रोम। विश्व में इस समय ईटली हॉटलाइन बना हुआ है। जिस तरह से प्रिंस चाल्र्स एक हिटलर के रूप में दुनिया के सामने पेश हुए हैं, उसी तरह से अभी तक पोप फ्रांसिस भी अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते।
दुनिया भर में अगर नफरत फैलाने का काम हुआ है तो वह धर्म गुरुओं के माध्यम से हुआ है। धर्म प्रचार की ओट में एक-दूसरे के खिलाफ किया गया। पोप फ्रांसिस भी इसमें पीछे नहीं है और अगर इस समय यूक्रेन के मुद्दे पर चर्चा नहीं हो पा रही है तो इसका कारण पोप हैं जो लम्बी बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती हो गये हैं और किसी से वार्ता नहीं कर रहे हैं। न ही उन्होंने अपना उत्तराधिकारी तय किया है।
दुनिया भर में यह विश्वास है कि जो पादरी हैं वह धार्मिक स्थल चर्च में ही बलात्कार का स्थल बनाये हुए हैं और जितने कुकर्म उस स्थान पर होते हैं, शायद दिल्ली जैसे अशांत राज्य में भी नहीं होते।
धर्म के ठेकेदारों का यह भय है कि उनकी दुकानें बंद हो सकती हैं। आय के स्रोत और सम्मान समाप्त हो सकता है। जो दूसरों को भय से बाहर निकलने का मार्ग बताते हैं, वे खुद अपने मन से भय को बाहर नहीं निकाल पा रहे हैं।
जॉर्जिया मेलोनी इस बात से इन्कार नहीं कर सकतीं कि वे अपनी जिम्मेदारी को अभी तक पूरी ईमानदारी के साथ नहीं निभा पायी हैं और दुनिया में जो संदेश जाना चाहिये था। अमेरिका-कनाडा में जो मशीनरीज कार्य कर रही हैं, उनको रोका जाना चाहिये, लेकिन वे ऐसा कुछ भी नहीं कर पायी हैं।
ईसाई मिशनरीज के लिए जो भी संदेश जाता है, वह रोम में वेटिकन सिटी से जारी होता है। डाईंग कार्यक्रम अगर जारी है तो इस पर अभी तक मिशनरीज प्रमुख और ईटली सरकार का संदेश क्यों नहीं आया। इस संदेश को दुनिया के सामने पेश किया जाना चाहिये था।