न्यूयार्क। अमेरिका में इस समय यह बड़ा सवाल पैदा हो गया है कि अमेरिका का संचालन किन नीतियों पर होगा। एक निर्वाचित राष्ट्रपति के आदेशों पर क्रियान्वयन होगा या पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की ओर से नियुक्त किये गये जज चलायेंगे।
संयुक्त राज्य अमेरिका में न्यायिक अधिकारियों का चयन राष्ट्रपति करते हैं और उनको संसद में भी समिति के समक्ष अपना प्रस्तुतिकरण करना होता है। बराक ओबामा के समय लगाये गये न्यायाधीश अब अपने अधिकारों को राष्ट्रपति से भी बड़ा मानने लगे हैं यहां तक कि विदेश नीति किस प्रकार होगी, इसका चयन भी जज करते हैं।
राष्ट्रपति ट्रम्प कहते हैं, 7 करोड़ से ज्यादा मतों को लेकर वे राष्ट्रपति बने हैं और जज बिना निर्वाचन के ही ऐसे निर्णय ले रहे हैं, जो उनके अधिकार क्षेत्र से भी बाहर है।
अवैध प्रवासियों को लेकर एक जिलास्तरीय जज ने विदेश नीति में हस्ताक्षेप किया और बाद में उच्च अदालत में अपील की गयी तो मामले को बदला गया।
ताजा मामला टैरिफ नीति को लेकर है और अदालत ने इस मामले में भी हस्ताक्षेप किया है। अदालत में मामला जाने के बाद घटनाक्रम को कई दिन गुजर जाते हैं और तब तक मामला का स्वरूप ही बदल चुका होता है।
हारवर्ड यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्रों के संबंध में निर्णय लिया गया तो यहां भी ओबामा के कार्यकाल में नियुक्त न्यायिक अधिकारियों ने तुरंत रोक लगा दी। अब ट्रम्प अपने न्यायिक अधिकारियों के समक्ष अपील करेंगे तो उस समय ही यह मामला साफ हो पायेगा। जो काम संसद में विपक्ष नहीं कर पा रहा, वह अमेरिका में अदालतें कर रही हैं।
उस संदर्भ में भी जानकारी जो बाहर आनी चाहिये, वह नहीं आती और इसको एक राष्ट्रपति की हार के रूप में एनजीओ पेश कर रहे हैं।