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चीन युद्ध की तैयारियों में जुटा, नाटो सदस्य एकजुट हुए

न्यूयार्क। चीन जिस तरह से ताईवान के जलीय क्षेत्र में अपने जंगी जहाजों की संख्या बढ़ाकर युद्धाभ्यास कर रहा है, उस बीच तनावपूर्ण स्थिति को ध्यान में रखकर ही नाटो के सदस्य देश एकजुट हो रहे हैं। जापान और कोरिया के विदेश मंत्रियों के साथ विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने अलग से वार्ता की।
नाटो सदस्यों के विदेश मंत्रियों की बैठक समाप्त हो गयी है और इसमें आपसी सहयोग बढ़ाने तथा मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए अपने संकल्प को दोहराया गया है। जापान और कोरिया के विदेश मंत्रियों को भी आमंत्रित किया गया था।
उल्लेखनीय है कि चीन ने ताईवान के निकट अपने जंगी जहाज लगाये हुए हैं। नाटो के विदेश मंत्रियों ने एकजुटता का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया। इसके साथ ही जापान, कोरिया ने एक बार फिर कहा है कि वह अमेरिका के साथ मिलकर हिन्द-प्रशांत महासागर की सुरक्षा के लिए काम करता रहा है और आगे भी जारी रहेगा।
दूसरी ओर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प आर्थिक रूप से प्रभाव दिखाने के लिए टेरिफज शृंखला को जारी रखे हुए हैं। शीघ्र ही माइक्रोचिप के आयात पर भी टैरिफज की घोषणा हो सकती है। इससे चीन पर व्यापक असर दिखाई देगा।
चीन माइक्रोचिप का निर्यात करने वाला प्रमुख देश है। चीन अकेले संयुक्त राज्य को ही 300 बिलियन डॉलर के निर्यात करता है और इसमें माइक्रोचिप की भी भागेदारी होती है। वहीं यूरोप को भी इसी प्रकार चिप व दवाइयां निर्यात की जाती है। ट्रम्प की दवाइयों और माइक्रोचिप पर बराबर नजर बनी हुई है और आगामी 9 अप्रेल को अनेक देशों पर टैरिफज लागू होने हैं। उससे पहले ही माइक्रोचिप का प्रस्ताव आ सकता है और इस संबंध में ट्रम्प कार्यकारी आदेश जारी कर सकते हैं।

अमेरिकी डेयरी क्षेत्र की अनदेखी का कारण?
श्रीगंगानगर। अमेरिका की डेयरी क्षेत्र की अनदेखी का कारण किसी को समझ नहीं आ रहा है। अगर भारत गणराज्य को भी देखा जाये तो यहां पर भी मांग के मुकाबले डेयरी उत्पादन बहुत कम है और इसी कारण मिलावटी खाद्य रोजाना पकड़े जाते हैं।


अमेरिका ने कई दशक पहले भारत को एक सौगात दी थी। अमेरिकन गायों को भारत भेजा गया था और यह गाय एक दिन में अनेक लीटर दूध देती थीं। उस समय मांग के अनुसार दूध और अन्य खाद्य पदार्थ के लिए कोई कमी नहीं रह गयी थी।
आबादी के हिसाब से अमेरिकन गायों की संख्या को नहीं बढ़ाया जा सका और हालात यह हो गये हैं कि अब गांवों में भी नकली दूध, घी आदि तैयार करने की रैसिपी पहुंच गयी है। इसमें खतरनाक कैमिकल मिलाये जाते हैं, जिससे स्वास्थ्य को हानि पहुंचती है।
मांग के मुकाबले उत्पादन कम होने के कारण प्रत्येक दो-तीन माह बाद ही दूध के भावों में भी तेजी हो जाती है और इसकी मार सीधे आम उपभोक्ता पर दिखाई देती है। वहीं नकली खाद्य पदार्थ बेचने वाले इसे अपने लिये एक मौका मानते हैं। अगर डेयरी उद्योग को बढ़ावा दिया जाना है तो अमेरिकन गाय के साथ वहां के दूध, क्रीम आदि को भी आयात करने की अनुमति मिले तो संभवत: भारत के खिलाफ जो टैरिफज लगाये गये हैं, वह कम हो जायें।

चीन की गतिविधियों से युद्ध की आशंका
श्रीगंगानगर। हिन्द-प्रशांत महासागर में इस समय स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। ताईवान के नजदीक ही अनेक युद्धक विमान देखे गये हैं और दूसरी तरफ चीन अपने जलवे को भी दिखाने की कोशिशों में जुटा है।
ताजा जानकारी के अनुसार चीन ताईवान के नजदीक समुन्द्री जल में दो दिनों से युद्धाभ्यास कर रहा है। इस कारण क्षेत्र में तनाव बन गया है और युद्ध की आशंका को भी कोई दरकिनार नहीं कर रहा है।
हिन्द प्रशांत महासागर की सुरक्षा दशकों से चिंता का कारण बनी हुई है। चीन बार-बार अपने पड़ोसी देशों ताईवान आदि को धमाकाता है और उनको पुराने चीन का पार्ट बताते हुए अपने स्वामीत्व का दावा जताता है। इस कारण अनेक देशों ने अपने जंगी जहाज इस महासागर के आसपास लगा रखे हैं।
चीन इस समय दुनिया का ध्यान भटकाने की कोशिशों में जुटा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका के साथ व्यापार करने वाले देशों पर कम से कम 10 प्रतिशत टैक्स लगाया है। वहीं टैरिफज के लिए भी कम से कम 60 देशों को चिन्हित किया है।
इन सभी देशों पर उनकी ओर से अमेरिका पर लगाये जाने वाले टैरिफज का 50 प्रतिशत लगाया गया है और राष्ट्रपति ट्रम्प ने आशा जतायी है कि दूसरे देश अमेरिकी आयात को मंजूरी देने के लिए अपने देश में टैरिफज को कम करेंगे।

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