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ट्रम्प ने एक तीर से कई निशाने साधे

न्यूयार्क। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक ही निशाने से कई शिकार कर दिये हैं। ईरान समर्थित हुति आतंकवादियों के खिलाफ अकेले ही मैदान में उतरकर नाटो और यूरोपीय देशों को संदेश भेज दिया है कि अमेरिका सुपर बॉस है। कल भी रहेगा।
रूस का भय दिखाकर अभी तक यूरोपीय देश नाटो के बैनर तले थे और करदाताओं के लाखों अरब डॉलर सैन्य अभ्यास पर खर्च कर देते थे। अब अमेरिका ने सीधे रूस के साथ मित्रता कर ली है तो यूरोपीय देशों का वजूद खतरे में आ गया है। उनकी एकता धरी की धरी रह सकती है।
उल्लेखनीय है कि अमेरिका से हथियार और उसकी सेना की बदौलत अपनी सुरक्षा को यूरोपीय देश रूस से भय के नाम से सुनिश्चित किये हुए थे। अमेरिका प्रत्येक वर्ष अरबों डॉलर खर्च कर रहा था।
यूरोपीय देशों ने अपनी मुद्रा यूरो डॉलर निकालकर सीधे यूएस डॉलर को टक्कर दे रखी थी। यह देश अब आपसी व्यापार भी डॉलर के स्थान पर यूरो के आधार पर कर रहे थे। इस तरह से यूएस को आर्थिक रूप से चुनौति भी दी जा रही थी और उससे सुरक्षा भी ली जा रही थी।
ट्रम्प ने अब कह दिया, सुरक्षा लेनी है तो खर्च उठाना होगा। 78 वर्षीय ट्रम्प ने रात-दिन एक कर दुनिया को दिखा दिया है कि मेहनत क्या होती है जो टीवी के माध्यम से 20 घंटे तक काम करने का दावा करते थे, उनके दावे वर्षों बाद भी खोखले हैं और ट्रम्प ने आठ माह में ही यूरोप की एकता में छेद कर दिया है।
यूरोपीय देशों को संदेश भेज दिया है। पंजाबी में कहावत है कि कहो बेटी नू और सुनाओ बहू नूं। इसी तरह से हमला यमन पर किया गया है। इसका सीधा संदेश वेनेजुएला और ईरान को सेंड कर दिया गया है।
अमेरिका महाद्वीप से हजारों किमी दूर अरब की खाड़ी पर बसे यमन पर अमेरिका ने अपने युद्धपोत से हमला किया है। मिसाइलों को दागों जा रहा है।
फॉक्स न्यूज के अनुसार फोटो को भी सार्वजनिक किया गया है और इस तरह से दुनिया भर को सच्चाई दिखायी जा रही है कि अब अमेरिका में बदलाव आ चुका है। ट्रम्प राष्ट्रपति हैं, यह याद रखना होगा।
मेक अमेरिका ग्रेट अगेन का नारा के साथ उन्होंने चुनाव लड़ा था और इसके बाद सीधे इरान और वेनेजुएला पर हमला नहीं कर इन दोनों देशों को बता दिया है कि अब उनको नाटो की जरूरत नहीं है।
नाटो का क्या होगा : अब सवाल यह भी है कि अगर अमेरिका अपने अरबों डॉलर को बचाने के लिए नाटो से बाहर आ जाता है तो क्या होगा। इसका सीधा असर यूरो पर पड़ेगा और यूरोपीय संघ एक कमजोर संगठन बनकर रह जायेगा। जो पीठ उनकी अमेरिका के साथ लगती थी, वह सहारा समाप्त हो जायेगा।
फ्रांस की राग बदल रही है लेकिन ईटली और जर्मनी पुरानी राग ही गा रहे हैं। ब्रिटेन तो अभी भी अपने को सर्वशक्तिशाली मान रहा रहा है और इसी कारण उसने यूक्रेन युद्ध के तीन साल बाद भी सीधे तौर पर रूस के साथ वार्ता करने की इच्छा जाहिर नहीं की।
जो युद्ध पहले अमेरिका के खिलाफ अनौपचारिक रूप से खेला जा रहा था अब सीधे तौर पर अमेरिका ने पर्दे के बाहर की लड़ाई को आरंभ कर दिया है। जो लड़ाइयां बिना उद्देश्य के लड़ी गयीं थी उन उद्देश्य को अब पूरा होता दिखाई दे रहा है।

दिल्ली अभी भी दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी : दिल्ली का प्रदूषण सूचकांक 85 के आसपास बताया गया है। यह उस समय हुआ है जब अमेरिका ने यमन पर हमला किया है। जिस दिन ईरान पर हमला किया गया उस दिन दिल्ली में प्रदूषण समाप्त होकर 0 पर आ जायेगा।
नरेन्द्र मोदी के खास मित्र गौतम अडाणी ने ईरान के चाबहार बंदरगाह पर अरबों डॉलर खर्च किये हुए हैं और वहां से वह सामान ईम्पोर्ट हो रहा है जो नहीं होना चाहिये। इस तरह से ईरान पर एक तरह से मित्रों का कब्जा है। इसी कारण ईरानी सरकार बोलने से कतराती है।
अब ईरान और यूरोप तक मैसेज को पहुंचा दिया गया है। जी-7 जैसे देशों के संगठन का भी भविष्य दांव पर लग गया है। पूरी दुनिया को बदला जा रहा है और यह काम अकेले डोनाल्ड ट्रम्प कर रहे हैं।

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