श्रीगंगानगर। नरसिंह राव के कार्यकाल में चंद्रास्वामी का बहुत जिक्र हुआ करता था। चंद्रास्वामी एक बड़ा तांत्रिक था और पीएमओ में उनका हस्ताक्षेप भी हुआ करता था। अन्य लोगों के जीवन को प्रभावित करने का दावा करने वाले तांत्रिक चंद्रास्वामी की जब मृत्यु नजदीक आयी तो अनेक प्रकार के रोग भी ले आयी। वह अपने रोग को ठीक नहीं कर पाये।
प्रधानमंत्री बदलते चले गये। भारत की राजनीति में तांत्रिकों का खेल समाप्त नहीं हआ। नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में भी इसका जिक्र हो रहा है। तीस सालों में जीवन जीने का चक्र बदल गया, लेकिन तांत्रिक आदि की व्यवस्था उसी प्रकार रही।
प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने अपने आवास का एड्रैस भी बदल दिया, उसको लोक कल्याण मार्ग रख दिया। जिस बंगले में रहते हैं, उसका नंबर भी सात है। सात दिन तक नवरात्रि होती है और आठवें दिन दुर्गा माता को प्रसाद ग्रहण करवाया जाता है और इसके साथ ही नवरात्रि उत्सव विसर्जित होता है।
यह मामला इसलिए सामने आया है क्योंकि बहुत कुछ ऐसा हो रहा है, जो नहीं होना चाहिये, लेकिन पीएमओ से डिसाइड होकर हो रहा है।
श्रीगंगानगर से एक ट्रेन चला करती है तिरूचिरापल्ली। नाम है हमसफर। अब हमसफर का अर्थ होता है लाइफ पार्टनर। यह ट्रेन सुपरफास्ट है तो लेकिन दो दिनों बाद गंतव्य पर पहुंचती है। सप्ताह में एक ही दिन चलायी जाती है। श्रीगंगानगर से साउथ जाने वाली एकमात्र रेलगाड़ी है।
हमसफर नाम क्यों रखा गया?
सवाल बड़ा है लेकिन कोई उत्तर नहीं देगा। हमसफर रेलगाड़ी चलाई गयी है तो इसका कोई राजनीतिक अर्थ भी होगा। सिक्के के दो पहलू होते हैं लेकिन तांत्रिक इनके कई पहलू निकालते हैं। अब आप ही समझ गये होंगे कि भारतीय संस्कृति में हमसफर का स्तर कैसे बदल रहा है। क्यों अदालतों में फैमिली प्रकरण पहुंच रहे हैं।
श्रीगंगानगर-सराय रोहिला
बीकानेर से श्रीगंगानगर-बठिण्डा होते हुए एक रेलगाड़ी चलायी जाती है नाम है सराय रोहिला। पहले श्रीगंगानगर से चला करती थी, बाद में इसका विस्तार करते हुए बीकानेर तक ले जाया गया।
वर्ष 2014 से पहले सभी रेलगाडिय़ां श्रीगंगानगर-नई दिल्ली तक का सफर तय करती थीं। अब इनका बिखराव कर दिया गया है। दिल्ली इंटरसिटी पुरानी दिल्ली, सराय रोहिला को सराय रोहिला कर दिया गया है।
सराय रोहिला को श्रीगंगानगर से पहले हरिद्वार रूट पर धुरी तक ले जाया जाता है। धुरू लुधियाना के पास का एक छोटा शहर-जंक्शन है। हरिद्वार जाना हो तो यह रेलगाड़ी चला करती है। सराय रोहिला को आधा सफर हरिद्वार वाला करवाया जाता है और इसके बाद इसको हरियाणा रूट पर लाते हुए दिल्ली तक ले जाया जाता है।
दिल्ली जाने वाली रेलगाड़ी को हरिद्वार पर ले जाये जाने का कारण आज तक समझ नहीं आया। रेलवे वाले भी नहीं बताते। एक नेता जी कहते हैं एक हैं तो सेफ हैं।
इसका साफ तौर पर तांत्रिक क्रिया से सफर नजर आता है। श्रीगंगानगर में जो श्मशान भूमि है उसको कल्याण भूमि कहा जाता है और प्रधानमंत्री ने अपने आवास के साथ लोक कल्याण मार्ग कर दिया। इस शहर से चलनेवाली अधिकांश रेलगाडिय़ों को आधा सफर हरिद्वार जाने वाले मार्ग का तय करना होता है।
एक रेलवे अधिकारी का कहना है कि अनेक रूट तो बहुत उच्चस्तर से आते हैं और उस रूट को देखकर अनेक बार सवाल भी खड़ा होता है।
उल्लेखनीय है कि पूर्व में तो पीएम अनेक बार मंत्र भी दिया करते थे। वहीं एक सच यह भी है कि जिस तरह की सफाई व्यवस्था उत्तर प्रदेश में योगी ने की है, उस स्तर पर पूरा भारत तो क्या दिल्ली भी नहीं पहुंच पाया है। इस शहर की विषैली है।
एक बार तो स्वयं राजनाथ सिंह जो डिफेंस मिनिस्ट्री को संभालते हैं, का भी कहना है कि उनको तो यह मंत्रालय उनके नाम के कारण मिला हुआ है। यह बात उन्होंने अपने मित्र के साथ की हो, लेकिन इसका राजनीतिक अर्थ भी निकलता है जिसको राज नाथ सिंह भी स्वीकार करते हैं।