
श्रीगंगानगर। अगर विश्व की भागौलिक किताबों को पढ़ा जाये तो इतिहासकार पढ़ाते हैं कि रूस आज भी दुनिया का सबसे बड़ा देश है। भले ही सोवियत संघ का विभाजन हो गया हो। वहीं कनाडा को दूसरे और अमेरिका को तीसरे स्थान पर प्रदर्शित किया जाता है।
अब ब्रिटेन का छुपा हुआ एजेंडा किसी ने नहीं पढ़ा, क्योंकि आज भी हर सातवें दिन किसी न किसी देश के स्वतंत्रता दिवस होता है जिसने ब्रिटिश हुकूमत से आजादी प्राप्त की थी।
अब अगर हम आज की भागौलिक स्थिति को देखें तो ब्रिटेन आज भी पंजाब को अपना मालिक मानता है और उसका मानना है कि अमृतसर उसकी मलकियत है। यूएस के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जब इंडियन को वापिस भेजा तो उसी अमृतसर में लोगों को उतारा, जिसको ब्रिटेन अपनी सम्पत्ति मानता है। लोगों के हाथों में हथकढ़ी थी। उनके पैर भी बंधे हुए थे और इसी तरह से उनको 40 घंटे में अमेरिका से अमृतसर पहुंचाया गया। इसमें गुजरात के भी लोग थे, जो पीएम का गृहनगर है।
यह उस रणनीति का हिस्सा है, आज तक भारत सरकार ने ब्रिटेन सरकार के साथ आजादी के संबंध में हुए दस्तावेजों को सार्वजनिक नहीं किया है। क्यों नहीं किया गया, यह हर आम व खास की जानकारी के लिए आवश्यक था कि आजादी के लिए भारत को क्या-क्या कीमत चुकानी पड़ी है। किस प्रकार की आजादी मिली है। इंग्लैण्ड क्या पूरी तरह से भारत की सम्पत्ति को भारत के हवाले कर चुका है।
राज स्थान रा राजेरा कोई चालकी तो नहीं कर गये हैं। सवाल अनेक थे और इन सभी का उत्तर मिलना चाहिये था।
अब सवाल यह है कि राजाओं की आपसी रंजिश का परिणाम आज भी जारी है।
नया मामला देखा जाये तो सामने आता है कि ग्रेट ब्रिटेन आज भी दुनिया का सबसे बड़ा देश है। ब्रिटेन का राजशाही परिवार आज भी दुनिया का सबसे बड़ी मलकियत रखता है।
ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड, कनाडा, अफ्रीका और आर्यलैण्ड, स्कॉटलैण्ड आज भी उसकी सम्पत्ति हैं। इस तरह से देखा जाये तो पूर्व, मध्य, उत्तर और दक्षिण चारों दिशाओं में ब्रिटेन का राज शामिल है। भारत का कुछ समुन्द्र इलाका आज भी ब्रिटिश-इंडिया टैरेटरी कहलाता है।
दूसरी ओर देखा जाये तो रूस भी बड़ा है, लेकिन वह ब्रिटेन के मुकाबले छोटा है क्योंकि उसकी दिशा चारों दिशाओं में नहीं है। इस तरह से वह सबसे बड़ा दिखाया गया लेकिन वह दूसरे नंबर पर है। तीसरे नंबर पर संयुक्त राज्य है ही। इस तरह से इतिहास में बहुत सारा हेरफेर किया गया है और जो बुलंद विश्व की बुलंद तस्वीर दिखायी जाती है, वह होती नहीं है।
लेबनान और सीरिया के आतंकवादियों में संघर्ष, नार्वे और श्रीलंका के समूह भी शामिल
श्रीगंगानगर। मध्य एशिया के लेबनान और सीरिया में सक्रिय आतंकवादियों में आपसी संघर्ष तेज हो गया है। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि 100 से ज्यादा आतंकवारी मारे जा चुके हैं। यह समूह नार्वे और श्रीलंका में भी एक्टिव रहा है और उसके स्लिपर सैल को इन क्षेत्रों में देखा गया है।
विश्व में तीन और स्थानों पर संघर्ष को देखा जा रहा है। मणिपुर में मतैई और कुकी समाज के बीच संघर्ष चल रहा है तो करीबन 21 महीने बाद कुछ शांति का माहौल रहा था, अब फिर से मणिपुर में भारी तनाव पैदा होने की जानकारी दी गयी है।
मतई और क्यूकी के बीच काफी समय से तनाव बना हुआ है और गोलीबारी की घटनाएं भी हो चुकी है। बफर जोन में मीतियो के जाने पर रोक लगायी गयी है।
वहीं लेबनान और सीरिया में भी आतंकी समूहों का आपसी संघर्ष चल रहा है। इसमें कम से कम 100 से अधिक लोग मारे गये हैं और अनेक जने प्रभावित हुए हैं, जैसा की मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है।
वहीं यूकेरन और राशि या के बीच संघर्ष लगातार जारी है। राशिया के मास्को की ओर की ओर से अभी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ वार्ता के लिए तारीख निर्धारित नहीं की गयी है।
दूसरी ओर यूके (ब्रिटेन का राजशाही परिवार और सत्ता)और ईटली, फ्रांस जैसे देश अभी भी यूकेरन की मदद करने के लिए पूरी तरह से तैयार दिखाई दे रहे हैं।
यूके का टूल बनकर यूकेरन क्या संदेश दे रहा है?
श्रीगंगानगर। दुनिया में इस बात की चर्चा हो रही है कि यूकेरन का क्या होगा। यूरोपीय यूनियन के देश मसलन यूके, फ्रांस, कनाडा आदि उसका खुलकर साथ दे रहे हैं।
यूके्रन का आरोप है कि राशिया ने उस पर कब्जा कर लिया। उसके क्रीमिया शहर पर कब्जा कर लिया और इस समय डॉन बान में युद्ध चल रहा है। तालि बान के लड़ाके भी इस युद्ध में देखे गये हैं।
मास्को को वासु कॉ गा मा ने तो नहीं तलाशा था लेकिन इसका इतिहास भी 14वीं या इससे पूर्व का बताया गया है।
वहीं अब दोनों देश जिनकी सांस्कृतिक विरासत और भाषा एक है, युद्ध पर उतारू हैं।
अमेरिका ने यूकेरन को सहायता का प्रस्ताव दिया था। शांति वार्ता का आह्वान भी किया था किंतु यूकेरन के ब्लादीमिर जैलेनसखी यूके की गोद में जाकर बैठ गये। अब यूके-फ्रांस नहीं चाहते कि युद्ध समाप्त हो, इसलिए वह यूक्रेन को सहायता देने का वादा कर रहे हैं।