श्रीगंगानगर। भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने व्यवस्थाओं में ‘सुधार’ करते हुए ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स अर्थात ओबीसी का विलय पंजाब नैशनल बैंक में कर दिया। दूसरी तरफ गरीब लोगों के लिए एक आरक्षण व्यवस्था लाये जो शायद 10 प्रतिशत से भी कम है।
भारत सरकार जो आरक्षण की व्यवस्था करती है, वह समाज के लिए नहीं बल्कि अपने लिये करती है। इंदिरा गांधी के जमाने में भारत सरकार का स्टेट हिस्सा सिर्फ 22 प्रतिशत ही था। वह भी संविधान में नहीं था। इसको 10 बरस के लिए लागू किया गया था।
10-10 बरस करते-करते सरकार ने 70 साल गुजार दिये। इस दौरान वीपी सिंह ने एक और बढ़ा कदम उठाया और 27 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव ले आये। इस तरह से सरकार का हिस्सा 49 प्रतिशत हो गया।
अब नरेन्द्र मोदी ने आरक्षण को बढ़ाकर 50 प्रतिशत से ऊपर ले गये। इस दौरान संविधान रक्षक चुप रहे और सुप्रीम कोर्ट ने भी दबाव या राजनीतिक लाभ के लिए इस संबंध में कोई आदेश नहीं दिया और सरकार के हिस्से को कम नहीं किया।
कितना बड़े हुआ। सरकार का हिस्सा नहीं था। इसको प्रस्ताव पारित कर 10 साल के लिए बढ़ाया गया और फिर 70 साल गुजर गये। इस दौरान मोदी ने आरक्षण का दायरा भी बढ़ाया।
अब सरकार 50 प्रतिशत से ज्यादा की हिस्सेदार हो गयी है। इस कारण वह मनमर्जी कर रही है और सांसदों को अपने पक्ष में किया गया। ब्यूरोक्रेट्स और सुप्रीम कोर्ट भी उनके आगे नतमस्तक हो गयी।
दूसरी ओर मोदी ने ओबीसी का विलय पंजाब नैशनल बैंक में कर दिया। ओबीसी जो पहले स्वायत्तशासी संस्था थी, उसका हिस्सा डकार गये और खुद को भी एक ओबीसी समुदाय होने का स्वांग रचकर संविधान का हिस्सा खा गये।
अब संविधान का हिस्सा 10 प्रतिशत या इससे नीचे का कर दिया गया है। ओबीसी जो पहले खुद कर मुखत्यार था, उसका लेवल नीचे कर पंजाब के साथ जोड़ दिया गया। इस तरह से कई अन्य रियासतों स्टेट बैंक ऑफ राजस्थान, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला आदि का भी हिस्सा डकार कर खुद सर्वेसर्वा हो गये।
यह मामला कभी बाहर नहीं आये, इस कारण वे प्रधानमंत्री को संबोधित करते हुए एक परदा योजना ले आये। वहीं एनपीए भी लाँच कर दी गयी। इस तरह से कूटनीति का बड़ा खिलाड़ी होने का दावा करने वाले इस प्रधानमंत्री ने खुद को अवतारी पुरुष बताकर प्रचार भी आरंभ कर दिया। वहीं सभी बैंकों को एनपीए या परदा योजना के तहत खाताधारकों के बीमा कर दिये। इस तरह से यह एक बड़ी योजना बन गयी।
पीएनबी में ओबीसी को शामिल करने के लिए संविधान संशोधन भी नहीं किया गया और एक प्रस्ताव के तहत इसको पारित कर दिया गया ताकि इतिहास में मोदी को चोर कोई नहीं कह सके।
यह एक बड़ा घोटाला था, जिसको रोका जाना चाहिये था। मीडिया भी इस कारण चुप रहा क्योंकि सरकारी विज्ञापनों से उनको मालामाल कर दिया गया और अनेक कंपनियों से टाइअप भी करवाया गया। इस तरह से मोदी ने संविधान का हिस्सा डकार कर अब खुद कर मुखत्यार बने हुए हैं। वे कहते हैं कि संविधान तो नायब तहसीलदार के स्तर का अधिकार रखता है।
अब अमेरिका और रूस दोनों एक हो गये हैं और भारत सरकार को चेतावनी दी है कि 2014 से पहले की स्थिति को बहाल किया जाये। इस समय जंगी जहाज हिन्द महासागर में हैं। म्यांमार के रास्ते कभी भी दोनों देशों के बीच जंग हो सकती है।
हालांकि फ्रांस और ब्रिटेन मोदी का साथ दे रहे हैं लेकिन अन्य देश जिसमें जापान, अमेरिका, रूस और अब तो चाइना (शी जिनपिंग वाला चीन) भी संविधान की रक्षा के लिए भी तैयार हैं। इस तरह से प्रधानमंत्री पद पर रहकर हेराफेरी करने वाले नरेन्द्र मोदी अभी बैकफीट पर है। सेना से आग्रह है कि वह मोदी कैबिनेट के स्थान पर संविधान का साथ दें, ताकि देश को अग्रणी राज्य बनाया जा सके।