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अंतरिक्ष वैज्ञानिक कस्तूरीरंगन का विवादित बिल को लेकर बवाल

श्रीगंगानगर। भारत गणराज्य की सरकार किस तरह से अपने ही देश के बच्चों का शोषण करने की तैयारी कर रही है, इसका प्रमाण नई राजकीय भाषा नीति है, जिसको ईसरो के पूर्व कथित अध्यक्ष कस्तूरीरंगन ने तैयार किया है।
1985 की शिक्षा नीति जो राजीव गांधी ने तैयार की थी, उसके स्थान पर नयी नीति का अगला पड़ाव राजकीय भाषा को लेकर सामने आया है और यह नीति इतनी खतरनाक है कि भारतीय बच्चे शायद 40 साल की उम्र तक भी नहीं पहुंच पायेंगे।
एक खतरनाक लेकिन दिल डरा देने वाली सच्चाई सामने आयी है। नयी नीति में कहा गया है कि पांच या अधिकतम आठ साल के बच्चों का एक कंसोल अर्थात समूह को तैयार किया जायेगा, जो टाइटेनिक से संबंधित हों अर्थात जिनके अंदर अणु शक्ति मौजूद हो।
अणु शक्ति का यहां पर अर्थ हो जाता है जो सूर्यवंशी हो। जिनको आईवीएफ से प्राप्त संतान भी कहा जाता है। इस नयी नीति के कारण उस व्यक्ति को वापिस भेजा जायेगा, जो हमारे बीच में परम अणु के रूप में मौजूद है और उसके स्थान पर पांच-आठ साल के बच्चों का समूह तैयार होगा।
इस तरह से इस खतरनाक नीति को समझने की आवश्यकता है। किस तरह से मासूम बच्चों का खून पीने की नीति को तैयार किया गया। इससे बच्चे कुपोषण का शिकार होंगे और शायद 40 साल की उम्र तक वे स्वयं को लाचार महसूस करेंगे। इनकी अधिकतम आयु भी यही हो सकती है। इस बिल को लेकर तमिलनाडू में बचाव मचा हुआ है लेकिन हिन्दी भाषी राज्यों जहां पर कांग्रेस-भाजपा की सरकार है, वहां पर शांति है क्योंकि मौसेरे भाई-बहन की यही कहानी है।

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