श्रीगंगानगर। कश्मीर मसले को सिर्फ भारत-पाक के बंटवारे की एक दर्दनाक तस्वीर के रूप में जिम्मेदार मीडिया ने पेश किया। इस तरह के आउटलेट को सरकार का समर्थन प्राप्त था और इनकी पेजों की संख्या रंगीन और बढ़ती चली गयी। यही इनको प्राप्त हुआ और इन लोगों ने इस खुशी के लिए देश की खुशियों को छीन लिया।
जो कहानी सुनायी गयी थी, वह पहले ही दिन संदेहास्पद लग रही थी और अब तस्वीर देश-दुनिया के सामने आ चुकी है कि कश्मीर समस्या का समाधान भारत के पास नहीं है। क्योंकि कब्जा पाकिस्तान ने नहीं बल्कि भारत गणराज्य की सरकार ने किया हुआ है।
देश की 70 प्रतिशत फौज कश्मीर में है। बीएसएफ का 50 प्रतिशत कार्मिक कश्मीर के बारामूला, श्रीनगर और अन्य इलाकों में हैं। इस तरह से हर साल कई लाख करोड़ रुपये खर्च कर दिये जाते हैं।
भारत के ही खुफिया एजेंसियों के अधिकारियों को कश्मीर में आतंकवादी के रूप में दुनिया के सामने पेश किया जाता और अधिकारिक बयान जारी कर दुनिया को भटकाया जाता।
हुर्रियत के नेता मीर वायज को उसके घर पर नजरबंद कर दिया गया है। इस तरह के समाचारों से कश्मीर की समस्या का असली चेहरा तो सामने नहीं आता। मुद्दों को सरकार भटका देती है और उसको असली मुद्दा मीडिया का टीआरपी बढ़ाने के लिए फर्जी फुटेज तैयार कर चला देते हैं।
अब असल मुद्दा यह है कि कश्मीर एक आजाद संस्था थी, जिसको पहले 370 के जरिये स्वायत्ता दी गयी और फिर उसको भी समाप्त कर दिया गया। इसको मुस्लिम बहुल इलाका बताकर अब्दुला और अन्य को सत्ता सौंप दी जाती है ताकि दुनिया के ध्यान का भटकाव हो।
कश्मीर समस्या से दुनिया और देश का ध्यान हटाने के लिए युक्रेन-रूस युद्ध की स्क्रिप्ट को तैयार किया गया। लोगों का ध्यान उस तरफ हो गया और दोनों ब्लादीमिर बनाये गये ताकि पता ही नहीं चले कि किस तरफ जाना है। अब ट्रम्प आने के बाद सीधे रूस के साथ वार्ता की हिम्मत दिखायी गयी और एक फ्रेम बनकर दुनिया के सामने आ गया।
बाइडेन तीन बार कह चुका था कि प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन युद्ध के लिए हल निकालें। लेकिन मोदी गुजराती थे और उनहोंने मस्क को साथ मिलाया और हर्षद मेहता की तरह अमेरिका में भी स्टॉक मार्केट को दुनिया में सबसे तेजी से बढऩे वाला केन्द्र बना दिया। 100 प्रतिशत से भी ज्यादा की बढ़ोतरी हुई। मस्क चार सालों के भीतर ही 325 बिलियन डॉलर की सम्पत्ति को बढ़ाने में कामयाब हो गये। यह भारतीय रुपये में 32 ट्रिलियन रुपये हो जाते हैं। 32 लाख करोड़ रुपये चार सालों में मस्क के बढ़ गये। यह राशि भारत के एक साल के बजट के बराबर है।
यूएन का औपचारिक बयान, हाथ खड़े किये
यूएन ने कहा है कि उसके पास मौजूदा परिस्थितियों से लडऩे के लिए कोई अनुभव नहीं है। इस तरह से औपचारिक बयान से यूएन के महासचिव एंटेनियो गुटरेस ने हाथ खड़े कर दिये हैं।
जो मौजूदा परिस्थितियां हैं, जिनको ब्रिटेन, कांग्रेस और आरएसएस ने तैयार किया है, उसका हल अब सिर्फ अमेरिका के पास है।
यूएन ने तो कह दिया कि इस तरह की परिस्थितियों को पहले अनुभव ही नहीं किया गया था। इस कारण संसाधनों की कमी को भी यही कहा जा सकता है।
अब अमेरिका की तरफ सारी दुनिया की नजरें हैं। जी-7 के विदेश मंत्रियों की एक आपात बैठक भी आयोजित की गयी है। इसकी औपचारिक जानकारी शाम तक आने की संभावना है।