न्यूयार्क। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर से पाकिस्तान को युद्ध की तैयारियों को लेकर चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि अगर भारत के साथ पाकिस्तान का युद्ध होता है तो वह दोनों देशों के साथ कोई व्यापारिक समझौता नहीं करेंगे।
राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा, पाकिस्तान की टीम अमेरिका के साथ डील करने के लिए आ रही है। उसके अधिकारियों के साथ समझौता करने से पहले भारत-पाक युद्ध की किसी भी संभावना को लेकर सवाल किये जायेंगे। अगर पाक संतोषजनक जवाब नहीं देता है तो डील नहीं होगी।
ट्रम्प ने कहा, हम भारत को भी युद्ध के लिए रोकेंगे। भारत भी यूएसए के साथ समझौता करने के लिए वार्ता चला रहा है और इंडिया को हम युद्ध से दूर रहने के लिए कहेंंगे।
उल्लेखनीय है कि 31 मई यानी कल ही भारत देश ने मॉक ड्रिल की थी और ब्लैक आउट की रिहर्सल आम आदमी को करवायी गयी थी। उधर पाकिस्तान के सैन्य अधिकारी ने कहा है कि हमने बॉर्डर से सेना को हटा लिया है और उसको वहां भेजा जा रहा है जहां वे पहले थीं।
राफेल को लेकर सेना खुश नहीं
भारत और पाकिस्तान गणराज्य के बीच जो हवाई युद्ध हुआ, उसमें पाक के मुकाबले भारत को ज्यादा नुकसान हुआ। राफेल को जिस तरह का माहौल बनाया गया था और एडवांस टैक्नोलॉजी बताया गया था, युद्ध के समय वह धोखा दे गया।
भारत के सैन्य अधिकारी भले ही इस बयान को देने से बचने का प्रयास कर रहे हैं कि कितने विमान को नुकसान हुआ, लेकिन वायुसेना प्रमुख ने अपनी नाराजगी व्यक्त की है।
भारत के पास परमाणु हथियार थे और जब भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल को तैनात किया और उसके फायर पाकिस्तान में हुए उस समय पाक ने युद्ध विराम की गुहार अमेरिका के समक्ष लगायी थी। भारत ने अमेरिका की बात को स्वीकार कर लिया। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ही सबसे पहले युद्ध विराम की घोषणा की थी।
भारत इस समय पांचवीं पीढ़ी के युद्धक विमानों से दूर है। युद्ध के समय ही भारत सरकार को याद आया कि राफेल का सोर्स कोड भी लेना है और पेरिस ने वह कोड नहीं दिया। अगर सोर्स कोड को उस समय ही ले लिया होता जब युद्धक विमानों को खरीदा गया था तो शायद नुकसान कम होता।
वायुसेना के प्रमुख ने भी कहा, इस तरह के हथियार खरीद के लिए पॉलिटिकल पर्सन सौदे कर रहे हैं, उसमें समय पर आपूर्ति नहीं होगी, इससे नुकसान होता है और यह सेना की तैयारियों को प्रभावित करता है।
यूक्रेन के बाद अमेरिका से भी लौटना होगा भारतीय छात्रों को
यूक्रेन में हजारों भारतीय छात्र मेडिकल की शिक्षा ग्रहण कर रहे थे और तीन साल पहले युद्ध आरंभ हुआ तो इसके बाद वहां से छात्रों को निकाल लिया गया। अब अमेरिका में भी प्राइवेट एज्युकेशन सेंटर्स की जांच चल रही है। हारवर्ड विश्वविद्यालय को सरकारी सहायता बंद कर दी गयी है। इस विश्वविद्यालय में सबसे ज्यादा चीनी, दूसरे नंबर पर कनाडा और तीसरे नंबर पर भारतीय छात्र हैं। करीबन 6 हजार छात्र यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे हैं। इनमें अधिकांश को स्कॉलरशिप भी मिल रही थी।
दुनिया भर के बच्चों के बारे में जांच की जा रही है और जो छात्र कॉलेज के समय परिसर में नहीं होते थे, उनको अब डिपॉर्ट किया जा रहा है। पांच लाख ऐसे लोगों को डिपॉर्ट किया जा रहा है जो अप्रवासी थे। अवैध इमीग्रेशन से आये थे। इनके लिए जहाज तैयार किये जा रहे हैं। पहले मामला कोर्ट में अटक गया था किंतु अब संघीय अदालत ने इसकी मंजूरी प्रदान कर दी है।