श्रीगंगानगर। भारत गणराज्य में जनमत संग्रह का प्रावधान नहीं है। आज तक ऐसा कोई निर्णय सामने नहीं आया है, जो जनता ने देश हित में लिया हो, क्योंकि जनता को यह अधिकार दिया ही नहीं गया। प्रधानमंत्री कुर्सी पर बैठा एक व्यक्ति कोई भी निर्णय ले सकता है और सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई भी सुनवाई से स्वयं को अलग कर सकते हैं।
इंग्लैण्ड ने यूरोपिय यूनियन से बाहर आना था तो उस समय जनमत संग्रह करवाया गया था और उसके आधार पर ब्रेक्जिट संभव हो पाया था। जनता ने फैसला लिया था कि वह अपनी पहचान खुद बनाना चाहते हैं और यूरोपीयन यूनियन से अलग रहना चाहते हैं।
यह वो ताजा मामला है, जो जनमत संग्रह से सामने आया था। उससे भी पहले अनेक बार जनमत संग्रह से विभिन्न देशों की सरकार ने निर्णय लिये हैं। इस तरह से यह नहीं कहा जा सकता कि यह नया विचार है। यह विचार दशकों या सदियों पुराना है। अमेरिका में भी अनेक ऐसे निर्णय सरकार ने लिये हैं जो जनमत के माध्यम से सामने आये थे।
कश्मीर के पहलगाम में 26 लोगों के मारे जाने की जानकारी सरकारी स्तर पर दी गयी थी। इस वारदात के बाद वीर रस से भरे शब्द सामने आये थे कि दोषियों को माटी में मिला दिया जायेगा। तीन-चार दिन तक ऑपरेशन संदूर चला और फिर सात समुन्द्र पार अमेरिका से आवाज आयी कि डोनाल्ड ट्रम्प ने दोनों देशों को युद्ध बंद करने के लिए कहा है। युद्ध हुआ तो अमेरिका के साथ कोई व्यापार नहीं।
ट्रम्प की चेतावनी के बाद युद्ध रूक गया और इसकी जानकारी भी राष्ट्रपति ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म से दुनिया को दी।
अब नरेन्द्र मोदी की असली परीक्षा होने वाली है। उन्होंने सोमवार रात को 8 बजे देश को बताया कि युद्ध स्थगित किया गया है, बंद नहीं। अब लोहे को बार-बार तो गर्म नहीं कर सकते। जो जनता की भावनाएं आरएसएस दुनिया के सामने लाया था, वह वापिस नहीं जा सकती। ऐसा कोई फार्मूला ही नहीं है कि भावनाओं को वापिस लिया जाये। शब्द तो वापिस लिये जा सकते हैं, जिसके लिए सॉरी शब्द का इस्तेमाल किया जाता है।
बिहार विधानसभा चुनाव होने हैं और उसके साथ ही 56 ईंच का सीना या फौलाद जैसा जिगर शब्द इस विधानसभा चुनाव में सुनाई नहीं दें, यह शब्द 11 साल तक काम करते रहे हैं।
साफ दिखाई दे रहा है कि नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता में भारी कमी आ गयी है।
जब अभिनंदन का विमान के्रश हुआ था वह पाकिस्तान की जेल में थे तो उस समय भी ट्रम्प ने ही समझौता करवाया था और अभिनंदन को तुरंत जेल से बाहर निकालकर स्वदेश भिजवाया गया था। राष्ट्रपति उस समय सिंगापुर में किम जोंग उन अर्थात उत्तरी कोरिया के राष्ट्रपति के साथ वार्ता कर रहे थे। उन्होंने कहा था, जल्दी ही इंडिया को बड़ी खबर मिलने वाली है और उसके कुछ क्षण बाद अमेरिकी आदेशों पर अभिनंदन को बाहर निकाला गया। सम्मानपूर्वक वह भारत वापिस लौटे।
पहलगाम का बदला लेने के लिए सभी राजनीतिक दलों से वार्ता करने का दावा किया गया था किंतु युद्ध समाप्ति का निर्णय एक व्यक्ति ने लिया।
आतंकवादी अभी भी आजाद हैं, जिन्होंने पहलगाम वारदात को अंजाम दिया था। अब बिहार विधानसभा चुनाव को जनमत की आवाज माना जायेगा और देखा जायेगा कि मोदी के निर्णय से बीजेपी की लोकप्रियता में गिरावट तो नहीं आ गयी।
दूसरी ओर छोटे राजनीतिक दल जैसे हनुमान बेनीवाल की पार्टी है, उनको सर्वदलीय बैठक में भी नहीं बुलाया गया था।
अब निर्णय लिया गया तो उस समय किसी भी राजनीतिक चेहरे के साथ सार्वजनिक मंच पर चर्चा नहीं की।