श्रीगंगानगर। भारत गणराज्य केे तीन पड़ोसी गणराज्यों म्यान्मार, थाईलैण्ड और नेपाल में हा-हाकार मचा हुआ है और तीनों देशों ने आपातकाल लागू कर दिया है। क्या ऐसा कुछ हुआ है, जो आपातकाल से अन्य पक्ष तक जानकारी नहीं पहुंचे?
म्यान्मार और थाईलैण्ड में भूकम्प आने की जानकारी दी गयी है और इसमें हजारों के प्रभावित होने तथा 200 से ज्यादा लोगों की मौत होने के समाचार हैं। नेपाल में कुछ हिंसा हुई और वहां पर भी सेना लगा दी गयी है।
तीन पड़ोसी देशों में एक साथ लगाये गये आपातकाल से कुछ संदेश दुनिया को देने की कोशिश की गयी है।
ऐसा ही आपातकाल आज से 50 वर्ष 1975 के दिन भारत में लगाया गया था। उस समय इंदिरा गांधी ने बहुत से रहस्यों को उजागर नहीं होने दिया था। उस रहस्य को सामने आने में भी 50 साल लग गये।
उस समय सोशल मीडिया नहीं था। लोगों की अप्रोच भी नई तकनीक नहीं थी। इस कारण सोशल मीडिया का मतलब ही नहीं किसी को पता होगा।
अब जब मैन स्ट्रीम की जगहर सोशल मीडिया ले रहा है और बड़े-बड़े मीडिया समूह सोशल मीडिया पर आ गये हैं तो उस समय भी जनता से कुछ छुपाने की कोशिश करना अपने आप में कुल्हाड़ी मारने के समान होगा।
वहीं रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमीर पुतिन ने कहा है कि यूक्रेन में सरकार का नये सिरे से गठन होना चाहिये। उनका कहना था कि जब तक सरकार का गठन नहीं हो जाता, तब तक युद्धविराम नहीं हो सकता है। हालांकि मास्को ने अपने पास सभी कैदियों को युक्रेन को सौंप दिया है। घायल सैनिकों का इलाज रेडक्रॉस करवा रही है।
पुतिन के सीधे बयान से भी दुनिया में घबराहट देखी जा रही है। क्योंकि जब उन्होंने लाइव होकर समाचार दिया तो उनकी आंखों में गुस्से को साफ देखा जा सकता था।