।

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