श्रीगंगानगर। बांग्लादेश में सत्ता परिवतर्नन के बाद खुलासा हुआ था कि वहां भारत निजी सैक्टर के साथ मिलकर परमाणु संयंत्र की स्थापना कर रहा था। नये प्रशासन ने वह काम बंद करवा दिया था। देश या संविधान को बिना जानकारी दिये भारत सरकार प्राइवेट सैक्टर को परम अणु सौंपने की तैयारी कर रही थी।
अब ताजा मामला तो और भी खतरनाक है। भारत में सात ऊर्जा परमाणु संयंत्र हैं। इन सभी संयंत्रों को भी प्राइवेट सैक्टर को सौंपने की तैयारी की जा रही है।
राजस्थान, तमिलनाडू, कर्नाटक, गुजरात आदि राज्यों में ऊर्जा के लिए 7 संयंत्र बनाये गये थे और उनमें 22 रिएक्टर को शामिल किया गया। वहीं हरियाणा-गोरखपुर के बीच भी ऊर्जा संयंत्र स्थापित करते हुए वहां पर प्रथम व द्वितीय परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित किये जा रहे हैं।
रॉयटर्स के अनुसार भारत सरकार परियोजनाओं में अपनी 49 फीसदी हिस्सेदारी प्राइवेट सैक्टर को देने की तैयारी कर रही है। उल्लेखनीय है कि प्राइवैट सैक्टर में विद्युत ऊर्जा के सभी या अधिकांश टेंडर गौतम अडाणी को ही दिये जा रहे हैं।
भारत जैसे देश, जहां पर सिस्टम को नजरांदाज कर देश को चलाया जाता हो, वहां पर परमाणु संयंत्र प्राइवेट सैक्टर को देना क्या उचित है।
अगर यह ऊर्जा गलत हाथों में चली गयी तो पता भी नहीं चलेगा कि कुछ क्षणों के भीतर कितने लोगों की मौत हो सकती है।
भोपाल गैस कांड को भूला नहीं जा सकता, वहां पर भाग्य से परमाणु ऊर्जा नहीं थी और इस कारण मौतों की संख्या कम रही लेकिन फिर भी हजारों लोग प्रभावित हुए थे।
खबरों में यह बताया जा रहा है कि भारत सरकार 100 गीगा वॉट का उत्पादन इन परमाणु ऊर्जा संयंत्रों से करनी चाहती है। ध्यान रखने योग्य बात यह भी है कि विशेष बच्चों के कम उम्र में ही सफेद बाल और चश्मा भी एक कारण है।