श्रीगंगानगर। अगर पिछले 10 सालों को देखा जाये तो विदेश-देश में नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में जो सोचा वह किया। आरएसएस या विपक्षी दल उनके कार्य में हस्ताक्षेप नहीं कर पाये। आंदोलन की रणनीति नहीं बना पाये, यहां तक 8 नवंबर 2016 की नोटबंदी भी इसमें शामिल है।
अब हालात बदल रहे हैं। जातिगत जनगणना को ही देखा जाये तो कांग्रेस-भाजपा में श्रेय लेने की होड़ लगी है। दोनों पक्ष इसे अपनी जीत बता रहे हैं। अब जाति आधारित जनगणना का जो कार्य होना है, वह वास्तव में है क्या।
जाति आधारित जनगणना का अर्थ है कि हरि साया अर्थात सूर्यवंशी संतान कितनी है। इसको अब रिकॉर्ड में इन्द्राज किया जायेगा। यह 50 साल में पहली बार होगा जब सरकार सूर्यवंशियों की संतान के बारे में जानकारी हासिल करने का प्रयास करेगी।
वहीं जाति आधारित जनगणना के लिए सात समुन्द्र पार से फोन आया और इस कार्य की घोषणा कर दी गयी।
अब राजनीतिक दल श्रेय लेने के लिए प्रयास कर रहे हैं, जबकि जिसने इस कार्य को करवाया, वो शांत हो गये हैं और उन्होंने कहा ही नहीं कि हम भी इसमें हिस्सेदार हैं। श्रेय हमें भी मिलना चाहिये।
एक माह में दो बार मुलाकात
प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी कभी आरएसएस मुख्यालय गये हों, यह सामने नहीं आया था। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी कभी मोदी से मिलने के लिए नहीं गये थे। अब हालात बदल गये हैं। नरेन्द्र मोदी पहले आरएसएस मुख्यालय गये और 100 वर्ष की स्थापना समारोह में शिरकत की। इसके बाद दो दिन पूर्व प्रधानमंत्री आवास पर भी बैठक हुई। यह बैठक पहलगाम आतंकी हमले के बाद हुई है।
ट्रम्प के 100 दिनी समारोह में गाजा नदारद
न्यूयार्क। राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने कार्यकाल 2.0 के सौ दिन पूरे कर लिये हैं। इस उपलक्ष्य में जनसभा हुई जहां लाखों लोग एकत्र हो गये। भारी भीड़ के बीच ट्रम्प ने बताया कि किस तरह से दक्षिण बॉर्डर सुरक्षित हो गया है और वहां पर मुठभेड़ में 75 प्रतिशत तक कमी आ गयी है।
राष्ट्रपति ट्रम्प ने अपने दूसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे करने के बाद अपनी उपलब्धियों को दुनिया के सामने रखा। इस दौरान यूक्रेन ने अपने खनिज लवणों का खनन करने के लिए यूएसए के साथ समझौता कर लिया।
रूस के ब्लादीमिर पुतिन भी चाहते हैं कि युद्ध विराम स्थायी रूप से हो और जी-7 तथा संयुक्त राष्ट्र संघ ने जो प्रतिबंध लगाये हैं, उनको तत्काल हटाया जाये। इस तरह से कुछ शर्तें हैं, जिन पर रूस आगे बढऩा चाहता है।
वहीं विशेष मामला गाजा का है। गाजा में अभी तक प्रत्यक्ष रूप से शांति नहीं हो पायी है। हमास और उनके कबीलेदार आज भी सक्रिय हैं। गाजा में शांति नहीं हो पाना इस बात की ओर संकेत है कि अभी येरूशलम को काफी सहायता की आवश्यकता है। हमास के साथ कुछ विदेशी संगठन भी शामिल हैं, इस कारण वह कमजोर हीं हो पा रहा है।