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मोदी सरकार की विदेश नीति बिखर क्यों गयी?

श्रीगंगानगर। भारत गणराज्य की सरकार सर्वदलीय नेताओं के समूह गठित कर उनको विदेश भेजेगी और स्थानीय सरकारों से पाक प्रयोजित आतंकवाद के बारे में जानकारी देगी। देश में इस समय भले ही भीषण गर्मी का दौर चल रहा हो लेकिन पश्चिमी देशों में मौसम बेहतरीन बताया जा रहा है।
न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यालय है और वहां पर भारत का स्थायी अधिकारी नियुक्त रहता है और विभिन्न मामलों में विश्व का ध्यान भारत की स्थिति और पाक प्रयोजित आतंकवाद के बारे में भी जानकारी देता रहता है। इसके बावजूद सर्वदलीय नेता विदेश भ्रमण पर होंगे।
मौजूदा सरकार को अभी तक अपने काम यूएन में करवाने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती थी। मोटा अनाज और योग ऐसे अवसर रहे हैं, जिन्हें भारत के एक पत्र ने ही मंजूरी दिला दी थी। अब वही विदेश नीति कारगर नहीं रही। सरकार से देश की जनता ही जवाब मांग रही है। आतंकवाद के मुद्दे पर सर्जिकल स्ट्राइक की गयी और किसी भी विशेष आतंकवादी को निशाना नहीं बनाया जा सका। हाफिज सईद हो या मसूद अजहर दोनों ही अभी तक वांटेड ही हैं।
पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक के मुद्दे पर ही यूएन के वीटो पावर वाले देशों में किसी का समर्थन हासिल नहीं हुआ और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने साफ शब्दों में कहा कि उन्होंने भारत-पाक का युद्ध समाप्त करवाया है।
युद्ध को समाप्त करने की सार्वजनिक जानकारी भी ट्रम्प ने ही दुनिया भर को दी थी। उन्होंने कहा, दोनों देश परमाणु युद्ध आरंभ करने की स्थिति में पहुंच गये थे।
यह भारत सरकार की कमजोर विदेश नीति को प्रदर्शित कर रही थी।
ईमेज में क्या रखा है?
अक्सर भारत गणराज्य की सरकार के प्रमुख नरेन्द्र मोदी बयान दिया करते हैं कि ईमेज में क्या रखा है? इसका अर्थ है कि जो दिल में आये वो करो। किसी भी देश की जनता अपने प्रमुख नेता को देखकर ही अपने जीवन को प्रदर्शित करती है। अगर ईमेज में कुछ नहीं रखा है तो दो सालों तक किसानों के चले आंदोलन को समाप्त क्यों नहीं करवाया जा सका? एक भी मंत्री, नेता ऐसा नहीं मिला जो किसानों को मना सके। देश की राजधानी में ही आंदोलन चला और आखिर में तारबंदी, किलाबंदी आदि के माध्यम से लोगों के आवागमन को रोका गया और आखिर में पीएम को अपने तीनों अध्यादेश वापिस लेने पड़े।
पिछले दो वर्षों से बार-बार गौतम अडाणी और कुछ अन्य व्यापारिक नेताओं के खिलाफ जांच की मांग उठती रही है। इनमें टाटा, बिरला आदि समूह शामिल हैं। जांच का आश्वासन तक नहीं दिया गया। विदेशी पत्रकार भी सवालों के जवाब मांगते रहे और इसको घर का मसला बता दिया गया।
अब सरकार की ईमेज या आदर्श ऐसे रहे हैं, जो देश की जनता को अपने ओर आकर्षित कर सकें।
नड्डा जी फोटोज से गायब!
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयप्रकाश नड्डा दिखाई देने कम हो गये हैं। भारत-पाक युद्ध के बाद उनको प्रधानमंत्री, गृहमंत्री या रक्षा मंत्री के साथ देखा गया हो, यह अवसर कम ही रहे हैं। जेपी नड्डा के अचानक ही तस्वीरों से गायब हो जाने के बाद भाजपा में ही कई सवाल उठ रहे हैं। वहीं मध्यप्रदेश के एक मंत्री ने तो यहां तक कह दिया कि भारतीय सेना प्रधानमंत्री के सामने नतमस्तक हैं।
सेना की अपनी पहचान होती है और वह स्वतंत्र एजेंसी रहकर कार्य करती है। इस तरह से मंत्री ने इशारा कर दिया कि संवैधानिक संस्थाओं पर भाजपा या उनके एजेंट्स का कब्जा हो गया है।
सेना में भी कुछ ऐसे अधिकारी हैं, जो रिटायरमेंट के बाद विशेष राज्य का गर्वनर अथवा अन्य बड़े पद चाहते हैं।
सेना का कर्तव्य है कि वह अपने देश की रक्षा करे जबकि भाजपा नेता के बयान से संकेत है कि राजनीतिक आकाओं के इशारों पर सेना के कुछ अधिकारी चल रहे हैं। अब इसको भी भाजपा का अंदरूनी मामला माना जा सकता है या घर की बात कही जा सकती है।

‘विदेश से नहीं वीदेश से काला धन लाने की चर्चा’

श्रीगंगानगर। वर्ष 2022 के लिए प्रचार 2017 में ही आरंभ हो गया था। इस वर्ष भारत के सभी लोगों को खुद का घर, घर में नल, नल में जल और विद्युत उपलब्ध करवाने का आश्वासन दिया गया था।
प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर काफी बड़ा खेला हुआ और 2014 से लेकर 2022 तक खूब प्रचार किया गया किंतु सरकार सभी लोगों को घर उपलब्ध नहीं करवाकर दे सकी।
प्रधानमंत्री आवास योजना पहले इंदिरा गांधी आवास योजना से संचालित होती थी और इसका नामकरण नये सिरे से किया गया। गुजरात फार्मूला के तहत अगर एक रेलगाड़ी को भी हरी झण्डी दिखानी है तो पीएम का चेहरा होना आवश्यक है।
पीएम आवास योजना में 2024 भी बीत गया किंतु सभी लोगों को घर नहीं मिल पाया और लाखों लोग ऐसे हैं जो रात को फुटपाथ पर सोने को मजबूर हैं।
अभी भी देश में लोग ऐसे मौजूद हैं जिनके पास आधारभूत आवश्यकताओं की कमी है। इनकी संख्या भी लाखों में हैं।
बेटी पढ़ाओ का नारा दिया गया किंतु इसमें भी बेटियों को विशेष सुविधा नहीं मिली। अब 2047 विकसित भारत का नारा दिया जा रहा है।
यह नारा भी उसी तरह का है, जिस तरह से 2022 में सभी लोगों को घर दिये जाने का वादा किया गया था।
भारत सरकार ने कहा था कि वह विदेश से काला धन लेकर आयेगी। गृहमंत्री अमित शाह ने सभी लोगों को 15-15 लाख दिये जाने को जुमला बताया था। अब देश के मुख्य कर्ता-धर्ता का कहना है कि उन्होंने वी-देश से काला धन लाने का वादा किया था।
दुनिया भर में इस समय भारत का काला धन कितना है, इसका अनुमान नहीं लगाया जा सका है लेकिन वास्तव में पिछले 10 सालों में इसमें बढ़ोतरी ही हुई है।

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