श्रीगंगानगर। भारत गणराज्य में वर्ष 2022 तक किसानों की 2014 के मुकाबले आय दो गुणा करने का लक्ष्य रखा गया था। वहीं जब किसानों पर लोन के आकड़े देखते हैं तो वह किसानों को भयभीत करने वाले होते हैं। दूसरी ओर हाउसिंग सैक्टर भी अच्छा काम नहीं कर पाया। एलआईसी की एक प्राइवेट कंपनी भी बना दी गयी और इस कंपनी की ऑडिट हो तो एक बड़ा घोटाला सामने आ सकता है और शायद लोग 2 जी, कोयला आदि घोटाला को भूल जायें।
किसानों पर लोन बढऩे की रफ्तार तेज
लोन पर किसानों की नजर डाली जाये वर्ष 2019 के समय किसानों पर कुल ऋण लगभग 7 लाख करोड़ का था। प्रत्येक किसान पर लोन औसतन 71 हजार रुपये हो चुका था, देश में 9.3 करोड़ परिवार कृषि आधारित जीवन जी रहे हैं अर्थात किसान हैं।
वर्ष 2019 को मात्र 7 लाख करोड़ का ऋण था और इस समय किसानों की आय दोगुणा करने की आवाज तेजी से उभर रही थी। स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू करो, आदि को लेकर किसानों का धरना आरंभ हो गया। इस धरने को हटाने और वार्ता दोनों प्रकार की नीतियों को अपनाया गया, लेकिन कोई नीति कामयाब नहीं हुई।
अब यहां से एक नयी पिक्चर सामने आ जाती है। वर्ष 2023 के दिसंबर माह तक किसानों पर 19 लाख करोड़ या इससे ज्यादा का ऋण हो गया था क्योंकि सहकारी बैंक आदि सरकार के साथ रिपोर्ट को ऑनलाइन साझा नहीं करते थे, इस कारण इन कंपनियों के रिकॉर्ड का ज्ञान सामने नहीं आता है।
किसान संघर्ष कर रहे थे बढ़ती आय के लिए और एनडीए की सरकार के समय किसानों का कर्जा बढक़र 20 लाख करोड़ के करीब हो गया। अब इस ऋण राशि को माफ भी नहीं किया जा सकता।
हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं अपने गीत गाते हैं कि मोदी है तो सब संभव है। अगर इसको किश्तों के आधार पर माफ किया जाये तो संभव है कि दोनों पक्षों को शांति मिल जाये। 20 लाख करोड़ का अर्थ हो गया कि हर साल कई हजार करोड़ रुपये तो हर साल किसान ब्याज के रूप में चुका रहे हैं।
हाउसिंग सैक्टर पर भी चिंता जरूरी
जिस तरह से किसानों के ब्याज या ऋण अदा नहीं करने पर कुर्की आदेश जारी कर दिये जाते हैं, उसी तरह से आवास से भी बाहर निकालकर सरफेसी एक्ट के तहत बैंक अधिकारी कार्यवाही कर देते हैं।
हाउसिंग सैक्टर पर भी चिंता करनी वाजिब है क्योंकि आवास ऋण के मामले भी 20 लाख करोड़ रुपये या इससे अधिक हैं।
अब यहां पर दो फैक्टर काम करते हैं। पहला यह है कि हाउसिंग सैक्टर में काम करने वाली नॉन बैंकिंग फायनेंस कंपनी (एनबीएफसी) को एचएनबीएफसीज का ऋण भी हाउसिंग सैक्टर में मान लिया जाता है। इस तरह से वाणिज्य बैंकों ने हाउसिंग सैक्टर को 48 लाख करोड़ का ऋण दिया गया है।
इतनी राशि वितरण करने के बाद भी सभी के पास मकान नहीं है। सरकार का वादा था कि आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर सभी को आवास उपलब्ध होगा, लेकिन उस डेट लाइन को भी गुजरने के बाद भी लोन नहीं मिल रहा है, लोग मकान नहीं बना पा रहे हैं।
एलआईसी हाउसिंग लि. को जानना भी जरूरी
भारतीय जीवन बीमा निगम जिसको एलआईसी कहा जाता है। यह भारत का सबसे बड़ा उपक्रम और आय अर्जित करने वाला कमाऊ पूत है। एलआईसी हाउसिंग कंपनी बना दी गयी है जो प्राइवेट सैक्टर की कर दी गयी है। नामक सरकारी उपक्रम का और कंपनी प्राइवेट है। यह एक बड़ा घोटाला है।
इसको इसलिए भी घोटाला कहा जा सकता है कि इस सरकारी कंपनी जिसको प्राइवेट बनाया गया है, इसमें एलएनटी, महिन्द्रा एण्ड महिन्द्र फायनेंस कंपनी के डायरेक्टर भी इस कंपनी के बोर्ड में निर्णायक हैं।
अगर इस कंपनी के शेयर पर नजर डाली जाये तो मोदी सरकार के पांच साल के कार्यकाल में 2019 से 2024 तक इसके शेयर में 333 रुपये अर्थात 127 प्रतिशत की बढ़ोतरी को दर्ज किया गया है। पांच सालों में शेयर दो गुणा से भी ज्यादा हो गया। दसियो बड़ी प्राइवेट कंपनीज के मालिक, बोर्ड सदस्य को इसमें शामिल कर दिखा दिया गया है कि यह बाजार के अनुसार चलेगी।
आज इस कंपनी का सरकारी नाम हटा दिया जाये तो इस कंपनी की कोई कीमत नहीं होगी। एलआईसी को जिस मेहनत के साथ विशाल रूप दिया गया था उसका नाम प्राइवेट कंपनियों के अधिकारी लाभ उठा रहे हैं।