
श्रीगंगानगर। अगर देश के गांवों की तस्वीर देखते हैं, तो पलायन एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आता है और इसका खामियाजा शहरी क्षेत्र को भी भुगतना पड़ता है जब झुग्गी-झोपड़ी का निर्माण कर वहां रहने को मजबूर हो जाते हैं और उनको नित्य प्रक्रिया के लिए भी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है।
श्रीगंगानगर से दिल्ली जाने वाली रेलगाडिय़ां शकूर बस्ती से होकर निकलती हैं और उस बस्ती में झोपडिय़ों के अलावा कुछ नजर नहीं आता। रेलवे की जमीन पर निवास किया जाता है और उनके लिए सामाजिक सुरक्षा का दायित्व शायद सरकार को नजर नहीं आता है।
ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के अवसर बहुत ही कम होते हैं। सरकारी स्तर पर ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना अर्थात नरेगा का संचालन किया जाता है किंतु इसकी मजदूरी बहुत कम है। यहां तक कि सरकारी स्तर पर घोषित मजदूरी से भी आधा वेतन प्राप्त होता है और साल में केवल 100 दिन का रोजगार दिये जाने का प्रावधान है।
जब मजदूर पलायन करता है तो शहरी क्षेत्र में अनेक प्रकार की समस्याएं सामने आ जाती है। उनके लिए आवास, रोजगार, स्वास्थ्य, कानून-व्यवस्था सब पर असर पड़ता है। शायद सरकार गरीबों को अपना मतदाता, नागरिक आदि मानती नहीं है। संभवत: इसी कारण 70 सालों से भी अधिक समय से लगातार पलायन का दौर चल रहा है।
गांवों के भीतर 24 घंटे बिजली, स्वच्छ पेयजल, रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं होने के कारण घर से दूर जाने का सबसे कठोर निर्णय लिया जाता है। यह निर्णय आसान नहीं होता, लेकिन उनके पास कोई उद्देश्य भी नहीं होता। उनको लगता है कि शहर जाकर वे एक मकान और स्वावलंबी जीवन जी सकते हैं। जाति-पाति के भेद से दूर हो सकते हैं, लेकिन यह इतना आसान नहीं होता।
शहरों में आने वाले मजदूरों के आवास, रोजगार की व्यवस्था सरकार ने नहीं की होती। इस कारण यह समस्या मजदूरों और सरकार दोनों के लिए नासूर बन जाती है।
इस समस्या का समाधान एक ही है कि गांवों में रोजगार और मानव संसाधनों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक बड़े निवेश की योजना को तैयार किया जा सके।
सभी के घरों में शौचालय की योजना तो तैयार की गयी थी किंतु यह योजना झुग्गियों के लिए नहीं बनायी जा सकी है और इस कारण दिल्ली, मुम्बई, बंगलोर और अन्य मैट्रोज सिटी के लिए सबसे ज्यादा परेशानी करने वाली समस्या है।
असंगठित क्षेत्र से होने के कारण इनकी आवाज सरकार तक या संसद तक भी नहीं पहुंच पाती। देश में ग्लोबल डेटा के अनुसार 32 करोड़ परिवारों के पास अपना घर नहीं है। यह एक गंभीर समस्या है। इस ओर सरकार का ध्यान जाना चाहिये ताकि एक पारदर्शी और निर्णायक योजना को तैयार किया जा सके।