न्यूयार्क। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका की छवि को सुधारने का प्रयास कर रहे हैं और इसके तहत 1.61 ट्रिलियन डॉलर्स वाले शिक्षा विभाग को बंद किया जा रहा है। आज राष्ट्रपति के कार्यकारी आदेश जारी होंगे।
वैश्विक दुनिया में अमेरिका को सबसे प्रदूषित देश इसलिए माना जाता है क्योंकि वहां पर सबसे ज्यादा घृणा को पैदा किया जाता है। अगर भारत और दुनिया के संभ्रात देशों की भाषा में कहा जाये तो वह पाकिस्तान के वह मदरसे हैं जिनका मांइडवॉश किया जाता है।
राजनीतिक भाषा में अमेरिका को सूडान कहा जाता है। दक्षिण सूडान और उत्तरी सूडान अर्थात कनाडा और संयुक्त राज्य अर्थात यूएस।
अब सूडान के बारे में तो अखबारों में बताया जाता है। अफगानिस्तान के बारे में बताया जाता है लेकिन यह नहीं बताया जाता कि सूडान अमेरिका को कहा जाता है। कनाडा-अमेरिका कट्टरपंथियों के मुख्य ठिकाने हैं।
वहां का शिक्षा विभाग जिसको हिन्दी में पाठशाला और अंग्रेजी में स्कूल कहा जाता है, वह आधुनिक मदरसे हैं। जहां पर उनको कम्प्यूटर, शानदार फर्नीचर, बहुमंजिला इमारतें, वातानुकूलित वातावरण, एक शानदार पौशाक मिलती है। गले में टाई और कमरे में बैल्ट बांधी जाती है। इस तरह से इन लोगों को एक क्रिश्चियन मिशनरी का सैनिक बनाया जाता है।
इसी तरह का हाल भारत में गुरकूल का होता है जहां पर सांस्कृतिक शब्दों में ईश्वर को बांधने की शिक्षा प्रदान की जाती है। उसी तरह की स्थिति मदरसों की है। जहां पर अल्लाह की नियामत करने के स्थान पर अल्लाह को कैसे अपने वश में किया जा सकता है, उसकी जानकारी दी जाती है। कैसे उससे काम करवो है।
हालात यह हो गयी है कि दुनिया भर में प्रदूषण फैलता जा रहा है और इसको सुनने वाला दुनिया में मात्र एक नेता हुए हैं और वह डोनाल्ड ट्रम्प। करोड़ों लोगों को पैसे, बीमारी आदि का लाभ-हानि दिखाकर उनको जीसियस के बारे में पढ़ाया जाता है।
पंजाब में हालात देखिये कि सिखों को कहा जाता है कि यह अकाल तख्त का हुकूम है। अब अकाल तख्त पर जो बैठाये जाते हैं, वह अकाली दल बादल के कार्यकर्ता होते हैं। इस तरह से उनको पांच स्थानों पर बैठाकर हुकूम सुनाने की ताकत दे दी जाती है। हाल ही में एक जत्थेदार ने इस्तीफा दे दिया। घर चले गये। बादल उनके घर पहुंचे तो उनको वापिस लाया गया। इस तरह से उन्होंने फिर से ज्वाइन कर लिया।
इस तरह के घटनाक्रम को देखकर भी अगर कोई कुछ नहीं सिखना चाहता और अपने लाभ-हानि के आधार पर आगे बढऩा चाहता है तो अलग विषय है। सुना ही होगा कि नया मकान बनाने के लिए पुराने मकान को तोडक़र उसको पुन: नया बनवाया जाता है। अगर आज यह नहीं किया गया तो फिर कभी नहीं हो पायेगा, क्योंकि फिर न तो ट्रम्प पुन: सत्ता में आयेंगे और न ही उनकी विचारधारा को आने दिया जायेगा।
नागपुर, रियाद, रोम, लंदन ऐसे स्थान हैं, जहां से पूरी दुनिया को चलाया जाता है। आप लोगों और आपके बच्चों को रिमोट कंट्रोल से चलने वाली कठपुतली बना दिया गया है और यह लोग सालों-साल आपकी पीढ़ी पर राज करने वाली है।
अगर अमेरिका में आज हस्ताक्षर हो जाते हैं तो एक बार खून-खराबा भी हो सकता है। हालांकि एजेंसियां पूरी तरह से सतर्क हैं, लेकिन अमेरिका से मिलने वाली दुनिया भर को आर्थिक सहायता बंद हो जायेगी। फिर अकेले पश्चिम देश कुछ नहीं कर पायेंगे, क्योंकि विश्व की राजनीति में उन्होंने नया कदम बढ़ाया है।
रूस के साथ मित्रता और यूरोपीय देशों की अनदेखी कर नया मंच प्रदान करने की कोशिशें आरंभ की है। इससे यूरोपीय देशों की ताकत कमजोर हो जायेगी। अकेले ब्रिटेन कितने नोट छापकर बांट सकेगा।
ब्रिटेन ने अनेक देशों का भारी मात्रा में सोना आज भी अपने पास रखा हुआ है। अगर वह देश अपने सोने को वापिस ले लेते हैं तो दुनिया में अमीर-गरीब के बीच की खाई कमजोर हो जायेगी। यूरो समाप्त हो जायेगा और ब्रिटिश पौंड की ताकत कमजोर हो जायेगी।
दुनिया में तेल की सप्लाई करने वाली एजेंसियों को भी करारा तमाचा पढ़ेगा क्योंकि दुनिया को इतना गोल-गोल गुमाया गया है कि किसी को नहीं पता कि वह कहां से कहां पहुंच रहे हैं।
अमेरिका हर साल 1.61 करोड़ रुपये खर्च करता था और इसको भारतीय मुद्रा में माना जाये तो यह 860 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा है। इतनी राशि 149 करोड़ भारतीय की आधी आय है। इतनी बड़ी राशि अकेले अमेरिका खर्च कर रहा था और यूरोपीय देश उस आय के आधार पर आगे बढऩे का प्रयास कर रहे थे। इसमें धर्म परिवर्तन आदि सब शामिल हैं।