श्रीगंगानगर। मणिपुर मामला हो या यूक्रेन, दोनों ही मामलों में नरेन्द्र मोदी भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री के रूप में अपनी व अपनी सरकार की जिम्मेदारी को तय नहीं कर पा रहे हैं।
मणिपुर में गत दो वर्षों से हालात हिंसक बने हुए हैं और वहां पर आये दिन हिंसा की खबरें आ रही हैं। इस तरह के हालात में सरकार को हटा दिया गया किंतु जिस व्यक्ति को राज्यपाल की जिम्मेदारी दी गयी है, वह गृहमंत्रालय के ही सचिव हैं। अजय कुमार भल्ला सालों तक गृह मंत्रालय में रहे और अब उनको आंतरिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य की जिम्मेदारी दी गयी है।
हालांकि गृह का अर्थ बदल जाता है और इसको नक्षत्र के रूप में देखा जाता है। नक्सअत्र के रूप में देखा जाता है और नक्सअत्र का अर्थ हो जाता है भविष्यफल। अब जिस राज्य का भविष्यफल ही खराब चल रहा हो और जो भारत का दिमाग माना जाता हो, उस राज्य की दिशा और दशा खराब है।
पीएम के रूप में मोदी ने कभी मणिपुर हिंसा प्रभावित राज्य की यात्रा नहीं की। आंत रिक मामलों के मंत्री अमित शाह भी इस प्रकरण में अपनी भूमिका को तय नहीं कर पाये हैं। इस तरह से मोदी-शाह की जोड़ी आंत रिक मामलों को ज्यादा गंभीरता नहीं दे रहे हैं और उनका टारगेट आने वाले राज्यों के चुनावों पर है।
दूसरी ओर देखा जाये तो सामने आता है कि अमेरिका ने यूक्रेन के मामले में दो बार सीधे तौर पर पीएम मोदी को संबोधित किया है और कहा है कि इस समस्या का समाधान निकालने के लिए उनको बेहतर प्रयास करने चाहिये।
व्हाइट हाउस को नजरांदाज नहीं किया जा सकता, भले ही उनके अमेरिकन आईआईटीयान नजदीकी हों लेकिन फिर भी यूएसए कभी भी इस बात को नजरांदाज नहीं कर सकता कि यूकेरन पर मोदी अपनी स्थिति से भाग जायें।
हालांकि इस संवाददाता ने जब भी यूके अर्थात उत्तराखण्ड की यात्रा की है, उसके साथ अनहोनी अवश्य हुई है। पिछले दो दशक के कारण जब भी वहां की यात्रा की है, उसके दस्तावेजों को चोरी कर लिया जाता है जो उसकी पहचान से संबंधित हो। हाल ही में ऋषिकेश की यात्रा के दौरान भी उस वॉलेट को पार कर लिया गया जिसमें मतदाता पहचान पत्र, आधार, लाइसेंस आदि शामिल थे। इस तरह से उत्तर अखण्ड भी अशांत है और वहां पर यात्रा करना कभी भी सुखद संयोग नहीं रहा है।
मोदी को यूक्रेन के मामले में अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना करना पड़ रहा है तो वे यूरोप के अपने मित्रों की मदद से बचने का प्रयास कर रहे हैं। रूस के ब्लादीमिर पुतिन ने तो अब मोदी की जिम्मेदारियों को अपने कंधों पर लेने से इन्कार कर दिया है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प चाहते हैं कि मोदी पूर्व की स्थिति को बहाल करें और उन क्षेत्रों की नाकाबंदी को हटाकर फेयर चुनाव करवाएं और ईसी को स्वतंत्र संस्था के रूप में कार्य करने दें।