न्यूयार्क। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक आदेश जारी कर बुधवार देर शाम (अमेरिकी समयानुसार) 12 देशों के नागरिकों पर किसी भी तरह के वीजा पर नो एंट्री घोषित कर दी है। इससे एक बार पुन: विश्व में हलचल पैदा होना तय है।
राष्ट्रपति ट्रम्प ने भारतीय समयानुसार गुरुवार सुबह एक आदेश जारी किया कि लिबिया, ईरान, अफगानिस्तान, सोमालिया, म्यांमार आदि 12 देशों पर अमेरिका में नो एंट्री कर दी गयी है। उल्लेखनीय है कि म्यांमार में इस समय हालात खराब हैं क्योंकि वहां पर लोकतंत्र को निलम्बित कर दिया गया है और मार्शल लागू किया गया है।
इसी तरह से अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार स्थापित है, जिस पर आतंकवाद को समर्थन देना तथा महिलाओं को शिक्षा तथा मालिक अधिकारों से वंचित करना है।
ट्रम्प ने कहा है कि इन देशों पर बैन घोषित करते हुए उन्होंने सामान्य ज्ञान को जीवित रखते हुए कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किये हैं।
उल्लेखनीय है कि कार्यकारी आदेश अमेरिका में उसी तरह से हैं, जिस तरह से भारत में राष्ट्रपति के पास अधिकार होता है। उनके आदेश पर ही कानून बनाये जाते हैं और अध्यादेश भी लागू होता है।
सर्वोच्च न्यायाधीश गवई के बयान ने नया संदेश दिया
नई दिल्ली। भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने एक बयान के जरिये ‘सांध्यदीप’ की उस विचारधारा पर मुहर लगायी है जो न्यायपालिका को और मजबूत करता है। उसके प्रति विश्वास का नया प्रतीक सृजित करता है।
सांध्यदीप ने बार-बार सरकार के समक्ष यह सवाल पैदा किया था कि संवैधानिक पदों पर रिटायर्ड न्यायाधीशों को नियुक्त नहीं किया जाना चाहिये क्योंकि रिटायरमेंट के उपरांत भी जॉब प्राप्त करने की लालसा इन अधिकारियों में रहती है।
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने इस संबंध में सार्वजनिक रूप से कहा, रिटायरमेंट के बाद किसी भी न्यायाधीश को नियुक्त नहीं किया जाना चाहिये।
गवई के बयान के बहुत महत्व हैं क्योंकि वे देश के सर्वोच्च न्यायाधीश हैं और उनके आदेशों की पालना करना सरकार का निमित्त हो जाता है। इस तरह से एक पारदर्शी व्यवस्था देखने को मिलती है जो कानून के भी दो रूप मानते हैं।