न्यूयार्क। अगर अंतरराष्ट्रीय मीडिया की खबरों पर यकीन किया जाये तो सामने आता है कि अल कायदा अपने खिलाफ प्रकाशित हो रहे समाचारों से भुना हुआ है। इस कारण वह एक मीडिया हाउस को 2018 के बाद फिर से निशाना बनाना चाहता है।
जो जानकारी सामने आ रही है, उसके अनुसार अल कायदा का एक बड़ा स्लिपर सैल लंदन में सक्रिय हो गया हैै। इसने अपनी शाखाओं का विस्तार यूरोप और अमेरिका राज्य में किया हुआ है।
अगर एनआईए की कार्यवाहियों को देखें तो कश्मीर में भी अल कायदा का समूह मौजूद है। स्थानीय युवाओं का ब्रेनवॉश कर उनको इस संगठन से जोड़ा जाता है।
वर्ष 2018 में मीडिया समूह पर अल कायदा ने हमला किया था। इस हमले में एक पत्रकार की निर्मम हत्या कर दी गयी थी। टर्की में हुए इस हमले के उपरांत सउदी क्राउन प्रिंस पर एफआईआर भी अमेरिका में दर्ज हुई थी। हालांकि जानकारी में आया कि 2021 में सत्ता परिवर्तन के बाद इस कानूनी कार्यवाही को निरस्त कर दिया गया था। कारण था ट्रम्प के दामाद जैरेड कुशनर, जो सउदी का बिजनेस पार्टनर है।
इसी तरह से अब एक और कोशिश हो रही है। मीडिया इनपुत के अनुसार इस बार रियाद में अल कायदा हमला कर सकता है और यह हमला कभी भी हो सकता है। हालांकि अमेरिका के स्वास्थ्य सचिव जूनियर कैेनेडी ने कहा है कि मीडिया रिपोर्ट के आधार पर आवश्यक कदम उठाये जा रहे हैं। सुरक्षा को मजबूत किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि एक अमेरिका मीडिया ने बताया कि सोमालिया में सक्रिय अल कायदा ने पश्चिमी यूरोप पर नजर रखी हुई है और वहां पर अपना नेटवर्क स्थापित किया हुआ है। इसी कारण लंदन में एफबीआई ज्यादा सक्रिय है। रोम, पेरिस सहित कई शहर निशाने पर है।
सबसे ज्यादा खतरा जर्मनी में है। हाल ही में वहां पर नयी सरकार का गठन हुआ है। जर्मन में जातिगत संतुलन काफी गढ़बड़ाया हुआ है। यह ऐंजला मार्केल के समय पर हुआ था।
डेली ब्रीफ और पश्चिम वार्ता
श्रीगंगानगर। दुनिया में इस समय मीडिया को मैनेज करना सबसे आसान हो गया है, यह बिजनेस टाइकून का मानना है। जो मैनेज नहीं होता, उसके समूह को ही भारी रकम देकर खरीद लिया जाता है।
अब पत्रकार वार्ता होती है। उसको पीसी कहा जाता है, प्रेस कॉन्फ्रेंस इसका पूर्ण रुप हो जाता है।
अब इसको हिन्दी में पीसी को कहें तो हो जाता है पश्चिम वार्ता। अमेरिका ने हाल ही में जॉन एफ कनेडी की हत्या से जुड़े 80 हजार पन्नों को जारी किया है। ट्रम्प प्रशासन ने इसको जेएफके फाइल्स का नाम दिया है। कश्मीर फाइल्स पर पूर्व में फिल्म आ चुकी है, अब जेएफके पर भी हिन्दी में मूवी बनायी जा सकती है। जिसका नाम एचएम फाइल्स कहा जा सकता है।
इसमें साफ शब्दों में लिखा गया है कि इटली से आने वाले धन के माध्यम से वामपंथी विचारधारा को तैयार किया जाये। लेखक, मीडिया हाउस आदि को मजबूत किया जाये। इस तरह से पीसी का अर्थ पश्चिमी वार्ता हो जाता है। उसी तरह से पत्रकारों के समक्ष स्नैक्स रखे जाते हैं जो अंग्रेज लोग अपनी दिनचर्या में शामिल करते हैं।
वहीं कुछ राजनीतिक दल दैनिक पत्रकार वार्ता का आयोजन करते हैं। इसको डेली ब्रीफ के नाम से भी संबोधित किया जाता है। अब ब्रीफ का अर्थ हो गया गौमांस। डेली का अर्थ हो गया दैनिक। इस तरह से दैनिक रूप से ई गौमास पहुंचाया जाता है और यह लोगों के घर-घर तक पहुंचता है।
चाहे वह त्रिपाठी हो, भल्ला हो या शाक्य, सभी के पास यह डेलीब्रीफ टीवी, मीडिया हाउस के अन्य माध्यम से पेश किया जाता है। इसको नाश्त के समय हासिल किया जाना आसान बात हो गयी है।