श्रीगंगानगर। एशिया के सबसे अमीर शख्स मुकेश अम्बानी गुरुवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मिलने के लिए कतर की राजधानी पहुंच गये। ट्रम्प और अम्बानी पूर्व में बिजनेस पार्टनर रहे हैं, इस कारण राष्ट्रपति के साथ उनका हैंडशेक भी हुआ। एकांत में हुई बातचीत का भी हल नहीं निकला और ट्रम्प ने साफ कर दिया कि अमेरिकी कंपनी एप्पल भारत में अपना प्लांट बंद करे। 500 बिलियन का निवेश अमेरिका में किया जाये।
भारत गणराज्य की सरकार और अमेरिका प्रशासन के बीच पिछले छ: माह से हालात सामान्य नहीं है। यह एक कड़वी सच्चाई है कि रूस, अमेरिका, फ्रांस, चीन मौजूदा सरकार का साथ छोड़ रहे हैं। गणराज्य को संभालने वाली सरकार पर गंभीर दबाव है। इस दबाव को इस तरह भी समझा जा सकता है कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश के कुछ स्थानों के नाम बदल दिये। तुर्कीये खुलकर पाकिस्तान के समर्थन में आ गया है।
नरेन्द्र मोदी ने स्वयं को एक दशक के भीतर ब्रांड बनाया था और अब वे अवतारी पुरुष भी बनने वाले थे लेकिन अमेरिका के साथ उनका विवाद गहरा गया। भारत के साथ अमेरिका नाराज नहीं है बल्कि मौजूदा सरकार की नीतियों से वह प्रसन्न नहीं है।
माहौल को बदलने के लिए नरेन्द्र मोदी सरकार ने एक बड़ा गेम खेला। अपने नजदीकी मित्र मुकेश अम्बानी को याद किया गया। अम्बानी और ट्रम्प फैमिली पूर्व में बिजनेस पार्टनर रहे हैं और विवाह-समारोह आदि में दोनों फैमिली का आना-जाना भी लगा रहता है। इवांका अम्बानी के छोटे बेटे के विवाह में शामिल हुई थीं।
अम्बानी कतर भी पहुंच गये। ट्रम्प से हाथ मिलाते का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल किया गया। कुछ बातचीत हुई जो रिकॉर्ड नहीं हो सकी। वहीं कतर से रवाना होने से पूर्व डोनाल्ड ट्रम्प ने पत्रकारों के साथ वार्ता करते हुए अरब जगत से मिले निवेश प्रोत्साहन के लिए बयान दिया।
वहीं उन्होंने सीधा भारत का नंबर मिला दिया। उन्होंने कहा, गत दिवस एप्पल के सीइओ उनसे मिले थे और बताया था कि वे 500 अरब डॉलर का निवेश इंडिया में करने वाले हैं। ट्रम्प ने कहा, मैंने उन्हें मना कर दिया। अब एप्पल भारत में निवेश नहीं करेगा।
राष्ट्रपति ट्रम्प के बयान से साफ है कि अम्बानी को अपना दूत बनाकर नरेन्द्र मोदी ने भेजा था, वह योजना विफल हो गयी है।
ट्रम्प ने अम्बानी को भी नजरांदाज किया। इससे साफ है कि ट्रम्प जिन शर्तों पर मोदी सरकार के साथ वार्ता करना चाहते हैं, वे उससे कम पर सहमत नहीं हो रहे हैं। भारत की कोई भी शर्त वे मानने या सुनने को तैयार नहीं है।
राजनीति का चेहरा बदल रहा है। आपको याद होगा कि जब मोदी का प्रथम कार्यकाल था तो उस समय ईराक-सीरिया आदि में केरल की नर्सों को बंधक बना लिया गया था। उस समय विदेश मंत्री सुषमा स्वाराज थीं। सरकार के प्रयास विफल हो गये तो उस समय मुकेश अम्बानी आदि ने अपने चैनल का इस्तेमाल किया था और इसका असर यह हुआ कि केरल नर्सेज सुरक्षित भारत पहुंच गयीं।
उसी तरह का चैनल अब फिर से मोदी चलाना चाहते थे ताकि उनकी शर्तों पर अमेरिका वार्ता के लिए तैयार हो। मोदी को ट्रम्प तीसरे देश में वार्ता के लिए भी कह रहे हैं, लेकिन निष्पक्ष स्थल पर भी वार्ता नहीं हो पायी है।
आज डोनाल्ड ट्रम्प और रूस के ब्लादीमिर पुतिन के बीच तर्कीये में वार्ता होनी थी किंतु यह टल गयी। इस वार्ता के जरिये तीनों पक्ष अमेरिका, रूस और कीव तीन सालों से चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए हल निकाल सकते थे लेकिन वार्ता विफल होने के कारण अब यह माना जा रहा है कि समझौता को समय लगेगा।
गंगा मां के पवित्र जल की तरह सच यह भी है कि म्यांमार जैसा छोटा देश भी रूस-अमेरिका दोनों के लिए महत्वपूर्ण बना हुआ है।