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शवों की खरीद-फरोख्त में शामिल रहे टांटिया यूनिवर्सिटी को कैसे मिला मेडिकल कॉलेज

श्रीगंगानगर। राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में वर्ष 2010 में अज्ञात लाशों की खरीद-फरोख्त का मामला आरटीआई के माध्यम से उजागर हुआ था। इसमें टांटिया समूह को लाश दिये जाने की जानकारी दी गयी थी।
टांटिया विश्वविद्यालय को इसके बाद भी अगर मेडिकल कॉलेज की स्वीकृति हासिल हो जाती है तो इसका अर्थ यह है कि सरकार का अभयदान इस विश्वविद्यालय को है।
अमेरिका से इस संस्थान को आर्थिक और प्रशासनिक सहयोग प्राप्त हो रहा था। यह कार्यक्रम डाई के तहत आयोजित किया जा रहा था। अब डाई कार्यक्रम को समाप्त कर दिया गया है तो इसके बाद इस कॉलेज के संचालकों के होश उड़े हुए हैं।
संस्थान के संचालक मोहित टांटिया पर गोलियां भी चली थीं और इसके लिए लारेंस बिश्रोई गैंग को जिम्मेदार पाया गया था। इस तरह से खतरे के बीच में रहने वाले मोहित टांटिया अब अमेरिकी मदद बंद होने के बाद से इस कॉलेज और विश्वविद्यालय को भारी नुकसान होने की जानकारी मिल रही है।
वहीं यह भी जानकारी सामने आ रही है कि कॉलेज के पास पर्याप्त मात्रा में चिकित्सा शिक्षक नहीं है। दिल्ली से संकेत मिलने के बाद स्टाफ को आनन-फानन में चैकिंग के समय बुलाया जाता है। इस तरह से इस मेडिकल कॉलेज में बड़ा झटका चल रहा है।

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