न्यूयार्क। भारत में कश्मीर के उड़ी तथा पठानकोट कैंट में हुए आतंकवादी हमलों के बाद अमेरिका के डोनाल्ड ट्रम्प 1.0 तथा रूस के ब्लादीमिर पुतिन ने पूर्ण समर्थन दिया था। इस कारण सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक को अंजाम दिया गया था।
वहीं 22 अप्रेल 2025 को पहलगाम में हुई घटना में 26 लोगों की निर्मम हत्या के बाद भारत सरकार फिर से पाकिस्तान में स्ट्राइक करना चाहती है। कश्मीर में पाकिस्तान सीज फायर का उल्लंघन कर रहा है।
भारत गणराज्य की सरकार अमेरिका के डोनाल्ड ट्रम्प और रूस के ब्लादीमिर पुतिन का समर्थन चाहती है। दोनों राष्ट्राध्यक्ष किसी भी तरह की सैन्य कार्यवाही के पक्ष में नहीं है। भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने यूएसए के अपने समकक्ष पीट हेगसेथ से वार्ता भी की किंतु उनको स्ट्राइके संबंध में ठोस आश्वासन नहीं मिल पाया।
दूसरी ओर रूस में 8-9 मई को दूसरे विश्व युद्ध में मिली जीत के लिए जश्र मनाया जा रहा है। इसमें चीन के शी जिनपिंग को भी बुलाया गया है और अन्य राष्ट्रों को भी आमंत्रण पत्र भेजा गया है।
भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री इसमें शामिल नहीं हो रहे हैं क्योंकि पुतिन प्रशासन ने भारत को प्रथम पंक्ति में स्थान नहीं देने की बात क्लीयर कर दी थी और भारत के प्रतिनिधि को दूसरी पंक्ति में बैठाया जायेगा। मतलब साफ है कि पुतिन इस बार भारत के साथ परंपरागत सहयोग नहीं कर रहे हैं। जनवरी में रूसी राष्ट्रपति को भारत आना था, वह भी नहीं आ रहे हैं।
ट्रम्प अपने संबोधन में साफ कर चुके हैं कि वे हिन्दुओं का मान-सम्मान करते हैं। उनको अपना मानते हैं लेकिन भारत सरकार की कुछ नीतियों के कारण ट्रम्प भी इस बार सहयोग देने के लिए ठोस आश्वासन नहीं दे रहे हैं। वे दूर से ही अपील कर रहे हैं कि दोनों देश संयम बरतें। मतलब साफ है कि स्ट्राइक या युद्ध दोनों में अमेरिका का समर्थन हासिल नहीं होगा।
भारत में एक तरफ मोदी सरकार पर दबाव है तो दूसरी ओर मजबूत समर्थन हासिल नहीं हो रहा है। इस तरह से भारत सरकार की विदेश नीति पर फिर से सवाल खड़े हो रहे हैं।
आंतरिक नीति पर भारत सरकार ने अपने पुराने निर्णय को अचानक बदल दिया और जाति गत जनगणना का आदेश दे दिया। दूसरी ओर कॉमनवेल्थ में नामजद कांग्रेस नेता सुरेश कल्माड़ी को भी क्लीन चिट मिल गयी। इस तरह से भारत सरकार घरेलू स्तर पर भी समर्थन जुटाने का प्रयास कर रही है।
मोदी सरकार को कई मोर्चों पर लड़ाई लडऩी पड़ रही है। एक तरफ भारत सरकार पर घरेलू कर्जा बढ़ रहा है जो दो ट्रिलियन डॉलर के करीब हो गया है। यह कुल जीडीपी को 70 प्रतिशत या उसके आसपास का है।
कुल मिलाकर जो हालात हैं, वह भारत सरकार की विदेश नीति के अनुरूप नहीं हैं। नरेन्द्र मोदी ने 3.0 की सरकार संभालते ही 2.0 वाले नेताओं को वही पद्भार पुन: सौंप दिया। वे उसे अपना सफल कार्यक्रम तो बता रहे थे किंतु चेहरे वही होने के कारण जनता को लग ही नहीं रहा है कि वह चुनाव के लिए लम्बी लाइन में लगकर मतदान करके आयी है।
अमेरिका ने अपना राष्ट्रीय सलाहकार बदला, रूबियो संभालेंगे कमान
वाशिंगटन डीसी। अमेरिका ने अचानक ही अपने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को बदल दिया है। 21 जनवरी को पद्भार संभालने वाले राष्ट्रपति ने विदेश मंत्री मार्क रूबियो को एनएसए नियुक्त किया है। निवर्तमान एनएसए वॉल्टेज को संयुक्त राष्ट्र संघ में विशेष दूत नियुक्त किया है।
उल्लेखनीय है कि भारत गणराज्य की सरकार ने दो दिन पहले अपने राष्ट्रीय सलाहकार बोर्ड का पुनर्गठन करते हुए रॉ के पूर्व चीफ को यह जिम्मेदारी दी थी। उनके बाद पाकिस्तान ने भी बदलाव किया और खुफिया एजेंसी आईएसआई के चीफ को एनएसए नियुक्त कर दिया था।
इस तरह से तीन प्रमुख देशों ने एनएसए में बदलाव किया है। हालांकि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ही हैं।
ध्यान रहे कि 22 अप्रेल को कश्मीर के पहलगाम में हुई घटना के बाद से दुनिया भर के हालात बदले हुए हैं। भारत सरकार पर दबाव है कि वह बदले की कार्यवाही को करे।