श्रीगंगानगर। भारत में इस समय पाकिस्तान के साथ चल रहे तनाव के बीच चर्चा हो रही है कि क्या भारतीय सेना १९७१ के बाद पाकिस्तान में प्रवेश करेंगी अर्थात युद्ध आरंभ होगा।
भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध से पहले अंतरराष्ट्रीय हालात पर भी नजर डालनी आवश्यक हो जाती है। आतंकवाद को समर्थन के कारण पाकिस्तान को भारत सरकार ने अपने मित्र सदस्यों की मदद से ग्रे लिस्ट में शामिल करवा दिया था। इससे पाकिस्तान में आर्थिक संकट आ गया और उसकी करंसी के दाम एक डॉलर के बदले २८० रुपये हो गये।
भारत सरकार की जो मदद करते आ रहे देश या नेता हैं, उनमें अमेरिका, रूस और फ्रांस शामिल हैं। अमेरिका और फ्रांस नाटो के सदस्य देश भी हैं या संस्थापक भी हैं।
अब नाटो संगठन के सदस्य देश अटलांटिक महासागर में युद्धाभ्यास कर रहे हैं। भारत गणराज्य अरब सागर में युद्धाभ्यास कर रहा है। इस तरह से एक्सरसाइज चल रही है।
सवाल यह है कि नाटो किसका सहयोग करेगा?
भारत सरकार के पास भी विश्व की टॉप-५ में शामिल सेना है। इसके उपरांत भी सहयोगी देशों की तरफ देखना पड़ रहा है। इसका कारण क्या हो सकता है, यह खोजना आवश्यक हो जाता है।
वहीं भारत का इतिहास देखा जो तो महाराजा रणजीत सिंह और सम्राट अशोक चंद्र शामिल हैं।
सम्राट अशोक को तो हम आज भी जीवित रखे हुए हैं। भारत सरकार ने एक कैडर बनाया हुआ है, इस कैडर में सम्राट अशोक के स्तंभ को लगाया जाता है। उसमें ऊर्जा का संचार किया जाता है कि वे आवश्यकतानुसार युद्ध करें।