न्यूयार्क। आईटी के नाम पर दुनिया भर के डाटा का सेल-पर्चेज और अंतरिक्ष की ताकतों के आधार लोगों के मस्तिष्क पर कब्जा कर चुके ट्रिलियनर्स अब राजनीति के लिए भी भस्मासुर बन गये हैं।
इस संवाददाता ने जो भी लिखा है सदैव उसका एक आधार रहा है। वह आधार वही है जिसके दावे पर देश को तीसरी या चौथी इकॉनॉमी पॉवर बनाये जाने के लिए कहा जाता है।
तस्वीर देखिये अमेरिका में 2021 में सत्ता परिवर्तन के बाद किस तरह से दुनिया ही बदल गयी और अमीर-गरीब के बीच खाई बढ़ती चली गयी।
2020 में एलन मस्क को शायद 10 प्रतिशत लोग भी नहीं जानते थे। मस्क के पास 24.6 बिलियन डॉलर की सम्पत्ति थी। यह रियल टाइम डाटा बेस के अनुसार है। अमेरिका में चुनाव हुए और सत्ता बदल गयी। दुनिया में पर्यावरण परिवर्तन के नाम पर ईवी वाहनों का प्रयोग बढ़ाये जाने पर जोर दिया जाने लगा और इसके लिए भारी-भरकम फंड ट्रांसफर किये गये। पीआर एजेंसिज के माध्यम से ईवी वाहनों के लिए एक माहौल तैयार किया गया। यह अमेरिका, भारत और फ्रांस के बीच एक सोची-समझी रणनीति के तहत हुआ था।
2021 समाप्त हुआ। कमला हैरिस आ चुकी थीं जो नरेन्द्र मोदी के साथ एक लम्बी बातचीत करते हुए वीडियो पर केप्चर हुईं थीं। इसके बाद मस्क के पास 150 बिलियन डॉलर की नेटवर्थ हो चुकी थी। अनुमान लगाइये कि किस प्रकार एक ही साल में एक ही व्यक्ति की सम्पत्ति में कितना इजाफा हुआ। करीबन 125 बिलियन डॉलर अर्थात 10 लाख करोड़ करोड़ रुपये की सम्पत्ति एक ही साल में बढ़ गयी।
यह साधारण बात नहीं थी। एक ही साल के अंदर एक ही व्यक्ति की आय में 10 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हो गयी थी। वहीं भारत में अम्बानी और अडाणी भी उभरकर सामने आये थे। 2020 में अडाणी के पास मात्र 8 बिलियन डॉलर की सम्पत्ति थी और 2021 में वह 52 बिलियन डॉलर और 2022 में वह 90 बिलियन डॉलर और उससे भी ज्यादा 100 बिलियन डॉलर का भी आकड़ा पा कर दुनिया का दूसरे नंबर का सेठ बन गया।
दो सालों के भीतर 100 बिलियन डॉलर की बढ़ोतरी की गयी थी और यह बढ़ोतरी भी करीबन 10 लाख करोड रुपये या इससे कहीं ज्यादा थी। इसी तरह का लाभ मुकेश अम्बानी को भी मिला था।
2020 में अम्बानी के पास 36.8 बिलियन डॉलर, 2021 में 84.5 बिलियन डॉलर और 2020 में यह 100 अरब डॉलर का आकड़ा पार हो गया। इस तरह से दो खिलाडिय़ों के पास करीबन-करीबन 20 लाख करोड़ रुपये सरकार की योजनाओं के माध्यम से आ गये थे।
2022 में मस्क के पास 209 बिलियन डॉलर की सम्पत्ति थी और इसके बाद भी बढ़ोतरी जारी रही और आज वह 340 बिलियन डॉलर का मालिक बन चुका है। चार सालों के भीतर उसकी सम्पत्ति 325 बिलियन डॉलर अर्थात 25 हजार अरब रुपये की बढ़ोतरी हुई थी, जिसको 25 लाख करोड़ रुपये या इससे ज्यादा कहा जा सकता है।
बाइडेन-कमला प्रशासन आने के बाद मोदी-मैक्रां का गठजोड़ किस प्रकार तरक्की कर रहा था, इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि 2020 में दुनिया की कुल अर्थव्यवस्था मात्र 86 ट्रिलियन डॉलर थी जो 2023 तक 105 ट्रिलियन डॉलर और 2024 के चुनाव आने के वक्त 110 ट्रिलियन डॉलर अर्थात 110 लाख करोड़ डॉलर।
चार सालों के भीतर अर्थव्यवस्था को 30 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ा दिया गया। जिस जीडीपी को 85 ट्रिलियन आने में 100 या इससे भी ज्यादा का वक्त लगा था। उस जीडीपी को चार सालों में 30 ट्रिलियन डॉलर बढ़ा दिया गया।
दुनिया का भटकाव करने के लिए यूक्रेन-रूस युद्ध आरंभ कर दिया गया और इस तरफ किसी का ध्यान ही नहीं गया और विश्व की प्रमुख खबरें यूक्रेन, गाजा आदि थीं। इन दोनों क्षेत्रों में कुछ नहीं हो रहा था और सिर्फ समाचार प्रकाशित हो रहे थे।
आखिर में जब विदाई का वक्त आया तो 2024 में बाइडेन प्रशासन ने मोदी को जून माह में ही याद कर लिया। आ जाओ भाई, अब तो यूक्रेन युद्ध पर चर्चा कर लो। हम जाने वाले हैं। इसके बाद अमेरिकी प्रशासन ने अपनी तत्परता को प्रदर्शित किया वह भी कागजों में।
मोदी ने यूक्रेन के जेलेंस्की को एक बार फोन और उस देश की यात्रा कर औपचारिकता को पूर्ण कर दिया।
समस्या ज्यों की त्यों बनी रही। गाजा की नाकाबंदी जारी रही। हालात खराब होते जा रहे थे। इस बीच ट्रम्प प्रशासन की एक बार पुन: व्हाइट हाउस में वापसी हो गयी है।
ट्रम्प ने एलान भी कर दिया है कि अब इलेक्ट्रॉनिक वाहनों के लिए जो नीतिया बाइडेन प्रशासन ने बनायी थी, उनकी समीक्षा की जायेगी। इसीलिए सांध्यदीप ने समाचार का प्रकाशन किया था कि बाइडेन ने खुद को क्षमा नहीं किया और इस तरह से उनके खिलाफ अगर मुकदमो की बाढ़ आ जाती है तो हैरानी नहीं होनी चाहिये।
इनको पाला गया-पोसा गया। अब यही लोग जनता की समस्या तो है हीं। राजनीतिक दलों के लिए भी गले की फांस बन चुके हैं।
यह लोग चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं और अब बदलाव ही एकमात्र रास्ता है।
अगर अमेरिका के ही आईटी सैक्टर के प्रथम 15 खिलाडिय़ों को देखें तो उनके पास करीबन 1700 बिलियन डॉलर की सम्पत्ति है। अगर 100 टॉप लोगों को देखा जाये तो इनके पास दुनिया की 80 प्रतिशत से ज्यादा की प्रोपर्टी है। 1700 बिलियन डॉलर का अर्थ हो जाता है 1.7 ट्रिलियन डॉलर। इसको भारतीय रुपये में गणना किया जाये तो यह 144 ट्रिलियन रुपये हैं।