न्यूयार्क। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अनेक मंत्रालयों के बजट को कम किया है। अब यूएन, नाटो सहित कई अन्य संस्थाओं में बजट को कम किया जा रहा है। इसी तरह से विदेश मंत्रालय का बजट भी 20 अरब डॉलर से नीचे रखने का निर्णय लिया गया है जो कि पारंपरिक बजट का लगभग आधा रह जायेगा।
मेक अमेरिका ग्रेट अगेन के नारों के साथ सत्ता संभालने वाले ट्रम्प अब तक 7 ट्रिलियन डॉलर के निवेश को मंजूरी प्रदान कर चुके हैं। इसमें एप्पल और माइक्रोचिप बनाने वाली कंपनियां शामिल हैं। यह निवेश जापान की जीडीपी का लगभग दो गुणा है। यह लगभग चीन की जीडीपी के बराबर है। इतनी बड़ी निवेश राशि को उन्होंने अपने पहले 100 दिन में प्राप्त कर लिया है।
इससे उन्होंने दिखाया है कि अमेरिका को अर्थव्यवस्था में क्यों ‘बाप जी’ कहा जाता है। वहीं उन्होंने जो टैरिफ का एलान किया था, उसके बाद 130 देश व्यापारिक समझौते को नये रूप में स्वीकार करने के लिए तैयार हैं।
वहीं उन्होंने वादा किया है कि विदेश मंत्रालय का खर्च भी कम किया जायेगा। यह अभी 40 बिलियन डॉलर या इससे ज्यादा का है किंतु अब इसको 20 बिलियन डॉलर रखा जायेगा। नाटो, यूएन जैसे संगठनों में भी अपनी अतिरिक्त धनराशि को अमेरिका रोकने पर विचार कर रहा है।
अमेरिका का स्थान नहीं ले सकता ब्रिटेन
अमेरिका ने विविधता, समानता और समावेशन (डाई) को अपने सभी मंत्रालयों से समाप्त कर दिया है। इस तरह से दुनिया भर में ट्रिलियन डॉलर्स में जो धनराशि जाती थी, वह बंद हो गयी है। यह एक बहुत बड़ा बदलाव है। हालांकि इंग्लैण्ड, फ्रांस आदि आदि देश चाहते हैं कि यह कार्यक्रम जारी रहे। लेकिन अमेरिका ने स्वयं को दूर कर लिया है तो सवाल यह है कि यह दोनों देश वह पद प्राप्त कर सकते हैं जो अमेरिका को चुनौति दे सके। इंग्लैण्ड की जीडीपी अमेरिका के सकल घरेलू उत्पाद के 20 प्रतिशत के ही करीब है। फ्रांस भी लगभग इतना ही शेयर रखता है। इस तरह से यह दोनों देश मिलकर भी डाई कार्यक्रम जारी रखना चाहें तो भी नहीं रख सकते।
इन दोनों देशों की जीडीपी से ज्यादा का निवेश राष्ट्रपति ट्रम्प ने अपने कार्यकाल 2.0 में पहले 100 दिन में ही प्राप्त कर लिया है और दुनिया भर में टैरिफ से हलचल मचाकर दिखा दिया है कि अमेरिका को चुनौति देना आसान नहीं है।
रशिया यूक्रेन में ‘स्थायी’ शांति पर कर रहा विचार
एक रिपोर्ट में बताया गया है कि रूस के साथ राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के विशेष दूत के साथ निरंतर पांच घंटे वार्ता की। इस वार्ता के बाद मीडिया में बताया गया है कि ब्लादीमिर पुतिन संयुक्त राज्य के प्रस्ताव को मानते हुए स्थायी शांति के लिए तैयार हो सकते हैं। इस तरह से शुभ संकेत मिलने के उपरांत रूस-यूक्रेन में चल रहा युद्ध तीन साल या इससे ज्यादा की अवधि के बाद समाप्त हो सकता है। ट्रम्प चाहते हैं कि रूस को जी-7 का भी सदस्य पुन: बनाया जाये।
चीन का फैसला पड़ सकता है ड्रैगन को ही भारी
चीन की तरफ से बयान दिया गया है कि वह अमेरिका की विमान निर्माता कंपनी बोइंग से नये विमान अथवा कलपुर्जे नहीं खरीदेगी। असल में बोइंग कंपनी के बराबर उस जैसी सुविधा देने वाली कंपनी और इंजन अन्य किसी देश के पास है ही नहीं। अगर फ्रांस की एयरबस की बात करें तो भी वह बोइंग जैसा विश्वास नहीं दे सकती। अगर अपने यात्रियों को आधुनिक सुविधा देनी है तो बोइंग कंपनी से विमान खरीदना ही होगा। उसका विकल्प किसी अन्य देश में है ही नहीं।
चीन को अब इवांका से ही बात करनी होगी
चीन की तरफ से कहा गया है कि ट्रेड वॉर किसी समस्या का समाधान नहीं है। वहीं अमेरिका की तरफ से अब भी वार्ता के लिए इवांका ट्रम्प को अधिकृत किया गया है। चीन को जो भी बात करनी हो, वह ट्रम्प से ही करनी होगी।