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बेरोजगारों का पलायन विदेश की ओर रोकेगी सरकार?

श्रीगंगानगर। भारत में बेरोजगारी की चिंता पूरा विश्व करता है, क्योंकि पलायन हो रहा है। युवा भविष्य की तलाश में विदेश की ओर देख रहे हैं। भारत गणराज्य की सरकार को देखा जाये तो वह उद्योग विकसित करने के स्थान पर सट्टेबाजी के धंधे को बढ़ावा दे रही है। जो संस्कृति नरसिंह राव देश को देकर गये थे, वही संस्कृति को आगे बढ़ाया जा रहा है।
नरसिंह राव की सरकार के समय में एनसीडेक्स को मंजूरी प्रदान की गयी थी। जिंस, धातू (सोना-चांदी) और पेट्रोलियम पदार्थों पर सट्टेबाजी आरंभ की गयी थी और इसको सरकार की मंजूरी मिली हुई थी। राव की सरकार के समय ही हर्षद मेहता का घोटाला सामने आया। उनकी सरकार के समय में ही सोने को 6 हजार से 10 हजार तक पहुंचने में सफलता हासिल हुई।
वर्ष 2004 से लेकर 2014 तक सोने के भाव को 10 से 30 हजार रुपये तक पहुंचाया गया था। राव सरकार के वित्त मंत्री डॉ. मनमोहनसिंह थे और उन्होंने अपनी योजनाओं को फिर से दुनिया के सामने मजबूती के साथ पेश किया और इसको उदारीकरण कहा गया।
वर्ष 2014 में नरेन्द्र मोदी की सरकार आयी और वर्तमान में समय सोने के भाव 94 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम हो गये हैं। करीबन 20 हजार रुपये के दाम पिछले 4 माह में ही बढ़ गये हैं। जिंस पर भी सट्टेबाजी हो रही है। दूसरी ओर वर्चुअल करंसी बिटकॉइन को देखें तो पिछले छ: माह में उसके दामों में 15 लाख रुपये प्रति सिक्का की तेजी आयी है। उसके दाम बुधवार शाम को भारत में 72 लाख 23 हजार रुपये के आसपास थे।
शेयर बाजार में नरमी का रुख रहा था। अमेरिका के राष्ट्रपति ने टैरिफ का एलान किया तो बाजार में सुस्ती आ गयी थी। इसके बाद सरकार की ओर से कोई बड़ी घोषणा नहीं हुई लेकिन पिछले पांच दिनों में ही शेयर बाजार में 3 हजार रुपये से ज्यादा की तेजी को देखा गया है। बुधवार को 77 हजार के करीब शेयर बाजार रहा।
छोटे निवेशकों को मौजूदा हालात में सतर्क रहने की आवश्यकता है क्योंकि जो मगरमच्छ हैं, वे तो इस सट्टेबाजी को मैनेज कर अपना घाटा पूरा कर लेंगे। अमेरिका की तरफ से लगाये गये टैरिफ के जवाब में सरकार ने कोई नयी नीति की घोषणा नहीं की है। इसके बाद भी तेजी है तो इसका अर्थ यही है कि सरकार की एजेंसियां बॉम्बे स्टॉक में तेजी को बनाये रखना चाहती हैं। सरकार के नजदीकी व्यापारी भी यही चाहते हैं।
इस तरह के माहौल में जब घर बैठे ही रंगत आ रही हो तो कौनसा व्यापारी नये कारखाने लगाने के लिए विचार कर सकता है। जब कारखाने ही नहीं लगेंगे तो रोजगार कैसे उत्पन्न होगा। रोजगार नहीं होगा तो युवा पलायन करेंगे। युवा पलायन करेंगे तो यह देश युवाओं का कैसा रहेगा। सरकार को इस बात पर चिंतन करना चाहिये।

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