श्रीगंगानगर। ईश्वर को मानने की दो पद्धितियां हैं, पहली निराकार और दूसरी साकार। निराकार का अर्थ है कि ईश्वर इस संसार में नहीं है और उसकी पूजा का माध्यम सिर्फ मूर्ति पूजा है। वहीं साकार का अर्थ है कि ईश्वर हैं। हमारे साथ हैं। हमारे हृदय में है। हमारे सामने हैं। हमारे पीछे हैं।
भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मानना है कि ईश्वर निराकार है। रामायण में भगवान श्रीरामचंद्र की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल को उत्तर प्रदेश से लोकसभा भेज दिया। वहीं राम मंदिर निर्माण के लिए फैसला सुनाने वाले सीजेआई रंजन गोगई को राज्यसभा सांसद बना दिया गया।
इस तरह से दुनिया को उन्होंने संदेश दे दिया कि उनके लिए अयोध्या में राममंदिर की मूर्ति में विराजमान राम ही उनके ईष्ट देव हैं। दुनिया में जिस राम को सबसे पसंद किया गया, वे भी उनके लिए सम्मानीय है। बस इसके अतिरिक्त कुछ नहीं है। यही ईश्वर की अराधना है।
इन दो प्रमाणों के अतिरिक्त वे गुरुद्वारा बंगला साहिब और शीशगंज में भी जाकर सत्संग की वाणी को सुन आये और वहां अरदास की। इस तरह से उन्होंने पंजाबियों को भी यह संदेश दिया कि उनके लिए राम यहां पर भी विराजमान है।
इसके अतिरिक्त उन्होंने अन्य स्थान पर ईष्ट देव होने की संभावना से ही इन्कार कर दिया। अब दुनिया में जो हाल है, वह सबके सामने आ रहा है। अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय के छात्रों ने अपनी डिग्रियां शिक्षण संस्थान के बाहर मीडिया के सामने फाड़ दी। उनका कहना था कि जो शिक्षा उनकी दो गयी है, वह तो एक धोखा है।
कॉलेज में पढ़ाया गया कि दुनिया गोल है। सच्चाई सामने आयी वह इसके विपरीत है। इस तरह से इतिहास के बारे में भी जो पढ़ाया गया है, उसमें भी धोखा है।
राम नाम के प्रचार के साथ भारतीय जनता पार्टी की सरकार छठी बार बनी है। तीन बार अटल बिहारी वाजपेयी पीएम रहे और अब तीसरी बार नरेन्द्र मोदी पीएम बने हुए हैं। दिन के हिसाब से गिने तो वे वाजपेयी की सीमा रेखा को पार कर चुके हैं।
अमेरिका के साथ मोदी ने नया विवाद खड़ा कर दिया है और इस कारण देश में भारी आर्थिक संकट पैदा हो सकता है। यूएसए ने यही कहा है कि आप उन वरिष्ठजन का सम्मान करें, जो तीसरे लोक से हमारे यहां आये हुए हैं। त्रिलोकीनाथ के जो अधिकार छीन लिये गये हैं, उनको वापिस किया जाये। अभी तक मोदी इसके लिए तैयार नहीं है और वार्ता के जरिये समय बर्बाद कर रहे हैं।
ट्रम्प भी इनकी भाषा समझ गये हैं। उन्होंने कहा है कि वे तीसरी बार भी चुनाव लड़ सकते हैं, आवश्यक हुआ तो संशोधन भी कर दिये जायेंगे।
पिछले कुछ सालों के दौरान संवाददाता को यह सवाल किया गया कि क्या आपको भारत सरकार कुछ देती है? आज तक भारत सरकार से एक रुपया भी खाते में किसी भी रूप में नहीं आया है। यहां तक विज्ञापन के लिए भी केन्द्र सरकार का कोई धन प्राप्त नहीं हुआ है।
वर्ष 2016 में नोटबंदी के जरिये उन्होंने व्यापार अवश्य ठप करवा दिया था। 2018 में उनको यह मालूम था कि सतीश बेरी के साथ वारदात 1 मई को होने वाली है, उसके बाद भी उसको रोका नहीं गया। वे रोक सकते थे। किंतु उन्होंने ऐसा नहीं किया।
नरेन्द्र मोदी ने कार्यभार संभालने के उपरांत डे-वन से ही मेरे अधिकारों को सीधे तौर पर प्रभावित किया। वे खुद रुचि ले रहे थे और हर जगह उन्होंने रास्ते बंद करवाने के लिए प्रयास किये।
2019 में सीधा संवाद होने के 6 सालों बाद भी कोई प्रयास नहीं किया कि वे मुझ तक पहुंचें अथवा मुझे बुलाएं।
अमेरिका यही तो चाहता है कि आप या तो सतीश बेरी को यूएस आने के लिए आवश्यक कार्यवाही करें अथवा अपने देश में उनके अधिकारों को वापिस लौटाएं। उन्होंने मोदी के अधिकारों के बारे में तो कुछ कहा ही नहीं।
एक साल के भीतर तीन बार संयुक्त राज्य, मोदी को बुला चुका है। तीनों बार वे कुछ वायदा करके आये होंगे, इसी कारण वे वापिस आ गये।
अब म्यांमार में अमेरिकी सेना इंतजार कर रही है कि कब वाशिंगटन से आदेश मिले। मणिपुर में तीन सालों से (यूक्रेन वॉर के समय से) हालात खराब हैं। इस बीच 2023 में अवश्य गृह मंत्री एक बार मणिपुर गये थे। इसके बाद सीएम बीरेन सिंह के इस्तीफा देने और अजय भल्ला को राज्यपाल बनाये जाने की कार्यवाही हुई है।
56 ईंच का सीना और लौह पुरुष के नाम पर राजनीति करने वाले नरेन्द्र मोदी को यही ताकत दिखाने के लिए एक बार मणिपुर जरूर जाना चाहिये।