श्रीगंगानगर। भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने राजनीतिक जीवन में पहली बार चक्रव्यूह में प्रवेश करने को मजबूर हो गये हैं। एक तरफ पहलगाम की घटना का बदला लिया जाने का दबाव है तो दूसरी तरफ जातिगत आधारित जनगणना का कार्य है। यह जातिगत जनगणना 2029 के चुनावों का मुख्य मुद्दा हो सकता है।
कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रेल को आतंकवादियों ने 26 लोगों की हत्या कर दी। देश के लोगों में गुस्सा है। वे पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों से बदला चाहते हैं। प्रधानमंत्री ने एक बयान में ही क्लीयर करने की कोशिश कि सेना को हम खुली छूट दे रहे हैं। वह स्वतंत्र है।
हालांकि जनता को भी पता है कि प्रधानमंत्री की मंजूरी के बिना कुछ नहीं होगा। सेना फ्रंट पर तो रहेगी लेकिन निर्णय पर्दे के पीछे लिये जायेंगे।
भारत सरकार अभी अपना पूरा फोक्स कश्मीर में किया हुआ है और वहां पर सेना की संख्या भी बढ़ायी जा रही है, क्योंकि खतरा एक तरफ से नहीं दो तरफ से है।
राजनीति के पंडितों का कहना है कि सरकार अटल बिहारी वाजपेयी का फार्मूला अपना सकती है। संसद पर हमले के बाद उन्होंने बॉर्डर पर सेना को तो लगाया लेकिन एक साल बाद भी युद्ध नहीं लड़ा और फिर बैरिक में वापिस बुला लिया गया।
उड़ी और पठानकोट हमलों के बाद भारत सरकार ने सर्जिकल और एयर स्ट्राइक की थी। पाकिस्तान से बदला ले लिया गया था। इस बार स्ट्राइक नहीं हो सकती। पाकिस्तान सतर्क है और उसको तुर्कीये सहित कुछ अन्य देशों का समर्थन हासिल है और वे हथियार भी दे रहे हैं। चीन भी इसमें शामिल है।
दूसरी ओर देश में जाति आधारित जनगणना का मामला गर्माया हुआ है। आरएसएस प्रमुख ने हाल ही में बयान दिया था कि देश में जातिगत भेदभाव को समाप्त करने के लिए एक गांव, एक कुआं एक दीवार का प्रचार किया जायेगा। उनके बयान के बावजूद जातिगत जनगणना का कार्य आरंभ किया जा रहा है।
इससे जनरल वर्ग में यह बात बैठ रही है कि पहले ही आरक्षण है और जातिगत जनगणना के बाद आरक्षण का दायरा बढ़ सकता है। इस तरह से यह मामला 2029 के लोकसभा चुनावों में चर्चा का विषय हो सकता है।
जातिगत जनगणना का कार्य बिहार विधानसभा चुनावों के समय भी उठ सकता था, जो अगले छ: महीनों में होने है। सरकार हर तरह की तैयारी कर रही है ताकि विधानसभा चुनावों में कोई वीक प्वाइंट नहीं रह जाये। बिहार में जातिगत आधारित राजनीति का खेल पुराना है और इसमें भाजपा सभी दलितों का समर्थन जुटाने में कामयाब नहीं हो पाती थी।
हालांकि पहलगाम की घटना के बाद देश के मुसलमान भारी संख्या में बीजेपी की ओर जा रहे हैं। इस कारण अपने कैरियर में पहली बार उन्होंने रोजा के लिए किट का भी वितरण किया था।
बीजेपी को लग रहा है कि 2029 के चुनावों में जनरल और अन्य हिंदू कास्ट का कमजोर समर्थन रहेगा इसलिए चार साल पहले ही मुसलमानों, दलितों के बीच पैठ बढ़ाने के लिए यह चक्रव्यूह तैयार किया गया है।
अब यह भी देखा जाना चाहिये कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गौतम अडाणी का साथ नहीं छोड़ पा रहे हैं। दक्षिण भारत में अडाणी के बंदरगाह का लोकार्पण करने के लिए वे स्पैशल गये और वहां पर उन्होंने जो तारीफ हो सकती थी कर दी। गौतम अडाणी इस समय विवादों से घिरे हैं और अमेरिका में तो मुकदमा भी दर्ज हुआ था।
अमेरिका अब ईरान के साथ युद्ध के लिए तैयार है?
न्यूयार्क। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर से दुनिया को चेतावनी दी है कि कोई भी राष्ट्र ईरान के साथ पैट्रो या अन्य क्षेत्र में कोई व्यापारिक व्यवहार नहंीं करेगा। अगर कोई ऐसा करता है तो उसको अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है।
ईरान और अमेरिका के बीच तीन दौर की बातचीत हो चुकी है। चौथे दौर की वार्ता रोम में होनी है। यह आज होनी थी किंतु नहीं हो पायी। तीन दौर की वार्ता को रचनात्मकता बताया गया था। इस बीच ट्रम्प ने चेतावनी जारी कर सभी देशों को ईरान के साथ व्यवहार नहीं रखने के लिए कहा है।
ईरान पर दबाव है कि वह परमाणु हथियारों का निर्माण नहीं करेगा। इसके लिए जेसीेपीओए कमेटी का भी गठन किया गया था। यह कमेटी ईरान पर दबाव नहीं बना सकी कि वह परमाणु हथियारों का निर्माण नहीं करेगा।
नाटो में शामिल देश अटलांटिक महासागर में युद्धाभ्यास कर रहे हैं और यह ईरान पर दबाव बनाने के लिए किया जा रहा है।